यहां हर कोई जानता है कुंग-फु : सेंट्रल चीन के तिआंझु के पहाड़ों में बसा एक गांव ऐसा है, जहां का हर शख्स कुंग-फु जानता है। यूं तो गांक्सी डॉन्ग नाम का ये गांव पहाड़ों के बीच बसा है, लेकिन यहां के लोगों के हुनर की वजह से दुनियाभर में इसे चर्चा मिल रही है। इस गांव के लोगों से मिलने के लिए टूरिस्ट दूर-दूर से आते हैं। एक रिपोर्ट मुताबिक यह एक सेल्फ सस्टेनिंग गांव है। यहां लोग अपनी जरूरत की ज्यातादर चीजों को खुद ही तैयार करते हैं। ये लोग मार्शल आर्ट में बहुत ज्यादा रुचि रखते हैं। यहां के लोग जंगल में घूमने के दौरान भी काफी सतर्क रहते हैं। इतना ही नहीं हाथ से बनाए कई हथियार भी इनके पास हैं।
तस्वीरों में देखें दुनिया के 10 अजब-गजब गांव, यहां की खासियत चौंका देगी आपको
विश्व का सबसे नम गांव : इंडिया का पूर्वोत्तर हिस्सा बहुत खूबसूरत है। धरती के इस हिस्से को प्रकृति ने अपनी तमाम खासियतों से नवाजा है। इनमें से ही एक खासियत ये है कि यह दुनिया का सबसे नम हिस्सा है। आमतौर पर जब भी ज्यादा बारिश की बात होती है तो सभी के जहन में चेरापूंजी का नाम सबसे पहले आता है, जबकि हकीकत ये है कि चेरापूंजी के अलावा भी मेघालय का एक ऐसा गांव है जो सर्वाधिक बारिश के लिए जाना जाता है। देश के पूर्वी छोर पर मेघालय के मासिनराम गांव में साल भर में सबसे ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड दर्ज किया गया है। यहां प्रतिवर्ष 467 इंच बारिश होती है। इसी वजह से इसे भारत का सबसे 'नम' राज्य भी कहा जाता है। यूं भी मेघालय का अर्थ है बादलों का घर। यहां पर मजदूर अक्सर सड़कों पर बांस और केले के पत्ते से बने छातों को अपने शरीर के ऊपर डालकर निकलते हैं।
इस गांव में कर कोई है सिर्फ एक किडनी के भरोसे : नेपाल में भूकंप आने के बाद हुई तबाही में बर्बाद हुए गांवों में एक गांव है 'होकसे'। यहां रहने वाले लगभग हर इंसान ने अपना घर बसाने के लिए अपनी किडनी बेच दी है। इसी बात पर इस गांव का नाम अब 'किडनी वैली' पड़ गया है। गांव को यह नाम क्यों दिया गया, वजह जानकार आप भी हैरान रह जाएंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस गांव में अंगों की तस्करी करने वाले लोग सक्रिय हैं। इनकी बातों में आकर यहां के करीब-करीब हर आदमी एक अदद घर के लिए अपनी किडनी को बेच चुका है। दुर्भाग्य की बात यह है कि गांव के लोगों ने किडनी बेचकर जो आशियाना खुद के लिए बनाया था, वह अप्रैल में आए भूकंप में तबाह हो गया। यहां अधिकतर की हालत दयनीय है। नेपाल सरकार 2007 में किडनी बेचने के खिलाफ कानून बना चुकी है। इसके बावजूद यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
इस इतालवी गांव ने बनाया अपना सूरज :विगानेला इटली का एक छोटा सा गांव है, जो कुछ 130 किलोमीटर उत्तर में मिलान की एक गहरी घाटी के नीचे स्िथत है। बताया जाता है कि ये गांव एक खड़ी पहाड़ी के गलत साइड पर स्िथ्ात है। ये गांव इतनी गहराई में स्िथत है कि घाटियों से घिरा होने के कारण यहां सर्दियों के तीन महीने तक सूरज की रोशनी बिल्कुल भी नहीं पहुंचती। नवंबर में यहां सूरज पूरी तरह से छिप जाता है और फरवरी से पहले नहीं निकलता, लेकिन हाल ही में कुछ लोकल इंजीनियर्स और आर्किटेक्ट्स ने मिलकर इसका एक बेहतरीन समाधान निकाला। इन लोगों ने मिलकर एक बड़ा सा आइना बनाया है, जिससे रिफ्लेक्ट होकर धूप की किरणें इस गांव में पहुंच जाती हैं।
यहां नहीं है कोई सड़क : आप भारत में भले ही टूटी-फूटी सड़कों और जाम से परेशान हों, लेकिन नीदरलैंड्स में एक पर्यटन स्थल ऐसा है जहां सड़क ही नहीं है। जी हां, नीदरलैंड का गिएथूर्न एक बहुत ही प्यारा सा गांव है जहां एक भी सड़क नहीं है। गांव में न गाड़ी दिखेगी न बाइक, लेकिन इस गांव की खूबसूरती देखकर आप यहीं बसने के लिए तैयार हो जाएंगे। आगे की स्लाइड्स में देखें इस खूबसूरत गांव की तस्वीरें।
