- मौसम विभाग ने ला नीना और अल नीनो को डीएक्टिवेट मानकर जताई है कड़ाके की ठंड संभावना

- इस बार करीब 5 माह तक ठंड बरकरार रहने की है संभावना, कंपकंपाती ठंड के लिए रहें तैयार

BAREILLY: अगर आप सोच रहे हैं कि पिछले वर्ष की तरह शायद इस बार फिर ठंड कम पड़ेगी तो होशियार हो जाएं। क्योंकि जैसी संभावना इस बार वेदर एक्सपर्ट जता रहे हैं। उससे तो मैदान के लोग कांप उठेंगे। इस वर्ष करीब 5 माह तक ठंड की आगोश में रहने की पूरी संभावना मौसम विभाग ने जताई है। जिसकी वजह इस बार समुद्र में मौसम को प्रभावित करने वाली हलचलें यानि अल नीनो और ला नीना का एक्टिव नहीं हाेना है।

क्यों ठंडी पड़ गई थी ठंड

पिछले दो वर्षो से प्रशांत महासागर में लगातार अल नीनो या ला नीना तूफान बन रहे थे। जिसके चलते समुद्र की सतह गर्म हो जाती थी। जिसका असर मानसून पर पड़ रहा था। फिर मानसून के प्रभावित होने से इसका असर सर्दियों पर भी पड़ने लगता था। इससे सर्दियों में तापमान सामान्य से अधिक बन जाने से सर्द मौसम में ठंड का असर काफी कम होता है। जिसका प्रमाण है पिछले दो वर्षो में बरेली में मिनिमम टेम्प्रेचर का औसत तापमान 9 डिग्री और मैक्सिमम टेम्प्रेचर का 19 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचकर ठहर गया था। ऐसे में लोगों ने सिर्फ गुलाबी ठंड को एंज्वॉय किया। लोगों ने समुद्री हलचलों के बजाय ग्लोबल वार्मिग को दोषी ठहराया था।

नीना और नीनो हैं डिएक्टिेवेटेड

आंचलिक मौसम विज्ञान अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर जेपी गुप्ता के मुताबिक अल नीनो और ला नीना दोनों के आने की संभावना 40 परसेंट से भी काफी कम है। ऐसे में इस वर्ष दोनों की हलचलों को डीएक्टिवेट माना जा रहा है। इसका प्रभाव कम होने से इस बार सर्दियों का मौसम भारतीय जलवायु के मुताबिक यानि कड़ाके की ठंड वाला बने रहने की संभावना है। जिसका असर अभी ही तेजी से लुढ़कता पारा दे रहा है। वहीं, अगर यही स्थिति बरकरार रही तो करीब 20 दिन बाद रात में घरों में चल रहे पंखे भी बंद हो जाएंगे और दिन में भी लोगों को धूप खिलने के बाद भी ठंड का अहसास होगा।

अल नीनो और ला नीना पर नजर रखने वाली एजेंसियों ने इनके नहीं आने की संभावना 70 परसेंट तक जताई है। आगे भी यही स्थिति बरकरार रही तो सर्दियों के दिन बढ़ने और कड़ाके की ठंड पड़ेगी।

डॉ। एचएस कुशवाहा, वेदर एक्सपर्ट