- कूड़े के साथ न फेंके प्लास्टिक वेस्ट

- पर्यावरण बचाने में आप भी दे सकते हैं योगदान

LUCKNOW: प्लास्टिक का कचरा लगातार हमारे लिए समस्या बनता जा रहा है। सरकारी तंत्र में इसे घरेलू कचरे से अलग करने की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण इसे जमीन में ही दफनाया जा रहा है। लेकिन हम और आप थोड़ी सी सावधानी बरते और घर पर कचरे को अलग रख ले साथ ही शॉपिंग के लिए अपना खुद का बैग ले जाएं व कुछ अन्य उपाय अपना कर घातक प्लास्टिक की भयावाहता से बच सकते हैं।

घर से करें वेस्ट मैनेजमेंट की शुरूआत

प्लास्टिक के सही डिस्पोजल के लिए कूड़े से उसे अलग करना जरूरी है। पर्यावरण विद डॉ। संदीप जायसवाल ने बताया कि अगर बायोडिग्रेडेबल और नान डिग्रेडेबल वेस्ट को हाउसहोल्ड लेवल पर अलग कर लिया जाए तो वेस्ट मैनेजमेंट को काफी आसान हो सकता है। अलग प्लास्टिक वेस्ट को हम कबाड़ी के हाथों बेच सकते हैं जिन्हें वह रीसाइकिलिंग के लिए ले जाता है। उसके बदले हमें मुनाफा भी होता है। यह ऐसी प्रासेस है जिससे हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभा कर प्लास्टिक के बम से धरती को बचा सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि किचेन से ही शुरूआत की जाए। क्योंकि पॉलीबैग सबसे ज्यादा वही से निकलते हैं। प्लास्टिक के बैग, अन्य किसी प्रकार का प्लास्टिक का वेस्ट को अलग एकत्र करें। उसे किचन के वेस्ट या अन्य घरेलू वेस्ट के साथ शामिल करके न फेंके। प्लास्टिक या ग्लास बॉटल्स को कंटेनर में डालने से पहले उसमें से फूड आइटम निकाल कर उसे धो लें।

घर से बैग लेकर निकले

सब्जी लेने जा रहे हैं या फिर कोई अन्य सामान लेकर जा रहे हैं तो खुद अपना जूट का या प्लास्टिक का ही बैग लेकर जाएं। ताकि इन सामानों को पैक करने के लिए दूसरा पॉलीबैग न लेना पड़े। कुछ साल पहले तक जब पॉलीबैग का चलन नहीं था तो लोग अपना बैग लेकर ही सब्जी या अन्य सामान लेकर जाकर ही मार्केट जाते थे। सीनियर साइंटिस्ट डॉ। प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि शॉपिंग मॉल्स में पॉलीबैग पर चार्ज लगाने का एक मात्र रीजन यही था कि लोग अपना बैग लेकर आएंगे और पॉलीथीन के यूज में कमी आएगी। इसका असर भी पड़ रहा है। अब जरूरत है कि पॉलीबैग की जगह पर लोगों को जूट के बैग दिए जाएं। अगर चार्ज लेकर जूट के बैग दिए जाएं तो इसका काफी फायदा मिलेगा।

अपनी आदत सुधारे

एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक सरकारी नियमों को कड़ाई से लागू नहीं किया जा सकता। अब जरूरी है कि लोग अपनी आदत बदलें। खुले में प्लास्टिक सामान न फेंके और बच्चों को भी इसकी शिक्षा दें। अगर कोई ऐसा कर रहा है तो इसे रोके।

कम कर सकते हैं बॉटल्स का यूज

कई देशों में यहां तक कि इंडिया में भी कई सिटीज में प्लास्टिक बॉटल में पीने के पानी को कम किया जा रहा है। जिससे सीधे तौर पर प्लास्टिक बॉटल से निजात मिल सकती है। इसके लिए सार्वजनिक प्लेसेज से आरओ सिस्टम लगाए जा रहे हैं। जहां से आप अपनी बॉटल बहुत ही नॉमिनल कीमत चुकाकर भर सकते हैं। जो पानी की बॉटल इस समय एक लीटर की ख्0 रुपए की पड़ती है वही इन जगहों से ब्-भ् रुपए में ही पानी मिल जाता है।

