आरटीआई के जरिए हुई थी फाइलें सार्वजनिक करने की मांग

आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल ने स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक करने के लिए सूचना के अधिकार कानून (आरटीआइ) के तहत अर्जी दायर की है। पीएमओ ने हालांकि नेताजी से जुड़ी फाइलें होने की बात कुबूल की है। लेकिन साथ ही सीआइसी को बताया कि अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए इसे जारी नहीं किया जा सकता। पीएमओ ने इसके लिए आरटीआइ कानून की धारा 8(1)(ए) का भी हवाला दिया। इसके तहत सरकार को ऐसे मामलों को गोपनीय रखने का अधिकार है जिससे देश की संप्रभुता व अखंडता, सुरक्षा, वैज्ञानिक व आर्थिक हित और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के प्रभावित होने की आशंका हो।

आरटीआई कर्ता ने किया विरोध

सुभाष अग्रवाल ने पीएमओ की दलीलों का पुरजोर खंडन किया। उन्होंने पारदर्शिता कानून की धारा 8(2) का हवाला दिया। इसके तहत उन जानकारियों को मुहैया कराने का प्रावधान है, जिनमें सार्वजनिक हित संरिक्षत हितों से ज्यादा हो। उन्होंने धारा 8(3) का हवाला देते हुए कहा कि बीस साल से ज्यादा पुरानी सूचनाओं को साझा करने पर प्रतिबंध नहीं है।

नेताजी का परिवार भी है फैसले के खिलाफ

सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र बोस ने कहा है कि नेताजी की मौत से संबंधित फाइलें सार्वजनिक करने में असमर्थता जताने को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय ने जो तर्क दिए हैं वे फर्जी हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मामले में खुद दखल देने को लेकर परिवार को आवश्स्त किया था। बोस ने कहा कि यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया तो देशभर में जनविद्रोह हो जाएगा।

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