- स्लम रि-डेवलपमेंट कंपोनेंट के तहत दिए जाने हैं आवास

- कोर्ट का आदेश आ रहा आड़े, स्लम एरिया में नहीं हो सकता निर्माण

- पीएम आवास योजना में सबसे ज्यादा आवेदन हैं स्लम एरियाज से

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- दून के अधिकांश स्लम एरिया हैं रिस्पना और बिंदाल नदी के किनारे

- कोर्ट के आदेश के तहत नदियों के 200 मीटर दायरे में निर्माण कार्य हैं बैन

- अधिकांश स्लम बस्तियां नदियों के 100 मीटर दायरे में हैं दून में

- 11555 आवेदन आए हैं आवास के लिए स्लम एरियाज से

- अफसरों का साफ कहना स्लम एरियाज में आवास निर्माण असंभव

- किफायती आवास कंपोनेंट में शिफ्ट किए जा सकते हैं आवेदन

DEHRADUN: पीएम शहरी आवास योजना के लिए जमीनों का चिन्हीकरण तो पूरा हो चुका है लेकिन, स्लम रि-डेवलपमेंट कंपोनेंट के लिए फिलहाल कोई प्लान तैयार नहीं हो पाया है। इस कंपोनेंट में साढ़े ग्यारह हजार आवेदन आवास के लिए आ चुके हैं, लेकिन इन्हें किस तरह आवास उपलब्ध कराए जाएं, इसे लेकर अंतिम फैसला नहीं हो पाया है। दरअसल कोर्ट के आदेश ही योजना के आड़े आ रहे हैं।

कोर्ट का आदेश रुकावट

पीएम शहरी आवास योजना के तहत स्लम एरियाज के बाशिंदों को स्लम की जमीन पर ही बहुमंजिला आवास बनाकर दिए जाने हैं। लेकिन, देहरादून में इस कंपोनेंट में कोर्ट का आदेश रुकावट डाल रहा है। दरअसल दून के करीब-करीब सभी स्लम एरिया रिस्पना और बिंदाल नदी से लगे हुए हैं। कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन नदियों के ख्00 मीटर दायरे में निर्माण कार्य प्रतिबंधित है और ये बस्तियां महज क्00 मीटर के दायरे में हैं। अफसरों का कहना है कि कोर्ट के आदेश के चलते देहरादून में किसी भी स्लम एरिया में फ्लैट बनाना संभव नहीं है। लेकिन, स्लम एरियाज के क्क् हजार भ्भ्भ् निवासियों के लिए जिन्होंने आवास के लिए आवेदन किया है, क्या किया जा रहा है इस बारे में अफसर कुछ कहने को तैयार नहीं हैं।

कंपोनेंट बदलने की संभावना

अधिकारियों का कहना है कि देहरादून में जो स्थितियां हैं, उसे देखते हुए स्लम रि-डेवलपमेंट कंपोनेंट के तहत आवास उपलब्ध करवाना किसी भी हालत में संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में स्लम कंपोनेंट के आवेदकों को भागीदारी में किफायती आवास कंपोनेंट में परिवर्तित किया जा सकता है, हालांकि इस बारे में अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है।

तलाशनी होगी और जमीन

फिलहाल योजना के तहत मात्र 7फ्क्म् आवेदकों को मकान बनाने के लिए ही जमीन तलाशी गई है। यदि स्लम रि-डेवलपमेंट कंपोनेंट को भी किफायती आवास में शिफ्ट किया गया तो इसके लिए दोगुनी जमीन की जरूरत पड़ेगी। अभी तक ख्भ् हेक्टेयर जमीन की तलाश की गई है। अगर स्लम एरिया के बाशिंदों को किफायती आवास स्कीम में शिफ्ट किया जाता है तो इसके लिए और जमीन की व्यवस्था करनी होगी।

दफ्तरों के चक्कर काट रहे आवेदक

पीएम आवास के लिए मिले आवेदनों का विभाग द्वारा इन दिनों सत्यापन किया जा रहा है। दून में आए क्9म्म्9 आवेदकों में से ज्यादातर का सत्यापन भी कर दिया गया है। लेकिन, आवेदक अब भी अपने आवेदन के साथ नगर निगम के दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं। योजना के लिए फिलहाल ऑफलाइन आवेदन बंद कर दिए गए हैं। हालांकि, ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया अभी भी जारी है।

बैंक भी लगा रहे अडंगा

पीएम शहरी आवास योजना का एक कंपोनेंट ऋण में ब्याज सब्सिडी भी है। इस कंपोनेंट के तहत देहरादून में म्ब्भ् आवेदन आये हैं। इनमें से ज्यादातर आवेदनों का सत्यापन करके बैंकों को भेजा जा चुका है। लेकिन, कई बैंक इसमें भी अडं़गा लगा रहे हैं। योजना में स्पष्ट प्रावधान है कि बैंक द्वारा आवेदकों से कोई प्रक्रिया शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन आरोप है कि कुछ बैंक कई तरह के बहाने बनाकर प्रक्रिया शुल्क भी आवेदकों से मांग रहे हैं।

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कोर्ट के आदेश को देखते हुए स्लम बस्तियों में आवास बनाना संभव नहीं है। ऐसे में एक ही उपाय किया जा सकता है कि स्लम रि-डेवलपमेंट कंपोनेंट को किफायती आवास कंपोनेंट में शिफ्ट किया जाए। हालांकि, इस बारे में किसी तरह के निर्देश अभी हमें नहीं ंिमले हैं।

- नीरज जोशी, नोडल अधिकारी, प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी)।