-सिविल एविएशन डिपार्टमेंट की ओर से अप्रैल में स्टेट हैंगर में शुरु होना था कोर्स

-ट्रेनिंग के लिए मंगाए जा चुके हैं विमान, डीजीसीए के परमिशन का है इंतजार

RANCHI : सिविल एविएशन डिपार्टमेंट के पायलट ट्रेनिंग कोर्स की योजना हवा में ही उड़ रही है। स्टूडेंट्स को अपने ही राज्य में पायलट की ट्रेनिंग देने के मकसद से 2013 में ही इस कोर्स को शुरू किया जाना था, पर दो साल से ज्यादा गुजर चुके हैं, कोर्स पर सस्पेंस बरकरार है। इधर, इस साल अप्रैल से इस कोर्स को फिर से शुरू करने की बात कही गई थी, पर यह भी हवा में ही तैर रहा है। डिपार्टमेंट के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी सजल चक्रवती के मुताबिक, डीजीसीए को इस बाबत लेटर भेजा जा चुका है। वहां से अप्रूवल मिलते ही पायलट ट्रेनिंग कोर्स शुरू कर दी जाएगी।

घोषणा हुई हवा-हवाई

झारखंड के स्टूडेंट्स को पायलट की ट्रेनिंग लेने के लिए बाहर नहीं जाना पड़े, इसके लिए सिविल एविएशन डिपार्टमेंट ने पायलट ट्रेनिंग कोर्स शुरू करने की योजना तैयार की। स्टेट हैंगर में यह कोर्स अप्रैल से शुरू होना था। अब मई गुजरने को है, लेकिन स्टूडेंट्स के हवाई जहाज उड़ाने के सपना हवा-हवाई ही साबित हो रहा है। इस बाबत सिविल एविएशन डिपार्टमेंट की ओर से डीजीसीए को लेटर भेज दिए जाने की बात कही जा रही है, तो दूसरी ओर डीजीसीए की ओर से कोर्स पर रोक लगा दिए जाने की भी बात सामने आ रही है। मिली जानकारी के मुताबिक, डीजीसीए का कहना है कि स्टेट सिविल एविएशन डिपार्टमेंट के पास पायलट ट्रेनिंग के लिए फ्लाइट तो है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रेंड पायलट व स्टाफ नहीं है, जिस कारण इस कोर्स को शुरू करने की परमिशन नहीं दी जा सकती है।

2008 बैच की ट्रेनिंग भी अधूरी है।

दरअसल राज्य सरकार हर साल 30 आदिवासी युवकों को पायलट की ट्रेनिंग देने की योजना शुरू की थी। आदिवासी कल्यान मंत्रालय के अंतर्गत यह योजना शुरू की गई थी। लेकिन 2008 मे पायलट ट्रेनिंग लेने वाले छात्रों का ट्रेनिंग अभी तक पुरा नही हो पाया है। इन छात्रों को पहले हैदराबाद की एजेंसी को ट्रेनिंग देने के लिए चुना गया था। लेकिन बाद मे उस इंस्टीट्यूट की मान्यता रद्द हो गई। बाद मे छतीसगढ़ की एजेंसी के पास छात्रों को ट्रेनिंग लेने के लिए भेजा गया। लेकिन इस एजेंसी की मान्यता भी रद्द कर दी गई। ऐसे मे इन छात्रो की ट्रेनिंग पुरी नही हो पाई। अभी तक छात्रों को 50 घंटे की ट्रेनिंग ही दी गई है जबकि कॉमर्शियल पायलट बनने के लिए कम से कम 200 घंटे फ्लाइट उड़ाने का अनुभव होना चाहिए।

बहुत कम युवा बन पाए पायलट

दरअसल सरकार की यह बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना थी। सरकार 30 युवाओं को हर साल सेलेक्ट करके ट्रेनिंग के लिए भेजती है। लेकिन राज्य मे कोई भी ट्रेनिंग एजेंसी नही है जो यहां के युवाओं को ट्रेनिंग दे। इंस्टीट्यूट नही रहने के कारण यहां के युवाओं को दूसरे राज्यों मे भेजना पड़ता है जहां हमेशा एजेंसी बदमाशी करती है। कभी ट्रेनिंग पुरा नही देती है तो कभी एजेंसी का मान्यता ही नही रहती है। ऐसे मे सरकार की इस योजना के प्रति युवा भी अब उदासीन रहने लगे है।

धूल फांक रहे हैं हवाई जहाज

सिविल एविएशन डिपार्टमेंट ने जर्मनी से एस-6 आर टी नामक पायलट ट्रेनिंग मोटर ग्लाइडर एयरक्राफ्ट खरीदा है। पायलट ट्रेनिंग के लिए यह सबसे आधुनिक और एडवांस टेक्नोलॉजी वाला एयरक्राफ्ट है। 2 करोड़ की लागत वाले इस विमान में एयर पेट्रोलिंग की सुविधा भी मौजूद है। पिछले कई महीनों से यह एयरक्राफ्ट स्टेट हैंगर में पड़ा हुआ है। इसके अलावा स्टेट हैंगर में पहले से भी तीन जेलिन एयरक्राफ्ट धूल फांक रहे हैं। चेक रिपब्लिक से ये विमान तीन साल पहले मंगाए गए थे। इसमें से एक चार सीटों वाला जबकि एक दो सीटों वाला विमान है।

नहीं खुला फ्लाइंग क्लब

रांची और दुमका के अलावा पलामू, हजारीबाग और धनबाद में भी फ्लाइंग इंस्टीट्यूट खोलने की घोषणा सरकार ने की थी। झारखंड गवर्नमेंट ने साल 2007-08 में पायलट ट्रेनिंग के लिए दुमका में एक फ्लाइंग एकेडमी की भी शुरूआत की थी। इसके लिए 3.78 करोड़ की लागत से तीन जेलिन एयरक्राफ्ट और एक मोटर ग्लाइडर खरीद गए थे, लेकिन दुमका में रखने की जगह नहीं होने के कारण इसे रांची लाया गया था। हालांकि इन एयरक्राफ्ट्स का इस्तेमाल पायलट ट्रेनिंग के लिए अबतक नहीं हो सका है।