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तस्‍वीरों में देखें, चिकित्‍सा क्षेत्र के कुछ अविश्‍वसनीय चमत्‍कार

10 photos    |   Updated Date: Wed, 20 May 2015 16:26:11 (IST)
1/ 10तस्‍वीरों में देखें, चिकित्‍सा क्षेत्र के कुछ अविश्‍वसनीय चमत्‍कार
तस्‍वीरों में देखें, चिकित्‍सा क्षेत्र के कुछ अविश्‍वसनीय चमत्‍कार

जब संजू के पेट से ट्यूमर की जगह निकले जुड़वां बच्‍चे : संजू भगत, भारत के मूल निवासी. 1999 में जब संजू को सांस की दिक्‍कत के कारण अस्‍पताल में भर्ती होना पड़ा, उस समय से वह अपने असामान्य रूप से बड़े पेट के साथ जी रहे हैं. उस समय वह 36 साल के थे, जब डॉक्‍टरों ने उनके पेट में ट्यूमर होने का संदेह जाहिर किया और उसको ऑपरेट करवाने को कहा. ऑपरेशन करने के लिए जब उनका पेट खोला गया तो डॉक्‍टरों ने पाया कि वहां आंशिक रूप से भ्रूण का गठन हुआ है, जिसके हाथों और पैरों का विकास हो चुका है. कुल मिला वह प्रेग्‍नेंट था. यही नहीं उसके भ्रूण्‍ा में दो बच्‍चे थे. आम तौर पर अर्द्धविकसित जुड़वा बच्‍च्‍ो मर जाते हैं, लेकिन भगत के केस में दोनों जिंदा थे. उनको बाहर निकाला गया, लेकिन उनके पास दिमाग और विकसित शारीरिक अंग नहीं थे, इसलिए दोनों को मार दिया गया. अब भगत बिल्‍कुल सही हैं.

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मरीन ब्‍वॉय : 4 दिसंबर 1987. 11 साल का अलवेरो गारज़ा अचानक नॉर्थ डकोता में रेड रिवर (लाल नदी) में गिर गया. इस नदी का पानी इतना ठंडा होता है कि हड्डियों तक को पिघला दे. उसकी आवाज सुनकर जब तक उसे बाहर निकाला जाता, 45 मिनट तक उसे उसी ठंडे पानी के अंदर रहना पड़ा. अब उसकी जिंदगी वाकई दवाओं और चिकित्‍सा की देन है. गला देने वाली ठंड के कारण डॉक्‍टर्स ने उसे मैमालियन रिफ्लेक्‍स नाम के निमोनिया से बचाया. इसके बाद उनके दिमाग में सूजन आ गई, शरीर के महत्‍वपूर्ण कार्यों में दिक्‍कत आने लगी, लेकिन डॉक्‍टर्स ने उन्‍हें किसी भी तरह बचा लिया. अब गारज़ा 36 साल के हैं और अपनी पत्‍नी और चार बच्‍चों के साथ सुखी जीवन बिता रहे हैं.

3/ 10तस्‍वीरों में देखें, चिकित्‍सा क्षेत्र के कुछ अविश्‍वसनीय चमत्‍कार
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जिंदगी कभी नहीं रुकती... :1987 में बाल्‍टीमोरे के पुलिस ऑफीसर जीनी कैसिडी को दो बार सिर पर गोली लगी, जब वह किसी को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रहे थे. कैसिडी को तुरंत डॉक्‍टर के पास ले जाया गया और वह सही भी हो गए, लेकिन उन्‍होंने अपनी आंखों की रोशनी हमेशा-हमेशा के लिए गवां दी. कैसिडी ने फ‍िर भी जीना नहीं छोड़ा. इसके बाद उन्‍होंने जॉन्‍स होपकिन्‍स यूनिवर्सिटी से मास्‍टर्स डिग्री ली और बाल्‍टीमोरे की पुलिस अकादमी के टीचर बन गए. परेशानियों ने कैसिडी का दामन अभी भी नहीं छोड़ा. गनशॉट के ट्रीटमेंट के दौरान उन्‍हें हेपेटाइटिस सी ने जकड़ लिया. इसको लेकर अब उन्‍हें लीवर ट्रांसप्‍लांट की जरूरत पड़ गई. वो भी उन्‍होंने करवा लिया. इन सब परेशानियों के बाद भी कैसिडी अभी भी यही कहते हैं कि जिंदगी कभी नहीं रुकती, हमेशा चलती रहती है.

