शहर के सबसे प्रसिद्ध अम्यूज़मेंट पार्क में खाली पड़ीं ये बंपर कारें आज भी जैसे 27 अप्रैल, 1986 की दर्दनाक त्रासदी को याद कर सहमी हुई सी हैं।
1986 में न्यूक्लियर पावर प्लांट दुर्घटना : और वीरान हो गया 50 हजार लोगों का एक शहर
शहर के किंडरगार्डन में धीरे-धीरे धूल और गंदगी के बीच सड़ रही हैं बच्चों की ये गुड़ियां और टेडी बियर्स।
कभी बच्चों और बड़ों से भरे रहने वाले आसमान को छूते इस झूले में अब तो बीच से निकलने लगे हैं जंगली पेड़ भी।
दुर्घटना के समय उस समय प्लांट में मौजूद अधिकारियों ने इन गैस मास्क का इस्तेमाल कर अपनी जान बचाई। अब धूल की परतों के नीचे दब रहे हैं ये सैकड़ों मास्क।
करीब 50 हजार की आबादी वाला ये शहर विस्फोट से पहले मॉडर्न आर्किटेक्चर का मिसाल हुआ करता था। इसे विजन ऑफ फ्यूचर के तौर पर सरकार पेश करती थी, लेकिन उन्हें क्या मालूम था कि पूरा क्षेत्र शमशान से भी बदतर हो जाएगा। शमशान में तो लोग जा सकते हैं, लेकिन यहां तो चिड़िया भी नहीं उड़तीं। इसी क्रम में कभी ये खूबसूरत घर यहां की शोभा हुआ करते थे। आज ये बन चुके हैं अपने आप जंगल।
1975 में यूक्रेन, कीव के पास रूस बिजली संयंत्र के निर्माण के दौरान कार्यकर्ताओं का एक समूह निर्माण कार्य को अंजाम देते हुए।
शहर के खास किंडरगार्डेन में अब रह गए हैं सिर्फ बच्चों के ये मेटल बेड और उनका कुछ बचा हुआ बिखरा पड़ा सामान।
दोनों तस्वीर में देखिए, पीछे दिख रहा है प्लांट का आज का गुमनामी में खो चुका नजारा और आगे की तस्वीर में आज से 30 साल पहले प्लांट की रौनक।
शहर के एक बड़े स्कूल में दुर्दशा की भेंट चढे़ वीरान क्लासरूम का ये नजारा किस छात्र या शिक्षक के मन को नहीं छुएगा।
लाइब्रेरी में बिखरी पड़ीं किमती किताबें।
उस समय पावर प्लांट की तस्वीर, जब आपस में बात कर रहे थे ये दो वर्कर्स।
धूल और गंदगी की परतों के नीचे अपना अस्तित्व खोने को मजबूर बच्चे के स्कूल की किताब और पास रखा गैस मास्क।