राधे मां का जन्म 4 अप्रेल, 1965 को पंजाब के गुरदासपुर जिले के दोरंगला गांव में हुआ। यह गांव भारत-पाक सीमा के करीब है।
कैसे सुखविंदर से राधे मां बन गई बब्बो
उनका असली नाम सुखविंदर है। घरवाले उन्हें प्यार से बब्बो बुलाते थे। उनके पिता पंजाब सरकार के रिटायर्ड अधिकारी हैं।
उन्होंने 10वीं तक पढ़ाई की। 18 वर्ष की उम्र में उनका विवाह होशियारपुर के मुकेरिया गांव निवासी मोहन सिंह से हुआ। उनके दो बेटे हैं।
उनके जीवन में मोड़ परमहंस बाग डेरा के श्रीश्री 1008 महंत रामदीन दास से मुलाकात के बाद आया। 23 साल की उम्र में उन्होंने अध्यात्म के रास्ते पर चलने का फैसला लिया।
समय के साथ उनके भक्तों और उनकी लोकप्रियता में इजाफा होता गया। उन्हें उनके भक्त श्री राधे गुरू मां या गुरु मां कहकर बुलाते हैं।
दस साल पहले वह मुंबई आ गईं। तब से वह यही हैं। बोरीवली, मुंबई स्थित मल्टी स्टोरी राधे मां भवन में वह भक्तों को दर्शन देती हैं। दर्शन के लिए टोकन इश्यू किए जाते हैं।
भवन में ही राधे मां का चेंबर है जिसे गुफा कहा जाता है। वह प्रवचन नहीं देती हैं।
उन पर मुंबई में एक महिला को मानसिक व शारीरिक रूप से सताने व उससे दहेज की मांग करने का आरोप लगा है। महिला के पति सहित सात लोगों के खिलाफ मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश पर आपराधिक मामला दर्ज हुआ है।
उन पर एफआईआर दर्ज होने के बाद अखाड़ा परिषद की ओर से जूना अखाड़े को राधे मां को बतौर महामंडलेश्वर नासिक कुंभ मेले और किसी भी धार्मिक आयोजन में उनके शामिल न होने की सलाह दी है।
वकील फाल्गुनी ब्रह्मभट्ट की ओर से राधे मां के भक्तों को गले लगाने व चूमने को लेकर आपत्ति पर भी पूर्व में विवाद हो चुका है।