मृत बच्चों के पुतलों का कुछ इस तरह ख्याल रखा जाता है कि जब घर के बाकी बचचों के कपड़े बनते हैं तो उसी कपड़े से काट कर पुतलों के लिए भी नए कपड़े सिले जाते हैं।
तस्वीरों में देखें कैसे मरी हुई संतानों को भी पालते हैं मातापिता
खुद चाहे गंदे बिस्तर पर सोयें पर माता पिता अपने बच्चों को साफ सुथरे बिस्तर पर सुलाते हैं।
ये हैं होनयागा जो अपने बच्चों के पुतले को कलेजे से लगा कर घूमती हैं।
अगर बच्चों की फेमिली सफर पर गयी है या किसी और कारण से बच्चों को छोड़ना है तो इपन पुतलों के लिए शिशु सदन भी होते हैं जहां उनका ध्यान रखा जाता है।
होनयागा अपने बच्चों को दरिया किनारे स्नान के लिए ले जाती हैं और फिर सारी बची सामग्री बहा देती हैं ताकि बुरी आत्मायें उसे नुकसान ना पहुंचा सकें।
होनयागा के पति भी उनकी मदद करते हैं और वे भी अपने काम पर जाते हुए अक्सर बच्चों के पुतलों को अपने साथ लेकर जाते हैं।
एक और फॉन आदिवासी अपने वूडू बच्चों के साथ।
वुडू बच्चों को हर रोज छोटी छोटी कुर्सियों पर बैठा कर खाना परोसा जाता है।
इतना ही नहीं इन वुडू चाइल्ड को खाने के साथ साफ्ट ड्रिंक्स भी ऑफर किए जाते हैं जो बच्चों की पसंद होते हैं और आदिवासी मानते हैं चीनी की चीजों का खाने में शामिल होना आवश्यक है।