पितृ पक्ष में आई नेक्स्ट ने बनारस को सांस्कृतिक, साहित्यिक, राजनीेतिक और सामाजिक रूप से विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पुरोधाओं को एक-एक दिन याद किया. उनके योगदान को लेख के जरिये प्रकाशित करते हुए उन्हें नमन किया.
जिन्होंने दी हमें पहचान, उनकी याद में दीपदान
आखिरी दिन यानि पितृ विसर्जन की शाम आई नेक्स्ट ने 15 पुरोधाओं के साथ अन्य भूले-बिसरे और अति महत्वपूर्ण महापुरुषों को श्रद्धांजलि देने के लिये ही शास्त्री घाट पर विशिष्ट आयोजन किया.
इसमें शहर भर के सभी व्यक्तियों और संस्थाओं को आमंत्रित किया गया था कि वो भी आएं और बनारस के पुरोधाओं को श्रद्धांजलि स्वरूप दीपदान करें.
वरुणा पुल स्थित शास्त्री घाट पर मंगलवार की शाम को आई नेक्स्ट की अपील पर तमाम संस्थाओं के लोग पहुंच गये. हर किसी ने आई नेक्स्ट के प्रयास को सराहा और ये भी माना कि हमारे पुरोधाओं को यही सच्ची श्रद्धांजलि है.
इस कार्यक्रम की शुरूआत देवालय पीठ की ओर से पांच ब्राम्हणों ने शांति पाठ के साथ शुरू की. इसके बाद वहां मौजूद सभी लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर मौन श्रद्धांजलि दी. घाट पर पहुंचे संस्थाओं और विशिष्ट लोगों ने मौन श्रद्धांजलि के बाद मोमबत्तियां और दीपक जलाकर शाम के अंधकार को रोशनी से भर दिया. इस तरह दीयों और कैंडल से उन्होंने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की. कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम गीत के साथ पूरा हुआ.
आई नेक्स्ट की ओर से काशी के पितरों के लिए आयोजित श्रद्धांजलि सभा में सामाजिक संस्था सत्य मंथन के युवा कलाकारों द्वारा लगाये गये पोस्टर प्रदर्शनी ने और ही खास बना दिया. यहां प्रदर्शित पोस्टर में उन तमाम महापुरुषों की तस्वीर के साथ उनके कृतित्व का वर्णन था. दो दर्जन से ज्यादा पोस्टर्स में हर उस महापुरुष को स्थान देने की कोशिश की गयी थी जिसने बनारस को बहुत कुछ दिया.
महामना मदन मोहन मालवीय, राष्ट्ररत्न शिवप्रसाद गुप्त, रारी अहिल्याबाई होलकर, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, रानी भवानी, मुंशी प्रेमचंद, बलदेव दास बिड़ला, राजर्षि जू देव, चिंतामणि मुखर्जी, अल्लामा शेख मोहम्मद अली हजी, महाराजा चेतसिंह, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खॉ, मुरारी लाल मेहता, जेम्स प्रिंसेप, गोस्वामी तुलसीदास.
आई नेक्स्ट की ओर से वरुणा तट पर काशी के पितरों के लिए आयोजित श्रद्धांजलि सभा में मौजूद सामाजिक संस्थाओं का दर्द वरुणा को लेकर भी सामने आया. इसे महसूस करने के बाद कई सामाजिक संस्थाओं ने वरुणा को भी गंगा की तरह स्वच्छ और निर्मल बनाने का संकल्प लेते हुए इस पर ध्यान देने की बात कही.