गंगा पार 'रेत की आकृति की खोज' में आर्टिस्ट्स ने बनायी कलाकृतियां .
रेत के कैनवास पर उकेरे दिल के भाव
बनारस के अलग-अलग इंस्टीट्यूट्स से आए आर्टिस्ट्स के साथ कई सिटीज के आर्टिस्ट्स ने दिखाया दुनिया का दर्द व दिए पॉजिटिव मैसेजेज
राम छाटपार शिल्पन्यास की ओर से आयोजित इस प्रोग्र्राम में देश भर से आए पांच सौ से अधिक आर्टिस्ट्स ने शिरकत की.
अपनी कल्पना को हकीकत का रूप देते हुए ऐसी आकृति गढ़ दी जिसे जीवंत करने के लिए सिर्फ सांसों की कमी भर रही.
भगवान शिव की आकृति.
रेत का विशाल कैनवास मिला तो रंगों की दुनिया सजाने वाले कलाकारों ने भावना को रचना के मुक्त आकाश में विचरने का मौका दिया.
सोमवार को गंगा पार रेत का विशाल मैदान ऐसी ही जीवंत कलाकृतियों से पटा हुआ था.
कलाकारों को अपनी कलाकृति बनाने की स्वतंत्रता थी.
ज्यादातर आकृतियां दुनिया के दर्द पर आधारित थीं.
पर्यावरण संरक्षण के साथ, बेतरतीब तरीके से बाइक चलाने वालों के लिए भी मैसेज दिया गया.
गंगा में गिरती गंदगी की दिखाने वाली आकृति ने हर किसी को सोचने को मजबूर कर दिया.
बनारस के अलग-अलग इंस्टीट्यूट्स से आए आर्टिस्ट्स के साथ दिल्ली, गोरखपुर, इलाहाबाद, आजमगढ़, लखनऊ, मिर्जापुर, सोनभद्र के आर्टिस्ट्स की टीम ने पूरी तन्मयता के साथ अपनी कलाकृति को रूप दिया.
किसी ने पेशावर के स्कूल में मासूमों के कत्ल को दर्शाया तो किसी ने मलेशिया के विमान हादसे को उकेरा.
दिखाया दुनिया का दर्द.
अपनी कल्पना को हकीकत का रूप देते हुए ऐसी आकृति गढ़ दी जिसे जीवंत करने के लिए सिर्फ सांसों की कमी भर रही.
मचल गया हर किसी का दिल.
आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले मदन लाल के अनुसार वर्कशॉप में शामिल होने वाले 13 आर्टिस्ट्स को पुरस्कृत किया गया.
रेत की कला को निहारने आए विदेशी भी खुद को रोक नहीं सके. वह भी अपनी कला को आकार देने में जुट गए.
इसके साथ ही दस बाल कलाकारों को मोटिवेट करने के लिए आर्ट की बुक्स व कला सामग्र्री प्रदान की गयी.
रेत पर एक ओर जहां मंझे हुए कलाकार रेत को आकार दे रहे थे वहीं छोटे-छोटे बच्चे भी कला के जरिए अपने मनोभाव को प्रदर्शित किया.