- सभी मर्ज में कारगर अगरबत्ती, कपूर और फूल

- सोखाओं की दर पर सुख की आस में जुटती भीड़

GORAKHPUR: दिन भर घूमने के बाद पीके थक गया। नींद आई तो उल्टे सीधे सपने आने लगे। अचानक नींद खुली तो बेचैनी से सामना हुआ। किसी तरह से रात बीती लेकिन जब सुबह इसकी चर्चा की तो चौक गया। लोगों ने बताया कोई बीमारी नहीं, भूत प्रेत का साया सवार हो गया है। दिन भर घूमने से ऐसा हुआ है। किसी सोखा या माई के स्थान पर जाओ, वहीं इसका इलाज हो जाएगा। अपना उपचार कराने जब पीके पहुंचा तो कन्फयूज हो गया। आखिर इनमें से सबसे बढि़या कौन है जिसके पास वह जाए। क्योंकि यहां तो सैकड़ों की तादाद में दुकान चल रही है।

करते हैं दुख दूर करने दावा

घूमते टहलते बाजार में पीके दोबारा पहुंचा। उसको तलाश थी ऐसी लोगों की जो प्रॉब्लम दूर सके। तब पता लगा कि जंगलों और गांवों में कुछ महिलाएं खुद को देवी का अवतार बता रही थी और उनका दावा था कि वे सारा दुख दूर कर देते हैं। घूमते हुए पीके गुलरिहा के बनगाई में पहुंचा। वहां एक महिला लोगों का दुख दर्द दूर करने में जुटी थी। अगरबत्ती और कपूर जलाकर लोग देवी माई को मनाने में जुटे थे। कुछ महिलाएं वहां झूमती नजर आई। उनके भीतर किसी देवता का समावेश बताया जा रहा था। यहीं नजारा कैंपियरगंज में अलेनाबाद के पास नजर आया। खुद को देवी का अवतार बताने वाली महिला झाड़फूंक से सबकी बीमारियां दूर करने में लगी है। हालांकि जंगल में इस हरकत पर प्रशासन रोक लगा चुका है।

मिर्गी हो या बुखार, दूर कर देंगे सब बीमारियां

जिले भर में घूमने के बाद पीके को अजब गजब चीजें मिलीं। यहां सोखाओं और ओझाओं भरोसा जनता हर बीमारी का उपचार तलाश रही है। कुस्मही जंगल के एरिया में सोखा के पास पीके पहुंचा। उनके वहां संडे को श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है। वह सोखईती से मिर्गी जैसी बीमारियों का इलाज कर देते हैं। लड़कियों और महिलाएं दूर दराज से उनके पास आती हैं। खेत में बने स्थान पर वह अपनी सोखईती की दुकान चला रहे हैं।

यहां तो बांझपन से दिलाते हैं निजात

बालापार से सटे एक गांव में सोखा रहते हैं। वह अंधेरे कमरे में सोखइती करते बांझपन का उपचार करते हैं। उनके पास भूत बाधा, महिलाओं के रोग, देवी देवताओं के प्रकोप सहित कई समस्याओं के समाधान के लिए लोग पहुंचते हैं। सोखा की शर्त रहती है कम से कम पांच बार जाना पड़ता है।

मेले में लगता है दुख दर्द दूर करने बाजार

गुलरिहा एरिया के बांसथान, चौरीचौरा के तरकुलहा मेले में तमाम तरह की समस्याओं को दूर किया जाता है। बांसथान मंदिर पर जुटने वाले सोखा ओझा अपनी झाड़फूंक से लोगों को ठीक करते हैं। मानसिक रोग, त्वचा के रोग, पेट की बीमारियों का उपचार यहां हो जाता है। इतना ही नही, धन की कमी, घर में दोष, टोना टोटका भी दूर किया जाता है। पशुओं की बलि देने की मान्यता के साथ लोग यहां पहुंचते हैं। चैत्र रामनवमी में इस तरह के लोगों की भीड़ उमड़ती है।

खूब कमा रहे सोखा

कुसम्ही बाजार के पास एक गांव में काली मंदिर है। यहां पर सभी तरह की समस्याओं का समाधान किया जाता है। संडे और ट्यूज्डे को जुटने वाले लोगों की सोखइती कराई जाती है। उन पर आसीन प्रेत आत्माओं से निजात दिलाई जाती है। धूप अगरबत्ती, लौंग, कपूर, फूल, पत्तियों के चढ़ावे पर कष्टों से मुक्ति दिलाने का दावा सोखा करते हैं।

पिपराइच के पास मंदिर में मिलती है शांति

पिपराइच के पास एक मंदिर में सोखईती औझइती की दुकान चल रही है। यहां आने वाले लोगों को शांति मिलती हैं। इस मंदिर पर दिन भर जमावड़ा लगा रहता है। इस मंदिर पर सभी तरह की समस्याओं को दूर करने की बात होती है। तीन साल पहले इस मंदिर से लौटकर घर जा रहे एक ही परिवार के लोग ट्रेन से कट गए। जगतबेला रेलवे स्टेशन के पास हुई घटना से खलबली मच गई। दिसंबर मंथ में इसी मंदिर पर आने वाले दो लोगों ने ट्रेन से कटकर जान दे दी।