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इसे कहते हैं परिवार की असली वफादारी : 1984 में टेरी वैलिस 20 साल के थे, जब उनका ट्रक एक पुल से फ‍िसल गया. इस दुर्घटना ने उनके गर्दन से नीचे पूरे हिस्‍से को पूरी तरह से निष्क्रिय कर दिया. कई डॉक्‍टर्स को दिखाने पर सभी ने सिर्फ एक ही जवाब दिया कि वो अब कभी ठीक नहीं हो सकते. डॉक्‍टर्स के ऐसे जवाब के बावजूद वैलिस के परिवार ने उम्‍मींद नहीं छोड़ी और उनके शरीर के लगभग सभी अंगों के निष्क्रिय होने के बावजूद उन्‍हें हर पारिवारिक समारोह में उपस्थित कराया. अब उनके परिवार की वेबसाइट पर गौर करें तो उसपर अपलोड किया हुआ उनका फैमिली फोटो एलबम ये बताता है कि डॉक्‍टर्स का वो फैसला कितना गलत था. एलबम में हर एक साल की क्रिसमस पार्टी पर वैलिस की फोटो है. हर फोटो में वैलिस के सिर पर सेंटा क्‍लॉज़ की कैप लगी हुई है. शुरुआत की उनकी फोटो में उनके सिर पर सेंटा की कैप है, वह अपनी बड़ी आंखों से सीधे कैमरे के लेंस की ओर देख रहे हैं, मुंह खुला हुआ है और चेहरे पर कोई भी हाव-भाव नहीं हैं. इसके बाद 2003 में एक्‍सीडेंट के करीब 19 साल बाद वह खुद इस बात को बताते हुए नजर आते हैं, वह कहते हैं कि वह अभी भी खुद को 20 साल का महसूस करते हैं. वैलिस इस समय अब सब कुछ बेहद आराम से बोलते हैं. सिर्फ उनकी थैरेपी हर रोज बिना रुके चलती है.

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जब चाभी चली गई आंखों के रास्‍ते दिमाग तक : 2008 में 17 महीने का निकोलस होल्‍डरमैन अपने भाई के साथ खेल रहा था. खेलते-खेलते वह अचानक चाभियों के गुच्‍छे पर गिर पड़ा. उनमें से एक चाभी निकोलस की आंखों के अंदर घुस गई और अंदर के ही रास्‍ते उसके दिमाग तक पहुंच गई. चाभियों को निकाल लिया गया और उसके तीन महीने बाद उसकी आंखों की रोशनी को भी पूरी तरह से सही कर दिया गया. साथ ही ईश्‍वर की कृपा से कोई अन्य अवशिष्ट प्रभाव भी नहीं हुए.

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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड नहीं होता हर बार सही : ये सच है कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकॉर्ड हर बार आपके लिए सकारात्‍मक नहीं होता. अब माइकल हिल को ही ले लीजिए. इन्‍हें हाल ही में खोपड़ी से सबसे लंबी वस्‍तु को निकलवाने के लिए इस रिकॉर्ड से नवाजा गया. 1998 में हिल के सिर में 8 इंच का छुरा घोंपा गया था. इस घटना के बाद हिल सिर पर इस छुरे को लिए हुए अपने दोस्‍त के घर तक गए. वहां से उनका दोस्‍त आनन-फानन में उन्‍हें अस्‍पताल लेकर पहुंचा. यहां डॉक्‍टरों ने उनके सिर से छुरा तो निकाल दिया, लेकिन इस घटना के बाद उनका दिमाग पूरी तरह से खराब हो गया और उनके शरीर का बायां हिस्‍सा पूरी तरह से लकवाग्रस्‍त हो गया.

