-वन विभाग अपने जंगलों में कराता है इंतजाम

-जंगल से बाहर पौधों पर हर पल मंडराता खतरा

GORAKHPUR: जिले में हर साल पौधरोपण के बावजूद हरियाली नहीं बढ़ पा रही है। वन क्षेत्र बढ़ाने की सारी कोशिशें नाकाम साबित हो रही। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि पौधों की देखभाल का समुचित इंतजाम नहीं है। वन विभाग अपने पौधों की देखभाल करने की जिम्मेदारी निबाह लेता है। लेकिन अन्य विभागों में लगे पौधों की जिम्मेदारी उनकी खुद की होती है। फॉरेस्ट अफसरों का कहना है कि अलग से बजट नहीं होता है। वन विभाग के बजट से एडजस्ट किया जाता है। हालांकि देखभाल वाली जगहों पर प्लांटेशन की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार कितने गंभीर हैं।

तीन साल तक करनी होती है देखभाल

पौधरोपण के बाद कम से कम तीन साल तक पौधों के देखभाल की जरूरत पड़ती है। तीन साल में पौधे विकास करने लायक हो जाते हैं। उनकी लंबाई भी बढ़ जाती है। जंगलों में उनका विकास खुद ब खुद होने लगता है। इसके पहले क्यारियों में पानी डालने के अलावा निराई-गुनाई की आवश्यकता भी पढ़ती है। जंगल में लगे पौधों की देखभाल के लिए वन विभाग कर्मचारी की तैनाती करता है। अन्य विभागों में हुए प्लांटेशन की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होती है। ज्यादातर जगहों पर पौधे लगवाकर विभागीय अधिकारी-कर्मचारी भूल जाते हैं। समुचित देखभाल के अभाव में पौधे सूख जाते हैं।

सूखने पर नए पौधे लगाने का नियम

पौधों के सूखने-मुरझाने पर नए पौधे लगाने का नियम है। पौधे को निकालकर उसकी जगह नए पौधे लगवाए जाते हैं। वन विभाग की ओर से जिन जगहों पर पौधे लगवाए जाते हैं। उनके मुरझाने-सूखने पर नए पौधे लगवा दिए जाते हैं। लेकिन अन्य संस्थाओं, क्षेत्रों और एनजीओ की ओर से लगे पौधों के मुरझाने पर दोबारा पौधा नहीं लगाया जाता है। इस वजह से पौधों की संख्या कम हाे जाती है।

तीन साल के लिए रखते कर्मचारी

जंगलों में पौधरोपण कराने के बाद उनकी देखभाल के लिए वन विभाग वॉचर की तैनाती करता है। एक वॉचर को तीन साल तक के लिए उस जगह पर नियुक्त किया जाता है। उसकी जिम्मेदारी होती है कि बीट में जाकर वह पौधों की निराई-गुड़ाई करे। कोई पौधा सूख गया है तो उसकी जगह नए पौधे लगवाए। एक वॉचर को सरकारी रेट से पेमेंट किया जाता है। जिले में इसके लिए वन विभाग प्रति वॉचर के हिसाब से 51 सौ रुपए का बजट खर्च करता है।

यहां की गई वॉचर की तैनाती

बांकी

गोरखपुर

सहजनवां

खजनी

बड़हलगंज

परतावल

बांसगांव

तिनकोनिया

कैंपियरगंज

फरेंदा

वर्जन

वन विभाग के ओर से लगाए गए पौधों की देखभाल के लिए डेली बेसिस पर वॉचर की तैनाती की जाती है। अन्य संस्थाओं की ओर से कराए गए प्लांटेशन में पौधों की सुरक्षा, देखभाल जिम्मेदारी उनकी खुद की होती है। इसके लिए अलग से किसी बजट का प्राविधान नहीं है। विभागीय बजट के मद से पेमेंट किया जाता है। तीन साल के लिए वाचर को काम पर लगाया जाता है।

एमके शुक्ला, उप प्रभागीय वनाधिकारी