दबाव पर भारी पड़ा जुनून  

सौरभ अनुराज बिहार के नालंदा जिले के हिलसा के रहने वाले हैं। पिता राज कुमार मजूमदार रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं और मां अनुपम सरकार हाउस वाइफ  हैं। दोनों ने इकलौते बेटे को प्रशासनिक अधिकारी बनाने का सपना देखा था। उम्मीद थी बेटा अफसर बनकर उनका नाम रोशन करेगा। मां-बाप के दबाव के बाद भी सौरभ का जुनून तो फोटोग्राफी को लेकर ही था। पटना से ग्रेजुएशन करने के बाद तार्किक दिमाग से उन्होंने वीआईटी वेल्लोर में बीटेक में एडमिशन लिया, लेकिन पढ़ाई से अधिक उनका जुनून फोटोग्राफी में ही था।

दिल्ली से शुरू हुआ सफर

एक साल की पढ़ाई के दौरान ही उन्हें बेस्ट फोटोग्राफर का अवॉर्ड मिला और इसके बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी। सौरभ को लगा कि पढ़ाई से एक इंजीनियर बन सकते हैं लेकिन उन्हें तो एक ऐसा फोटोग्राफर बनना था जिसकी डिमांड पूरे देश में हो। घर वाले नाराज हुए लेकिन वह इसकी परवाह किए बगैर दिल्ली में एडिटिंग का कोर्स करने चला गया और वहीं से उनके करियर का नया सफर शुरू हुआ जिसके बाद उनका जमाना आ गया।

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इमरान हाशमी भी हो गए फैन

सौरभ बताते हैं कि दिल्ली में एडिटिंग का कोर्स करने के बाद कई जगह से नौकरी का ऑफर मिला लेकिन किसी के बंधन में काम करने के बजाए खुद फोटोग्राफी के क्षेत्र में बड़ा करना चाहते थे। कोर्स करने के बाद जब उन्होंने जनता टू के प्रमोशन की फोटो शूट की तो इमरान हाशमी भी उनके फैन हो गए। सौरभ को क्रेडिट देते हुए इमरान ने उनकी फोटो सोशल मीडिया पर वायरल की थी। उन्होंने दिल्ली में कुछ दिनों तक फैशन के लिए फोटोग्राफी की और फिर वेडिंग फोटोग्राफी में अपने हाथ का जादू दिखाने लगे।

जो सपना देखा था वह हो गया पूरा

सौरभ का सपना था कि पटना से देश के लिए डिमांडेड फोटोग्राफर बने और ऐसा हुआ भी। आज वह अपनी कला से देश के कई बड़े शहरों में काम के लिए बुलाए जाते हैं। सौरभ का कहना है कि वर्ष 2012 से वेडिंग फोटोग्राफी का काम कर रहे हैं और हर दिन कुछ  नया करने की कोशिश करते हैं। पटना में 2012 म्याउ स्टूडियो से वेडिंग फोटोग्राफी कर रहे हैं और अब इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना चुके हैं।

सौरभ की 25 सदस्यीय टीम  

सौरभ बताते हैं कि टीम में 25 मेंबर हैं और सभी जुनूनी हैं। सभी पैसा कमाने के बजाए काम पर अधिक ध्यान देते हैं। टीम में 10 से 15 फोटोग्राफर हैं शेष एडिटर और  ऑफिस स्टाफ  है। सौरभ का कहना है कि आज उनका जमाना है। घरवाले भी गर्व करते हैं कि बेटा प्रशासनिक अफसर नहीं बना फिर भी फोटोग्राफी के क्षेत्र में इतना नाम कमा लिया कि वह गौरवान्वित हैं। सौरभ के पिता ने उनकी सफलता से खुश होकर उन्हें कार गिफ्ट की है। सौरभ बताते हैं कि आज जिस मुकाम पर हैं वह मंजिल नहीं बल्कि पड़ाव है। अभी फोटोग्राफी के क्षेत्र में बहुत कुछ करना है।

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