यहां हर किसी को है डाइमेंशिया एम्सटर्डम के पास एक गांव है, जिसे नाम ही दे दिया गया है डाइमेंशिया गांव का। यहां के करीब 152 निवासियों में हर किसी को कुछ न कुछ समस्या है। इस गांव को इस तरह से बनाया ही गया है ताकि ये एक सामान्य गांव की तरह दिखे। यहां के निवासी रेस्तरां में भोजन करना, चलना और दुकान करने के लिए बिल्कुल स्वतंत्र हैं, लेकिन इनकी ध्यान से निगरानी की जाती है। इस डाइमेंशिया गांव में थिएटर, उद्यान और डाकघर सबकुछ है। यहां हर एक घर में कैमरे लगे हैं, इन लोगों पर निगरानी रखने के लिए। कुल मिलाकर इन सबपर खास निगरानी रखी जाती है।
ये गांव है पूरा नीला : दुनिया में सबसे खूबसूरत जगहों में से एक और एक जुज़कार, जो स्पेन में स्थित है। यहां रहने वाले हर निवासी का घर नीला है। 2011 में सोनी पिक्चर्स की ओर से एक थ्रीडी फिल्म के लिए यहां 12 युवाओं ने अपने घरों को नीले रंग से नहला दिया। उसके बाद धीरे-धीरे सभी ने अपने घरों को नीला कर दिया।
ये है कजाकिस्तान का सोने वाला गांव :पिछले 4 सालों से उत्तरी कजाकिस्तान के कलाची गांव में कुछ ऐसा रहस्य घटित हो रहा है, जिसका कारण समझने में बड़े-बड़े वैज्ञानिकों के पसीने छूट रहे हैं। गांव के लोग एक रहस्यमयी नींद की बीमारी से ग्रसित हैं। यहां किसी को भी कभी भी कुछ भी करते हुए अचानक से नींद आ जाती है और उसकी यह नींद कुछ घंटों से लेकर कई महीनों तक जारी रह सकती है। इस रहस्यमयी नींद की बीमारी के कारण इस गांव को स्लीपी हॉलो भी कहा जाने लगा है। इस रहस्यमयी बीमारी की शुरुआत अप्रैल 2010 में हुई थी और तब से 600 लोगों की अबादी वाले इस गांव में यह बीमारी बढ़ती जा रही है। हालात यह है कि अबतक गांव की 14 प्रतिशत आबादी इस बीमारी की चपेट में आ चुकी है। इस बीमारी की चपेट में आकर इस साल सितम्बर में 8 बच्चे स्कूल की असेम्बली के दौरान सोते हुए गिर गए थे, तभी से इन बच्चों के मां-बाप और डॉक्टर इनके जगने का इंतजार कर रहें हैं।
ये है सिर्फ और सिर्फ बौनो का गांव :चीन के सीच्वान राज्य में एक ऐसा गावं हैं जहां के लगभग आधे निवासियों का क़द, लोगों के अवसत क़द की तुलना में बहुत कम है। इस गांव में रहने वाले 80 में से 36 लोगों के क़द तीन फ़ीट दस इंच से लेकर दो फ़ीट एक इंच के बीच है। अभी तक विशेषज्ञ इसका कारण जानने में सफल नहीं हो सके हैं। इतनी बड़ी संख्या में बौनों के एक स्थान पर रहने का कारण यह गांव बौनों के गांव के नाम से जाना जाता है। गांव के बड़े लोगों का कहना है कि कई साल पहले गांव के कई व्यक्ति एक रहस्यमय रोग में ग्रस्त हो गए थे जिससे पांच वर्ष से लेकर सात वर्ष के बच्चे प्रभावित हुए और उनका क़द बढ़ना रुक गया। इन बच्चों का क़द बाक़ी उम्र यही रहा जबकि उनमें से अनेक बच्चे विभिन्न प्रकार की विकलांगता के शिकार हो गए।
नहीं हैं यहां एक भी घर में दरवाजा :इस दुनिया में एक ऐसा गांव भी जहां किसी भी घर के दरवाजों पर किंवाड़ ही नहीं। इतना ही नहीं बल्कि यहां खिड़कियों तक में दरवाजे नहीं लगाते। बिना दरवाजों के घरों वाला यह गांव महाराष्ट्र में है जिसका नाम शनि सिंगनापुर है। यह गांव महाराष्ट्र में ही नहीं बल्कि पूरे देश में अपने अनोखे घरों के लिए जाना जाता है। इस गांव में रहने वाले लोग चाहे किसी भी धर्म के हों, लेकिन सभी के घरों में ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है। यहां लोगों को चोर की चिंता नहीं है। इस तरह दरवाजे न लगाने की वजह यहां विराजमान शनि महाराज का होना है। लोगों का मानना है कि शनि महाराज ही उनके घरों की रक्षा करते हैं। शनि महाराज के प्रकोप के चलते यहां कोई चोर फटकता तक नहीं।