PATNA : आजकल के पैरेंट्स और बच्चें यह मानते हैं कि घर में पढ़ाई-लिखाई ठीक ढंग से नहीं हो पाती है। इसलिए वो हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करना बेहतर समझते हैं। पैरेंट्स भी अपने बच्चों के भविष्य को संवारने और उन्हें अपने जीवन में लक्ष्य हसिल करने के लिए हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने की अनुमति दे देते हैं। हालांकि माना जाता है कि हॉस्टल में बच्चे एकाग्र होकर और घर परिवार की चिंता से दूर रहकर अपनी पढ़ाई में पूरा ध्यान लगाते हैं। इससे बच्चों के व्यक्तित्व का भी विकास होता है। यह बातें काफी हद तक ठीक भी है पर वास्तविकता बिल्कुल अलग है। क्या आपको पता है कि जिस हॉस्टल में आपके बच्चे रह रहे हैं वह उनके रहने के लायक है भी या नहीं? हम अपने बच्चों को हॉस्टल में डाल तो देते हैं पर उन्हें हॉस्टल में डालने से पहले किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए वो नहीं कर पाते। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट अपने 'अनसेफ हॉस्टल' मुहिम के चौथे दिन आपको हॉस्टल में रहने से पहले ध्यान रखने वाली बातों को बताने जा रहा है। तो आइए जानते हैं

इन बातों का रखें ध्यान

अपने बच्चों के लिए या फिर उनके भविष्य के लिए उनके पैरेंट्स काफी सजग रहते हैं। हालांकि यह बात बिल्कुल सच है कि घर का अहसास हॉस्टल में नहीं मिल सकता। फिर भी बच्चे अपने जीवन में कुछ करे, आगे बढ़े इसके लिए पैरेंट्स बच्चों को हॉस्टल में भेज देते हैं। पर हमें बच्चों को हॉस्टल में डालने से पहले कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे की हॉस्टल का माहौल कैसा है, वहां के स्टाफ कैसे हैं, हॉस्टल के वार्डन का बच्चों के प्रति विहेव कैसा रहता है, वहां के कमरे कैसे हैं, जहां हॉस्टल है वहां के आस-पास का माहौल कैसा है, हॉस्टल का खान-पान कैसा है, सुरक्षा की क्या व्यवस्था है और सबसे बड़ी बात कि उस हॉस्टल में कोई गलत बातें तो नहीं हुई ऐसी ही कुछ छोटी-छोटी मगर बहुत बड़ी बात है जिसपर पैरेट्स को हॉस्टल का चुनाव करते समय करना चाहिए।

हॉस्टल का कैसा है वातावरण

पैरेंट्स को अपने बच्चों को हॉस्टल में डालने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हॉस्टल का वातावरण कैसा है। इसकी पड़ताल किए बिना बपने बच्चों को हॉस्टल में नहीं भेजना चाहिए। हॉस्टल में कहां-कहां के बच्चे रहे रहे हैं। कहीं कोई ऐसा बच्चा या स्टूडेंट तो नहीं जो गलत संगत के शिकार में है। क्योंकि संगति का असर बहुत जल्द पड़ता है।

सुरक्षा का क्या है प्रबंध

हॉस्टल की सुरक्षा प्रबंध के बारे में पूरी जानकारी पैरेंट्स को रखनी चाहिए। वहां के गार्ड कैसे हैं, वार्डन कैसी है उसका विहेव बच्चों के प्रति कैसा रहता है। क्योंकि आजकल हॉस्टल में जो वारदातें हो रही है उसमें गार्ड और वार्डन के शामिल होने की बातें भी सामने आती हैं। इसलिए हॉस्टल संचालक से गार्ड और वार्डन के बारे में तथा सुरक्षा के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।

इनकी भी लें जानकारी

हॉस्टल की सुविधाओं के बारे में अच्छे से पता कर लेना चाहिए। जैसे कि वहां खान-पान का क्या सिस्टम है। हॉस्टल के कमरे कैसें हैं। लाइट की क्या व्यवस्था है। खासकर लड़कियों के लिए कौन-कौन सी सुविधाएं हैं। वहां मेडिकल की सुविधएं है या नहीं, पानी के लिए क्या सुविधा है, ऐसी ही कई और बाते हैं जिसकी पड़ताल पहले ही कर लेनी चाहिए।

बच्चों को न रहने दे तनाव में

जानकारों का कहना है कि अभिभावक अच्छी शिक्षा के लिए बच्चों को हॉस्टल में डाल देते हैं। उनसे अच्छे मा‌र्क्स की उम्मीद लगाते हैं। यही वजह है कि बच्चे तनाव में आकर आत्महत्या कर लेते हैं। अगर अभिभावक बच्चों से हॉस्टल में रहने, खाने के अलावा अन्य टॉपिक पर बात करें तो शायद बच्चों को होने वाली दिक्कतें समय पर दूर हो जाएगी और आत्महत्या की घटनाएं भी कम हाे जाएगी।

- हर काम के लिए समय निर्धारित

हॉस्टल में रहने वाले बच्चों का टाइम टेबल बिगड़ जाता है। इसके लिए हॉस्टल संचालकों को हॉस्टल में रहने वाले छात्रों का हर काम का एक समय निर्धारित करना चाहिए। सोने का, उठने का, खाने के अलावा अन्य दिनचर्या का टाइम टेबल निर्धारित होना चाहिए। इसके साथ ही एक अनुशासन में रहने की शिक्षा देते रहना चाहिए।

- इन बातों को रखना होगा ध्यान

- सिर्फ पढ़ाई की जानकारी न लें

- अकेलापन महसूस न होने दें

- ख्ब् घंटे में कम से कम दो बार फोन पर बात करें

- बच्चों के पर्सनल लाइफ के बारे में जानकारी लेते रहे

- उसके दोस्तों से सम्पर्क बनाए रखें

- क्भ् से ख्0 दिनों में जाकर बच्चें से मिलते रहें

- बच्चों के हर गतिविधियों पर नजर बनाए रखें

- पढ़ाई के साथ अन्य एक्टिविटी के बारे में भी बात करें।

- परीक्षा में अधिक प्रतिशत मा‌र्क्स लाने का दवाब न दें।