जन्म के पहले है रिश्ता इसे करें पक्का: जीहां जैसे ही आप के घर में सेकेंड बेबी के जन्म की आहट आए अपने पहले बच्चे का रिश्ता उससे बनाने की शुरुआत भी कर दें. जैसे जन्म के पहले बच्चा अपने माता पिता के साथ दिल का रिश्ता कायम कर लेता है वैसे ही अपने सिबलिंग से भी उसे जुड़ने दें. फर्स्ट बेबी को बतायें की उसका साथी आ रहा है कंप्टीटर नहीं. इसके लिए उसे प्रेगनेंसी में ही बच्चे के साथ कनेक्ट करें. उसे मदर के बेबी बंप को फील करवायें. उसे उसके जन्म की बातें शेयर करते हुए बतायें की ऐसा ही अब आने वाले बेबी के साथ भी होगा. उसके डाइपर चेंज करने से लेकर फीडिंग तक के हर प्रोसेज के बारे में जानकारी दें ताकि जब बच्चा पैदा हो तो पहले बच्चे को नेगलेक्टेड फील ना हो.
तस्वीरों में देखें भाई बहन के प्यार की डोर को मजबूत करने के कुछ कदम
पहले बच्चे को कहे तुम हो बेहद इंर्पोटेंट: पहले बच्चे को बतायें की अब वो आने वाले से बड़ा है तो उसके ऊपर भी इक्वल रिस्पांसिबिलटी है बेबी को संभालने की. उसे बेबी की केयर करनी है जब मम्मी पापा बिजी हों तो न्यू बॉर्न बेबी का ध्यान रखना है. बेहतर होगा उसे मम्मी के हेल्पर का रोल दे दें जिससे वो ज्यादा से ज्यादा टाइम मां और नवजात भाई या बहन के साथ स्पेंड करे और कनेक्शन महसूस करे. जब मिलने जुलने वाले नए आने वाले मेहमान के लिए गिफ्ट लायें तो कुछ छोटे छोटे गिफ्ट पहले से ही बड़े बच्चे लिए तैयार रखें जो उसे साथ में ही दें और गिफ्ट खोलने का काम भी उसे ही करने दें ताकि वो अपने आप को सारी चीजों से अलग थलग ना महसूस करे.
सिर्फ मां की ही नहीं है बच्चों की जिम्मेदारी: यहां जिम्मेदारी से मतलब खाना खिलाने या नहलाने धुलाने से नहीं है बल्कि बड़े बच्चे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करने से है. जब मां को नवजात बच्चे को संभालना हो तो पिता को या परिवार के दूसरे लोगों को पहले बच्चे के साथ शेयरिंग बढ़ानी होगी. ताकि वो पूरे परिवार से अलग थलग पड़ने की बजाय ये समझ सके कि भले ही छोटे के मां पर डिपेंड होने के कारण वो बिजी हो गयी हैं लेकिन असल में पूरे घर के लिए वो ही इंर्पोटेंट है. पहले बच्चे के साथ फेमिली के बाकी सदस्यों को क्वालिटी टाइम स्पेंड करना चाहिए. फिर वो चाहे ग्रैंड पेरेंटस का बच्चे के साथ उसके फेवरेट आइसक्रीम पार्लर पर जाने पास टाइम हो या पापा का उसके साथ फेवरेट स्पोर्ट खेलना.
क्यूंकि कर एक बच्चा स्पेशल होता है: और ये बात उस तक पहुंचनी चाहिए कहने का मतलब ये है कि सभी बच्चे अपने पेरेंटस के फेवरेट होते हैं पर हरेक को लगता है कि मम्मी पापा दूसरे को उनसे ज्यादा चाहते हैं. लिहाजा वो पूछते रहते हैं कि हममें से कौन फेवरेट है या आप किसे ज्यादा चाहते हैं. तो हमेशा पॉलिटिकली करेक्ट आंसर दे कि सब अलग अलग तरह से प्यारे हैं. जैसे फर्स्ट बेबी के लिए कहा जा सकता है कि वो पेरेंटस की पहली संतान है और इस मुकाम पर कभी कोई और नहीं आ सकता. इस तरह सिबलिंग्स भी अपनी जगह आपस में बांट लेंगे और फिर उनमें ना कंप्टीशन होगा ना लड़ाई.
कंपेरिजन ना करें: अपने दो बच्चों के बीच कभी तुलना ना करें. हो सकता है कि एक आर्ट में इंट्रेस्ट रखता हो तो दूसरा फाइनांस में जाहिर है कि हरेक की च्वाइस और पसंद अलग होती है तो ये कभी ना कहें कि दोनों में से कोई एक बेहतर है. क्योंकि हर बच्चे की अपनी अलग क्वालिटी होती है और उसे सराहें. ये भी हो सकता है कि एक बच्चा बेहद ब्रिलियेंट हो और दूसरा एवरेज या बिलो एवरेज पर आपके लिए वो आपके बच्चे हैं और यही उनकी कॉमन स्पेशियलिटी है.
सारी उम्र तुम्हें संग रहना है: इसलिए अपने बच्चों को लड़ने दें, एक दूसरे से बैटर होने की कोशिश करने दें. इसी तरह वो एक दूसरे को समझ सकेंगे. हमेशा दोनों की बात सुनें और सही गलत के डिसीजन की जगह बड़े से कहें कि वो छोटे को सर्पोट करे और छोटे से कहें बड़े की बात सुने. एक दूसरे से छुपा कर बात ना करें लेकिन दोनों की कमियां सामने ना बतायें. पर दोनों को आपस में शेयरिंग की आदत डालें और एक दूसरे से बातें छुपाने से रोकें. उन्हें बतायें कि वे जिंदगी भर साथ रहने वाले हैं इसलिए एक दूसरे के साथ का महत्व समझें.