देवाधिदेव महादेव के साथ भक्तों ने रंग खेल कर होली खेलने की मांगी अनुमति
भोले के भाल सजा होली का गुलाल
महंत डॉ. कुलपति तिवारी के आवास से गोधुलि बेला में बाबा विश्वनाथ के चलायमान रजत विग्रह की पालकी निकली. उनके पीछे था बाबा के बारात में शामिल लोगों का अपार जनसमूह. घरों की छतों पर बाबा की एक झलक पाने के लिए लोगों की हजारों आंखें पलक पावड़े बिछाए हुए थीं. हर ओर अबीर-गुलाल की बौछार थी और पूरा वातावरण रंगों से सराबोर था.
ढोल, नगाड़े और शहनाई के मधुर स्वरों के बीच रह-रह कर उठ रहे हर हर महादेव के उद्घोष वातावरण को और भी भव्य बना रहे थे. भक्त जगह-जगह भगवान के रजत विग्रह पर गुलाब की पंखुडिय़ों की बारिश कर रहे थे. साल में एक बार निकलने वाले बाबा के रजत विग्रह को मंदिर के गर्भगृह तक ले जाया गया. लोगों का उत्साह सारी सीमाएं तोडऩे को आतुर था. उन लोगों की खुशियों का तो कोई पारावार ही नहीं था जिन्हें पालकी को कंधे पर उठाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ.
बाबा विश्वनाथ के इस अलौकिक रूप का दर्शन करने के लिए लोगों का रेला दोपहर बाद से ही विश्वनाथ गली में पहुंचने लगा था. बाबा के दरबार को फूल-पत्तियों व रंगीन झालरों से काफी भव्य तरीके से सजाया गया था.