- बदलते लाइफ स्टाइल में स्टूडेंट्स को शारीरिक और मेंटली फिट रखने की कवायद

- आउटडोर एक्टिविटिज कम होने से पनप रहीं स्टूडेंट्स के भीतर नई-नई बीमारियां

आगरा। स्टूडेंट्स पर पढ़ाई का बोझ व गैजेट्स के प्रति बढ़ते रूझान के चलते बच्चों में आउटडोर एक्टिविटिज काफी कम होती जा रहीं हैं। इससे बच्चों की न केवल सेहत खराब हो रही है, बल्कि उनमें तरह-तरह की बीमारियां भी घर कर रही हैं। स्टूडेंट्स की इस समस्या पर विचार करते हुए इसी सेशन से सीबीएसई ने नाइंथ से बारहवीं के स्टूडेंट्स के लिए हेल्थ एंड फिजीकल एजुकेशन (एचपीई) अनिवार्य कर दिया गया है। इससे स्टूडेंट्स को शारीरिक रूप से फिट रखा जा सके। इससे पूर्व यह पैटर्न पश्चिमी देशों के स्कूलों में शुरू किया गया था।

ओवरऑल डेवलपमेंट की कवायद

सीबीएसई द्वारा अभी तक ग्यारहवीं और बारहवीं में एचपीआई आप्शनल सब्जेक्ट के रूप में था। विकसित देशों के स्कूलों की तर्ज पर भारत में भी सीबीएसई ने स्टूडेंट्स के ओवरऑल डेवलपमेंट पर ध्यान देना शुरू कर दिया है। स्टूडेंट्स की जरुरतों को देखते हुए सीबीएसई द्वारा स्टूडेंट्स को फिजीकली और मेंटली फिट रखने के लिए यह निर्णय लिया गया है। स्कूलों को डेली इसके लिए 40 से 45 मिनट का एक पीरियड रखना होगा। इसके मा‌र्क्स को भी दूसरे सब्जेक्टस के साथ जोड़ा जाएगा।