इन जगहों पर खूब चलती है दुकान

मानीराम, जगदीशपुर सोनबरसा, बरगदही के पास, जैनपुर, नार्मल स्कूल के पास एक स्थान पर, नेताजी सुभाष चंद बोस नगर में, मेंहदरिया, कैंपियरगंज एरिया में अलेनाबाद के पास इस तरह की दुकानें पाई गई। झंगहा, बेलीपार, सहजनवां सहित दो दर्जन से अधिक जगहों पर अंधविश्वास की दुकान चल रही हैं।

कुत्ता काटे या सांप, ठीक कर देंगे जनाब

गुलरिहा एरिया के बनगाई में कुत्ता काटने की इलाज झाड़ने वाले मौजूद हैं। पागल कुत्तों के काटने सूई लगवाने के बजाय लोग यहां पहुंचते हैं। यहां के कुछ घरों में झाड़ फूंक के सहारे कुत्ता काटने की दवा होती है। इसी तरह से सांप के काटने पर झाड़फूंक किया जाता है। पीडि़त के पीठ पर पीतल की थाली लगाकर झाड़फूंक किया जाता है। दांत में दर्द होने, पीलिया होने, पेट में दर्द होने, बेचैनी होने सहित अन्य बीमारियों को दूर किया जाता है।

खप्पर दो, रथ बांधों, चढ़ाओ फूल

बीमारियों का उपचार कराने के लिए डॉक्टर के पास जाएंगे तो जांच होगी। मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर दवा लिखेंगे। वह बार- बार बुलाएंगे लेकिन इनकी अंधविश्वास की इनकी दुकान में इसका कोई चक्कर नहीं। अगरबत्ती, कपूर, खप्पर चढ़ाकर सोखा ओझा सारी बीमारियों को दूर कर रहे हैं। कागज और बांस से बना विशेष प्रकार का रथ का चढ़ावा देने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।

और भी हैं अंधविश्वास

- इलाज के नाम पर जानवरों की कुर्बानी देने का भी है चलन।

- धर्म के नाम पर शहर के हर इलाके में इलाज का दावा होता है।

- मिर्ची, कोयले और फिटकरी से उतारी जाती है नजर।

- तंत्र और मंत्र से लेकर झाड़ फूंक से बीमारी को ठीक करने का दावा किया जाता है।

-बुरी नजर लगने की बात कहकर लोहे के चाकू से नजर को काटने का दावा होता है।

- नींबू को चौराहे पर फेंककर नजर उतारी जाती है।

ये हैं पीके के साथ

पीके ने जो भी कहा वह बिल्कुल सही है। कुछ लोग अपनी जेब भरने के लिए लोगों को उल्लू बना रहे है। आज हमारे सिटी में हजारों मंदिर बन गए है। आखिर क्यों? पहले तो ऐसा नहीं था। ये सब पैसा कमाने का नया जरिया है।

विनय पाल, तारामंडल

ईश्वर तो दिल में है। मंदिर या मस्जिद में नहीं है। वो आप में भी है और मुझमे भी है। इसके बावजूद लोग गॉड की तलाश में इन लोगों के चक्कर में फंस जाते हैं। वे भगवान का डर बता कर रुपए एंठते है। जबकि भगवान कभी किसी का बुरा नहीं चाहता।

विशाल कुमार श्रीवास्तव, इंदिरानगर

पीके की बात से पूरी तरह सहमत है। पीके ने जो भी कहा, वह सही है। पीके के सवाल का जवाब तलाशना जरूरी है। क्योंकि ऐसे लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जो भगवान की आड़ में मोटी कमाई कर रहे हैं।

अंशुमन प्रताप सिंह, गीता वाटिका

पीके का काम बहुत शानदार है। भगवान कभी किसी का बुरा नहीं चाहते। फिर भी कुछ लोग भगवान के नाम पर डराते हैं और मोटी कमाई करते हैं।

आकाश जायसवाल, सिक्टौर बाजार

आई नेक्स्ट की स्टोरी रांग नंबर बिल्कुल सही है। भगवान सड़क पर क्या कर रहे हैं। भगवान तो सबकी इच्छा पूरी करते है और सबके दिल में रहते हैं। मगर कुछ लोग सड़क पर भगवान को रख उनके नाम पर कमाई कर रहे हैं। पीके का सवाल बिल्कुल सही है।

दिलशाद आलम, डुमरी

पीके की जॉब परफेक्ट है। पीके ने जो भी सवाल उठाए हैं, वह सही है। क्योंकि कुछ लोग गॉड के नाम पर डरा कर मोटी कमाई कर रहे हैं।

मो। समीर खान, तुर्कमानपुर

पीके की बात क्00 परसेंट सही है क्योंकि आडंबर तेजी से बढ़ रहा है। भगवान कभी किसी का बुरा नहीं चाहते। फिर भी कुछ लोग उनके नाम पर डराते हैं।

संजीव कुमार