जॉली एलएलबी: जॉली एलएलबी में फिल्म में सौरभ एक न्यायाधीश सुंदर लाल त्रिपाठी जी (सौरभ शुक्ला) की भूमिका मे हैं. जॉली एलएलबी, भारत की न्याय व्यवस्था पर एक व्यंग्य हैं. जगदीश त्यागी उर्फ जॉली (अरशद वारसी) एक संघर्षरत वकील है जो अपने क्षेत्र में एक बड़ा नाम बनना चाहता है. ऐसे में इस फिल्म में जज के रुप में सौरभ शुक्ला ने बेहतरीन अभिनय किया है. सौरभ शुक्ला को दर्शकों ने खूब सराहा. फिल्म में सौरभ का किरदार ड्रामे के साथ साथ बदलता रहता है. इस फिल्म के आने के बाद लोग सौरभ शुक्ला को सुंदर लाल त्रिपाठी के नाम से पुकारने लगे थे.
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बर्फी:2012 में आयी फिल्म बर्फी में उन्होंने पुलिस वाले का रोल प्ले किया है. बर्फी में बर्फी जॉनसन (रणबीर कपूर) जो एक शरारती किस्म का मुकबधिर युवक है. वह अक्सर जो बिजली का खंभा काटना, मासूम लोगों के साथ ठिठोली करना जैसे कार्य करता है, जिसकी वजह से स्थानीय पुलिस अधिकारी सुधांशु दत्ता (सौरभ शुक्ला) उसका पीछा करते रहते हैं. जिसमें पुलिस अधिकारी सुधांशु दत्ता के मन में बर्फी के उपद्रवों की जांच करते-करते उसके प्रति लगाव उत्पन्न हो चुका है.
किक:पिछले साल 2014 में आयी डायरेक्टर साजिद नाडियाडवाल की फिल्म किक में भी सौरभ ने शानदार अभिनय किया. सलमान खान और जैकलिन फर्नाडीज अभिनीत इस फिल्म में उन्होंने पिता की भूमिका अदा की है. वह फिल्म में एक राजनायिक होने के साथ जैकलिन यानी कि शायना के पप्पा बने है. फिल्म की शुरुआत होती है शायना से जो कि अपने पिता के कहने पर हिमांशू त्यागी (रणदीप हुड्डा) से मिलती है, जो कि पुलिस इंस्पेक्टर है.
पीके:अभी बीते 19 दिसंबर 2014 में आयी निर्देशक राजकुमार हिरानी की फिल्म पीके में भी सौरभ ने अभिनय किया है. इस फिल्म में इन्होंने यह एक बाबा की भूमिका के रूप में नजर आये. इस फिल्म में वह एलियन बने आमिर खान से पंगा लेते नजर आये हैं. फिल्म में दर्शकों ने उन्हें तपस्वी महराज के रोल में काफी सराहा है. फिल्म में बाबा के नकाब में उन्होंने विलेन का पार्ट अदा किया है. जिससे वह अपने निगेटिव किरादार में भी काफी अच्छे लगे.
‘सत्या’:सौरभ शुक्ला ना केवल उम्दा कलाकार बल्कि बेहतरीन निर्देशक, संवाद लेखक, स्क्रिप्ट राइटर, गीतकार भी हैं. एक फिल्म में तो वे गा भी चुके हैं. वे कितने प्रतिभावान हैं यह बात कई फिल्मों के जरिये साबित हो चुकी हैं. 1998 में आयी फिल्म सत्या में इन्होंने कालू मामा का रोल कर कर चुके हैं. ‘सत्या’ के कल्लू मामा को कौन भूला सकता है? इस रोल ने सौरभ को आम दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय कर दिया. कल्लू मामा के रूप में लोग उन्हें पहचानने लगे. इतना ही नहीं लोग उन्हें सिर्फ 'कल्लू मामा' के नाम से ही नहीं बुलाते बल्कि कुछ तो उन्हें 'मामा काणे' कह कर भी बुलाते.