स्टूडेंट्स में इंजीनियरिंग फील्ड में कॅरियर बनाने को लेकर गजब की चाहत है. इसका पता इंजीनियरिंग गेटवेज में उमड़ी भीड़ को देख कर लगा. रजिस्ट्रेशन के लिए स्टूडेंट्स की लंबी लाइन लगी हुई थी. कोई भी इस मौके को चूकने नहीं देना चाह रहा था. बहुत से स्टूडेंट्स ने तो पहले की रजिस्ट्रेशन करा रखा था लेकिन बहुतों ने ऑन स्पॉट रजिस्ट्रेशन की सुविधा का लाभ उठाया. स्टूडेंट्स को गेटवेज किट फ्री में दिया जा रहा था. इसके साथ ही जब सेशन खत्म हुआ तो स्टूडेंट्स को रिफ्रेशमेंट पैकेट भी दिया गया.
इंजीनियर बनना है तो पहले 'इडियट' बनिए जनाब...
गजब का दिखा उत्साह.
इंजीनियरिंग गेटवेज में स्टूडेंट्स को राजीव खुराना और दूसरे एक्सपट्र्स से इंजीनियरिंग में कॅरियर बनाने के जरूरी टिप्स लिए.
इसके पूर्व इंजीनियरिंग गेटवेज का इनॉगरेशन दीप प्रज्जवलन के कार्यक्रम से हुआ. वीआईटी के पीआरओ नंद कुमार, प्रो रामचंद्र रेड्डी, आई नेक्स्ट के सीओओ आलोक सांवल, जागरण प्रकाशन समूह के दक्षिण भारत के वाइस प्रेसिडेंट एन राजशेखर ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की. इस मौके पर दैनिक जागरण के एडिटोरियल हेड आलोक मिश्रा, एजीएम अंकुर चड्ढा भी मौजूद रहे. गेस्ट्स का स्वागत आई नेक्स्ट वाराणसी के सीनियर न्यूज एडिटर विश्वनाथ गोकर्ण ने किया. इस अवसर पर आई नेक्स्ट परिवार के सभी सदस्य मौजूद थे.
बात शुरू हुई तो उससे हजार बात निकली और एक्सपट्र्स ने उन हर बात का समाधान स्टूडेंट्स का दिया. एक्सपट्र्स ने टाइम मैनेजमेंट, स्मार्ट वर्क जैसे विभिन्न मुद्दों पर स्टूडेंट्स के साथ चर्चा की.
मोटिवेशन गुरु राजीव खुराना ने पहले इडियट को बड़ा खास वर्ड बताया. उन्होंने इडियट के आई को इंटेलिजेंट, डी को डिलिजेंट, आई को इंफाम्र्ड और ओ को आर्गनाइज्ड और टी को टैलेंट के रूप में डिस्क्राइब किया. उन्होंने स्टूडेंट्स को बताया कि अगर आप में इडियट बनने की क्षमता हो तो दुनिया का कोई भी कॅरियर आपके लिए आसान है. बस इतना सुनना था कि खचाखच भरे ऑडिटोरियम में बैठे स्टूडेंट्स खुद को इडियट बताने लगे. पूरे हॉल में 'आई एम एन इडियटÓ गंूजने लगा. राजीव खुराना ने स्टूडेंट्स को कुछ इसी अंदाज में इंजीनियर के हर लेटर को अलग अलग से डिस्क्राइब कि और स्टूडेंट्स को इंजीनियरिंग के फील्ड में अपना कॅरियर बनाने के लिए मोटिवेट किया.
स्टूडेंट्स ने भी एक्सपट्र्स से बहुत से सवाल पूछे जिसका उन्होंने जवाब दिया.
इसके साथ ही उन्होंने स्टूडेंट्स से उनके पेरेंट्स की इच्छाओं का सम्मान करने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि पेरेंट्स उन रास्तों पर चल चुके होते हैं जिन पर बच्चे चलने की सोच रहे होते हैं. इसलिए पेरेंट्स का एक्सपीरियंस बच्चों से हमेशा अधिक होता है.
कार्यक्रम को दो सेशंस में डिवाइड किया गया था. हर सेशन के एक्सपट्र्स ने स्टूडेंट्स को इंजीनियरिंग की तैयारी करने के लिए जरूरी टिप्स दिये. पहले सेशन में आईआईटी बीएचयू के बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के प्रो. प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर वीके मिश्रा और वीआईटी यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो रुकुनूद्दीन गालिब, कैट के डायरेक्टर इंजीनियर प्रतीक उपाध्याय, इंजीनियर अतुल शर्मा, इंजीनियर एसके अग्रवाल ने स्टूडेंट्स को जरूरी टिप्स दिये.
