Produser: Subhash Ghai Director: Subhash Ghai Cast: Mishti, Kartik Tiwari, Rishi Kapoor, Mithun Chakraborty, Adil Hussain, Vikrant MasseyRishabh Sinha, Chandan Roy SanyalRating: 3/5 starकांची (मिष्ठी) एक मासूम लड़की है पर उसे खुद पर मान है कि वो एक लड़की है. उसकी अपनी छोटी सी दुनिया है जिसमें चुपके से दाखिल हो जाता है उसका प्यार (कार्तिक तिवारी). कांची बस अपनों के लिए और अपने के साथ जीना चाहती है एक लड़की होने के गुमान के साथ. पर वो बस सुनती है लड़कियां गाली नहीं देतीं, लड़कियां गुस्सा नहीं करतीं, लड़कियां ये नहीं करती, लड़कियां वो नहीं करतीं. वो बस जानना चाहती है कि लड़कियां क्या करती हैं अपनी जिंदगी जीती भी हैं या नहीं.
Movie review: कांची-दी अनब्रेकेबल 3/5 star
अपने होने और अपने होने को मनवाने की कोशिश में कांची के सामने आती है सोसायटी, सिस्टम और पावरफुल लोग. वो सबका सामना करती है एक अनथक लड़ाई लड़ती है पर टूटती नहीं है. उसकी इस कोशिश से तूफान खड़ा हो जाता है. इनजस्टिस के खिलाफ खड़ी कांची के तूफान से सत्ता की बुनियादें हिलने लगती हैं. तब कुछ अवाजें ऐसी भी आती हैं जो कांची के इरादों की मजबूती को समझ कर उसे समझने के लिए अपने को आगे लाती हैं.
अच्छे और बुरे के इस संघर्ष में कांची का वजूद घिर जाता है उसकी अपनी पहचान और जिंदगी खोने लगती है और यही तो उसे पसंद नहीं था. और उसे गुस्सा आने लगता है क्योंकि ऐसा गुस्सा सिर्फ लड़कियों को ही तो आता है.
सुभाष घई को शोमैन क्यों कहा जाता है ये एक बार फिर इस फिल्म देख कर प्रूव हो जाता है. जब सबकुछ लार्जर दैन लाइफ है जो दिल को भी भला लगता है और आखों को भी. फिल्म में एक कॉमन मगर सीरियस इश्यू को सुभाष घई के स्टाइल में प्रेजेंट किया गया है. म्यूजिक हमेशा सुभाष की फिल्मों का प्लस प्वाइंट होता है भले ही वो बैकग्राउंड स्कोर हो, इस बार भी ऐसा ही है.
कभी भी सुभाष घई ने वुमेन सेंट्रिक फिल्में बनाने का दावा नहीं किया पर उनकी फिल्मों के फीमेल करेक्टर हमेशा बेहद स्ट्रांग होते हैं चाहे वो पॉजिटिव हों या निगेटिव. इस बार तो कहानी एक लड़की के इर्दगिर्द ही घूम रही है तो उसका प्रेजेंटेशन और भी कमाल हो गया है. मिष्ठी और कार्तिक दोनों की फ्रेशनेस फिल्म को भी एक फ्रेश और इनोसेंट टच दे रही है. फिल्म एक बार देखने लायक तो जरूर है. अगर सेटस और लोकेशन का जादू आप को खींचे तो दोबारा भी देख सकते हैं.