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नहीं है नीचे का शरीर, फ‍िर भी चल रहे हैं : 1995 में पेंग श्‍विलिन का शरीर बीच से उस समय कट गया, जब वह चीन में अचानक दौड़ते हुए एक ट्रक के सामने आ गए. इनको आनन-फानन में डॉक्‍टर्स के पास ले जाया गया, तो डॉक्‍टर्स ने बताया कि उनके शरीर का नीचे का हिस्‍सा पूरी तरह से खराब हो गया है. इसके चलते डॉक्‍टर्स ने उनके शरीर के नीचे के हिस्‍से को काटकर अलग कर दिया और ऊपर के हिस्‍से को पूरी तरह से सिल दिया. इसके बाद डॉक्‍टर्स ने उनके इंटरनल पार्ट्स की अनगिनत सर्जरी को लेकर पूरे दो साल उन्‍हें अस्‍पताल में ही रखा. इस दौरान उनके पूरे हाथों और सीने में सबसे ज्‍यादा ताकत देने की कोशिश की गई. इसके अलावा कृत्रिम शरीर और बैसाखी के सहारे वह अपनी ताकत से चल सकने के काबिल हुए. अब उन्‍होंने एक बार्गेन सुपरमार्केट में खुद का स्‍टोर खोला है, उसको नाम दिया है 'Half Man-Half Price Store'. हम में से हर एक को इनकी हिम्‍मत से प्रेरणा लेनी चाहिए.

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जोन्‍स अब अपने दांतों से देख रहे हैं दुनिया को : मार्टिन जोन्‍स, एक ब्रिटिश स्क्रैप यार्ड कार्यकर्ता. इन्‍होंने 1997 में अपनी आंखों की रोशनी खो दी. यह उस समय की घटना है जब पिघले हुए एल्यूमीनियम के टब में उनके मुंह के सामने विस्‍फोट हो गया. 2009 में डॉक्‍टर ने उनको ठीक करने के लिए एक बेहद रेयर प्रोसिजर का इस्‍तेमाल किया. डॉक्‍टर्स ने उनके मुंह से दांत को निकालकर उसके साथ ऑप्टिकल लेंस को उनकी आंखों पर फ‍िक्‍स किया. इस दांत को जोन्‍स के आई सॉकेट में फ‍िट किया गया. अब वह अपनी इस एक आंख से दुनिया को देख सकते हैं. डॉक्‍टर्स की ओर से इस पूरे ट्रीटमेंट में कुल चार महीने लगे. इसके बाद अब जोन्‍स अपनी पत्‍नी को देख सकते हैं, जिनसे उन्‍होंने इस एक्‍सिडेंट के काफी सालों बाद शादी की थी.

9/ 10तस्‍वीरों में देखें, चिकित्‍सा क्षेत्र के कुछ अविश्‍वसनीय चमत्‍कार
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70 साल में मिला मां बनने का सुख : रज्‍जो देवी लोहान और उनके पति ने कई साल गुजार दिए बच्‍चा होने के इंतजार में. एक अर्से के बाद उन्‍हें एडवांस हो चुकीं मॉर्डन दवाओं और इलाज के बारे में मालूम पड़ा. अब इस जोड़े ने एक एग डोनर और इंट्रा साइटोप्‍लास्मिक शुक्राणु इंजेक्शन का सहारा लिया. इससे 2008 में इस लोहान जोड़े ने एक बच्‍चे को जन्‍म दिया. इसके बाद हालांकि रज्‍जों को काफी शारीरिक समस्‍याएं हुईं, लेकिन उनका कहना है कि पूरी उम्र उन्‍होंने मां बनने का इंतजार किया. अब वह सुख मिला है, तो उसके आगे ये सभी समस्‍याएं बहुत छोटी महसूस होती हैं.

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जैसे दो जिस्‍म, एक जान हों :चिकित्‍सा के क्षेत्र में ऐसे कई केस देखने में आए हैं, जब दो बच्‍चे आपस में बेहद मजबूती के साथ जुड़े हुए पैदा होते हैं. ऐसे में दोनों को अलग करने या दोनों की जिंदगी के बारे में कुछ भी कह पाना इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों के कौन से अंग जुड़े हैं. उदाहरण के तौर पर अगर कोई दो बच्‍चे एक ही दिल से जुड़े होते हैं तो उनके बचने की उम्‍मींद बहुत कम होती है. रॉनी और डॉनी गेलन आपस में जुड़े दुनिया के सबसे उम्रदराज इंसान हैं. इनकी उम्र 61 साल है. इन दोनों के अलग-अलग पेट हैं, फेफड़े हैं और दिल भी अलग हैं, लेकिन दोनों में एक ही बड़ी आंत और एक ही पुरुष प्रजनन अंग हैं. मतलब इन दोनों के शरीर के ये अंग आपस में जुड़े हैं. इनका इतनी लंबी उम्र तक भी सही सलामत रहना किसी चमत्‍कार से कम नहीं.

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