--TB, HIV और कुपोषित बच्चों के वार्ड खाली

-कुपोषित बच्चों को एडमिट कराने वालों को मिलता है सौ रुपये भत्ता, DDU हॉस्पिटल में है पोषण पुनर्वास केंद्र

VARANASI

यूपी गवर्नमेंट चिकित्सकीय सुविधाओं में लगातार बढ़ोत्तरी कर रहा है। मरीजों के साथ ही तीमारदारों को भी हॉस्पिटल्स में बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। गंभीर बीमारियों के प्रति लोगों को अवेयर करते हुए उन्हें प्रोत्साहन राशि तक दी जा रही है। बावजूद गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स की ओर उनका रूझान न के बराबर है। कुपोषित बच्चों को पं। दीनदयाल उपाध्याय डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के पोषण पुनर्वास केंद्र में एडमिट कराने वाली आशाएं व एनएम को सौ रुपये प्रति बच्चा बतौर प्रोत्साहन राशि दी जाती है। दस बेड का कुपोषण वार्ड पिछले एक माह से कुपोषित बच्चों के इंतजार में है। डीडीयू और मंडलीय हॉस्पिटल्स में एचआईवी व टीबी रोगियों को अस्पताल तक पहुंचाने वाले को भी सौ रुपये भत्ता दिया जाता है। बावजूद रोगियों की संख्या में बहुत ज्यादा इजाफा नहीं हुआ है।

दस हजार हैं कुपोषित बच्चे

कुपोषित बच्चों की संख्या डिस्ट्रिक्ट में साढ़े दस हजार के पार है। इन बच्चों के लिए तमाम योजनाएं चल रही है। डीडीयू के पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों के साथ ही उनके अभिभावक का दवा व खाना पीना भी फ्री है। वार्ड में एडमिट कुपोषित बच्चे की मां को एक दिन में पचास रुपये भत्ता भी दिया जाता है। वहीं आशाओं व एनएम को कुपोषित बच्चों को हॉस्पिटल में एडमिट कराने पर सौ रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। लेकिन गवर्नमेंट की यह योजना अपने डिस्ट्रिक्ट में परवान नहीं चढ़ रहा है। पिछले एक माह में कुपोषण वार्ड में एडमिट होने वाले बच्चों की संख्या दस से भी कम है।

नहीं मिल रहे टीबी रोगी

मंडलीय हॉस्पिटल कबीरचौरा में चल रहे डॉट्स सेंटर पर टीबी रोगियों को घर-घर दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। यही नहीं, जिन टीबी रोगियों की दवाएं चल रही हैं उनका डाटा सॉफ्टवेयर में दर्ज किया गया है। वह भी इसलिए कि जब उनके दवा कोर्स का समय आएगा तो ऑटोमैटिक पेशेंट के मोबाइल पर एसएमएस पहुंच जाएगा। इतना कुछ करने के बाद भी टीबी रोगियों को अस्पताल लाने के लिए सौ से दो सौ रुपये भत्ता भी दिया जाता है। यह स्कीम भी दम तोड़ती नजर आ रही है।

दहाई भी नहीं पार

एचआईवी के लिए डीडीयू हॉस्पिटल में अलग से एक विंग बना हुआ है। यहां एचआईवी के मरीजों को आने-जाने के लिए सौ रुपये भत्ता दिया जाता है। कमोबेश यही बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में एआरटी सेंटर में एचआईवी मरीजों को दिया जाता है। डीडीयू में तो दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू सके हैं एचआईवी के मरीज।

बेहतर इलाज के साथ-साथ योजनाओं पर पूरा जोर है, प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई कमी नहीं है।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