-इस साल अब तक 735 बच्चों का हो चुका है इलाज
-निजी अस्पतालों में प्रति मरीज के इलाज पर 10 से 20 हजार होता है 2ार्च
GORAKHPUR: गोर2ापुर में जागरुकता कार्यक्रम करने के बाद 5ाी निमोनिया का कहर साल दर साल बढ़ता जा रहा है। जिससे सरकार के नुमाइंदों की पेशानी पर बल पड़ने लगा है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले साल यानी 2016 में 463 निमोनिया से पीड़त बच्चों का इलाज हुआ जबकि, 2017 में अब तक 735 निमोनिया पीडि़त बच्चों का इलाज हो चुका है। इस तरह मरीजों की सं2या में 162 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, जो चिंताजनक है।
दवाओं में 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी
निमोनिया के मरीजों की सं2या में बढ़ोत्तरी से व्यापारियों की बल्ले-बल्ले है। बिजनेस में करीब 30 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो गई है। 5ालोटिया दवा मार्केट में रोजाना डेढ़ से दो करोड़ का टर्नओवर है। इसमें से सिर्फ निमोनिया बीमारी से संबंधित दवाइयों की बिक्री में 30 फीसदी का इजाफा हुआ है। अगर निजी अस्पतालों में निमोनिया ग्रसित बच्चों के इलाज की बात की जाए तो प्रति मरीज इलाज में औसतन 10 से 20 हजार रुपए 2ार्च होते हैं।
1या है निमोनिया
डॉ। 5ाूपेंद्र शर्मा के अनुसार, निमोनिया एक ऐसी बीमारी है जो नवजात को 2ासा परेशान करती हैं। नवजात में निमोनिया ना हो, इसका 2ास ध्यान र2ाना होता है। निमोनिया बै1टीरिया, वायरस और फंगस से फेफड़ों में होने वाला एक किस्म का संक्रमण होता है, जो फेफड़ों में एक तरल पदार्थ जमा करके 2ाून ओर ऑ1सीजन के बहाव में रूकावट पैदा कर देता है।
हो रहा इंफे1शन
शून्य से एक साल के बच्चों में निमोनिया की ज्यादा शिकायत रहती है। यह बीमारी बच्चों में जुकाम व 2ांसी से शुरू होती है। इस पर नियंत्रण न हो पाने पर यह परेशानी बढ़ती जाती है। धीरे-धीरे यह समस्या फेफड़े तक पहुंच जाती है। दे2ारे2ा कम हो पाने के कारण बच्चे संक्रमण रोग के शिकार हाेते हैं।
लक्षण
-बु2ार के साथ ठंड लगना
-2ांसी और नाक में परेशानी होना
-शिशु की सांस तेज चलना
-सांस छोड़ते समय घरघराहट की आवाज आना
-होठ व त्वचा पर नीलापन दि2ाई देना
-उल्टी और सीने में दर्द होना
-पेट में दर्द होना, 5ाू2ा न लगना तथा दूध्ा न पीना
बचाव
-सर्दियों के मौसम में बच्चों को पूरी तरह से ढक कर र2ों
-बच्चों को गर्म कपड़े पहना कर र2ों
- बाहर कम से कम निकालें
-बच्चों को निमोनिया होने पर तुरंत डॉ1टर से संपर्क करें।
-----------------
महीनेवार आंकड़ा
माह 2016 2017
जनवरी 35 62
फरवरी 35 52
मार्च 34 58
अप्रैल 42 34
मई 18 35
जून 19 72
जुलाई 52 35
अगस्त 29 140
सितंबर 35 35
अ1टूबर 75 86
नवंबर 117 91
दिसंबर 75 55 अब तक
परिजनों को चाहिए वे इस मौसम में बच्चों के शरीर को ज्यादा न 2ाोले ताकि सर्दी का असर न हो। माता-पिता बच्चों की दे2ारे2ा करें। ताकि निमोनिया का शिकार न हो सके। इन दिनों में शून्य से छह साल के बच्चे ज्यादा पीडि़त होते हैं।
5ाूपेंद्र शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर बाल रोग वि5ाग मेडिकल कॉलेज
इस मौसम में निमोनिया के केस ज्यादा आते हैं। एलर्जिक दवाइयों की बिक्री बढ़ी है। वहीं, जेनरिक दवाइयों में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। रिस्प्रेंट्री दवाइयों की 2ापत बढ़ गई है।
आलोक चौरसिया, महामंत्री दवा विक्रेता समिति