रीसाइकिलिंग है जरूरी

रीसाइकिलिंग ही एक मात्र प्रासेस है जिससे प्लास्टिक वेस्ट की समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है। रीसाइकिलिंग के जरिए न सिर्फ लैंडफिल साइट्स तक जाने वाले प्लास्टिक वेस्ट की मात्रा को कम किया जा सकता है। इसके और भी कई फायदे है। रीसाइकिल्ड प्लास्टिक से किसी प्रोडक्ट को बनाने में वर्जिन प्लास्टिक की तुलना में दो तिहाई कम एनर्जी लगती है। प्लास्टिक को इंसीनरेटर में जलाने की तुलना में रीसाइकिलिंग से दोगुनी एनर्जी सेव होती है। इससे प्लास्टिक बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले क्रूड ऑयल का इस्तेमाल कम होगा। दो लीटर के ख्भ् प्लास्टिक बॉटल से एक एडल्ट फलीस जैकेट बनाई जा सकती है। एक प्लास्टिक के बॉटल केरीसाइकिलिंग में जितनी एनर्जी सेवहोती है उससे कम्प्यूटर को ख्भ् मिनट तक चलाया जा सकता है। इस प्रकार से सिर्फ रीसाइकिलिंग ही एक प्रासेस है जिससे हम प्लास्टिक की भयावाहता को कम कर सकते हैं।

कई स्टेट्स में बैन है प्लास्टिक बैग्स का यूज

दिसंबर में मिनिस्ट्री ऑफ इंवायरमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के मिनिस्टर ऑफ स्टेट प्रकाश जावड़ेकर ने सिक्किम, नागालैंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, अंडमान निकोबार आईलैंड, लक्ष्यदीप, और चंडीगढ़ में प्लास्टिक के कैरीबैग के यूज पर बैन लगाने की बात कही थी। साथ ही उन्होंने कहा कि मिनिस्ट्री द्वारा प्लास्टिक कैरी बैग्स के मैन्युफैक्चरिंग सेल और यूज पर प्लास्टिक वेस्ट पर रोक लगाई गई है। साथ ही उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट सहित म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बो‌र्ड्स और पॉल्यूशन कंट्रोल कमीटीज से अर्बन लोकल बॉडीज को टाइम बाउंड एक्शन प्लान तैयार करने के लिए डायरेक्शन इश्यू किए जाने का रिक्वेस्ट करने की बात भी कही है।

ये हैं खतरे

प्लास्टिक वेस्ट कलेक्शन सेंटर स्थापित करने के लिए म्यूसिपिल अथॉरिटी प्लास्टिक कैरी बैग्स मैन्यूफैक्चरर से एक्सटेंडेंड प्रोड्यूसर्स रिस्पॉंसिबिलिटी के तहत कलेक्शन सेंटर स्थापित करने को कह सकती है। प्लास्टिक बैग्स के कलेक्शन और डिस्पोजल की व्यवस्था सही नहीं होने इंवायरमेंटल इंपैक्ट्स हो सकते हैं। इससे हर साल ड्रेनेज सिस्टम चोक होता है।

-इधर-उधर बिखरे प्लास्टिक बैग्स को जानवर खाते हैं। जिससे उनकी मौत तक होने का खतरा रहता है।

- प्लास्टिक बैग ग्राउंड वाटर रिचार्ज को भी प्रभावित करते हैं।

-- री-साइकल्ड प्लास्टिक बैग और कंटेनर पैकेज्ड फूड को कंटामिनेट करते हैं।

-- लैंडफिल साइट्स पर जमा प्लास्टिक वेस्ट मेटल्स और एडिटिव्स के मिट्टी और ग्राउंड वाटर में लिचिंग की वजह बनता है।