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'अतुलित बलधामम् हिम शैलाभ देहम्...'

5 photos    |   Updated Date: Sat, 11 Apr 2015 00:32:03 (IST)
1/ 5'अतुलित बलधामम् हिम शैलाभ देहम्...'
'अतुलित बलधामम् हिम शैलाभ देहम्...'

संकटमोचन संगीत समारोह के तीसरे दिन भी कलाकारों ने बजरंगबली के चरणों में अर्पित की कला साधना

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'अतुलित बलधामम् हिम शैलाभ देहम्...'

मनीषा मिश्रा के नृत्य में कथक नृत्य की बारीकियां देखने को मिलीं. उन्होंने सबसे पहले हनुमत स्तुति 'अतुलित बलधामम् हिम शैलाभ देहम्...Ó प्रस्तुत किया. इसके बाद ताल प्रदर्शन करते हुए उन्होंने तीन ताल, 16 मात्रा और विलंबित लय में बनारस घराने की उपज, उठान की प्रस्तुति दी. अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए हुए उन्होंने जयपुर घराने की थाट, छंदात्मक कवित्व, लखनऊ घराने की आमद, लड़ी, द्रुत लय में तोड़े टुकड़े, परन, तिहाइयां, शेर की छलांग व हिरण का शिकार, पशु-पक्षी के बोल पर आधारित बंदिशें, गोपियों संग कृष्ण के भाव जिसमें 51 चक्कर का टुकड़ा, तलबा व घुंघरू में सवाल जवाब, अष्ट मंगल 11 मात्रा में खास बंदिश भी पेश की.

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'अतुलित बलधामम् हिम शैलाभ देहम्...'

कार्यक्रम का समापन बनारस घराने की दादरा प्रस्तुति से की. उनके बाद दिल्ली से आये मनी प्रसाद ने मंच संभाला. उन्होंने राग जनसंबोधिनी में बड़ा ख्याल व छोटा ख्याल प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी. हर श्रोता उनके कंठ से निकल रहे स्वरों पर झूमता दिखा.

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'अतुलित बलधामम् हिम शैलाभ देहम्...'

संकट मोचन संगीत समारोह की दूसरी निशा में गुरुवार को प्रख्यात शास्त्रीय गायक पं. जसराज ने बजरंगबली के चरणों में स्वराजंलि अर्पित की. उनका गायन देर रात को शुरु हुआ व शुक्रवार की भोर तक जारी रहा. उन्होंने राग अहीर भैरव से भोर की अगवानी की. मंच पर आते ही मंदिर परिसर में उपस्थित जनसमुदाय ने उनका स्वागत हर हर महादेव के उद्घोष से किया. उन्होंने सबसे पहले 'आज तो आनंद आनंद भयो...Ó प्रस्तुत किया. इसके बाद प्रभु की महिमा का बखान 'हनुमान लला, राम को राम बनाया तुमने...Ó और फिर 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय...Ó समेत भजन प्रस्तुत किए. रतन शर्मा, तृप्ति मुखर्जी, सप्तऋषि चक्रवर्ती ने गायन में साथ दिया. तबले पर पं. रामकुमार मिश्र, हारमोनियम पर पं. धर्मनाथ मिश्र ने संगत किया.

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'अतुलित बलधामम् हिम शैलाभ देहम्...'

इसके पूर्व पं. विश्वमोहन भïट्ट ने मोहन वीणा व पं. कृष्ण मोहन भïट्ट ने सितार की जुगलबंदी की. राग नट भैरव में आलाप, जोड़, झाला बजाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. तीन ताल में गतकारी की ग्रैमी अवॉर्ड प्राप्त धुन वादन से विराम दिया. तबला पर पं. अनिंदो चटर्जी व अनुव्रत चटर्जी ने संगत किया.

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