एक्सपट्र्स ने पेरेंट्स से कहा कि आप अपनी इच्छा बच्चों पर मत थोपिये और उन्हें अपनी चाहत के अनुसार कॅरियर चुनने का मौका दीजिए.
इंटरनेशनल मैनेजमेंट ट्रेनर राजीव खुराना ने बहुत ही आसान तरीके से जिंदगी के गणित से स्टूडेंट्स को परिचित कराया. उन्होंने कहा कि आम आदमी अगर 22 साल की उम्र से 60 साल तक पर डे 10 घंटे काम करता है तो इस दौरान वह तकरीबन 95 हजार घंटे वर्क करता है. उन्होंने कहा कि जिस काम को करने में हम अपनी जिंदगी के 95 हजार घंटे बिताने वाले हैं उसे चुनने में कम से कम ईमानदारी के 95 घंटे तो चाहिए ही. इन घंटों में आप अपने बेहतर के बारे में सोचिए और निर्णय लीजिए.
आई नेक्स्ट की ओर से आयोजित वीआईटी प्रेजेंट इंजीनियरिंग गेटवेज के दूसरे दिन राजीव खुराना ने कॅरियर चॉइस के बारे में स्टूडेंट्स को झकझोर कर रख दिया. एक इंसान पूरी लाइफ कॅरियर के दौरान ड्यूटी करने में 95000 घंटे स्पेंड करता है. लेकिन अपना कॅरियर चुनने के बारे में सोचने के लिए वह 95 घंटे भी इत्मीनान से नहीं सोचता. बस पैरेंट्स की ख्वाहिश, दोस्तों के देखा-देखी या सुनी-सुनाई बात को लेकर वह डॉक्टर, इंजीनियर या सिविल सर्वेंट बनाने के लिए तैयारी शुरू कर देता है. आज के बच्चे ये भी नहीं जानना चाहते है इंजीनियरिंग उनके बस की है या नहीं या फिर कौन सा फील्ड उनके लिये सूटेबल है, बस शुरू हो जाते हैं.
दूसरे दिन भी उमड़े शहर भर के स्कूलों के स्टूडेंट्स.
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ सभागार में आयोजित इंजीनियरिंग गेटवेज के दूसरे दिन मोटिवेशन गुरू राजीव खुराना ने कहा कि लाइफ में आपको क्या करना है इसका फैसला भी आपको ही करना है. कोई दूसरा आपके बारे में कैसे फैसला ले सकते हैं. मम्मी की चाहत है कि मैं इंजीनियर बनूं इसलिए इंजीनियरिंग की तैयारी कर रहा हूं, यह गलत है. जिसमें आपको इंटरेस्ट लगे वो कीजिए. अपने पेरेंट्स से खुल कर बात कीजिए और उन्हें अपने इंटरेस्ट के बारे में बताइये. 95 घंटे सोचते वक्त पैरेंट्स को भी उसमें शामिल कीजिये. पैरेंट्स से पूछिये कि आप मुझे डॉक्टर, इंजीनियर बनाना देखना चाहते हैं या एक सफल और सुखी इंसान? ऐसा नहीं किया तो आप भी जिंदगी भर दुखी रहेंगे और आपके पेरेंट्स भी. कोई भी पेरेंट्स अपने बच्चे को सफल, सुखी और संतुष्ट बनाना चाहता है न कि डॉक्टर या इंजीनियर.
एक्सपर्ट सेशन के बाद स्टूडेंट्स से उनका इंटरैक्शन हुआ. ओपेन हाउस नाम इस सेशन में स्टूडेंट्स ने एक्सपट्र्स से सवालों की लाइन लगा दी. एक्सपट्र्स ने भी स्टूडेंट्स के हर सवाल का बड़े ही अच्छे तरीके से जवाब देकर उनकी श्ंाकाओं का समाधान किया. इसके पूर्व दूसरे दिन के कार्यक्रम शुभारंभ राजीव खुराना, वीआईटी यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो रुकुनुद्दीन गालिब, आई-नेक्स्ट के सीनियर न्यूज एडीटर विश्वनाथ गोकर्ण व आईनेक्स्ट परिवार के मेंबर्स ने दीप प्रज्जवलित कर किया. आई नेक्स्ट के इंजीनियरिंग गेटवेज की एक खास बात यह रही कि हर सेशन का समापन राष्ट्रगान से हुआ. स्टूडेंट्स के साथ टीचर्स, एक्सपट्र्स सभी ने एक साथ खड़े होकर देश के सम्मान में राष्ट्रगान गाया. राष्ट्रगान के दौरान पूरे ऑडिटोरियम में देशभक्ति का एक अलग ही माहौल कायम हुआ.