-यूपी व उत्तराखंड के बीच बस फेरों व परमिट का विवाद

-उत्तराखंड राज्य गठन के एक दशक बाद भी नहीं सुधरी स्थिति

-उत्तराखंड व यूपी परिवहन निगमों के बीच पिस रहे हैं यात्री

DEHRADUN : वर्ष ख्000 में यूपी से पृथक होकर उत्तराखंड का एक नए राज्य के रूप में जन्म हुआ। इसके कुछ वर्षो बाद उत्तराखंड परिवहन निगम का भी गठन हो गया, लेकिन आज एक दशक बाद भी यूपी और उत्तराखंड परिवहन निगम के बीच बस फेरों का विवाद समाप्त नहीं हुआ है। हर बार एग्रीमेंट न होने से यह विवाद समाने आता है और भुगतना पब्लिक को पड़ता है।

सीज होने की नौबत

क्योंकि यूपी हो या उत्तराखंड जहां भी रोडवेज का संचालन प्रभावित होगा। वहां सीधा असर यात्रियों पर पड़ता है। कभी बस फेरे ज्यादा लगाने को लेकर यूपी और उत्तराखंड परिवहन निगम के ड्राइवर व कंडक्टर का आपस में विवाद होता है। तो कभी चेकिंग के दौरान पुलिस या आरटीओ के प्रवर्तन दल द्वारा कार्रवाई होती है। तो बिना परमिट के रोडवेज सीज होने की नौबत तक आ जाती है। ऐसे में दोनों राज्यों के परिवहन निगम के बीच पब्लिक को पिसना पड़ता है। क्योंकि संचालन ठप होने के दौरान लोग अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाते हैं।

हाल ही में फिर उपजा विवाद

हालही में यह विवाद फिर से तब सामने आया जब इस सप्ताह चेकिंग के दौरान यूपी बॉर्डर से सटी आशा रोड़ी चेक पोस्ट पर देहरादून आरटीओ के प्रवर्तन दल ने चेकिंग के दौरान बगैर परमिट की चलने वाली यूपी की एक दर्जन से अधिक रोडवेज को सीज कर दिया। यूपी में इसकी भनक लगी तो वहां भी उत्तराखंड परिवहन निगम की रोडवेज की चेकिंग शुरू हो गई, जिससे भारी संख्या में कार्रवाई करते हुए उत्तराखंड की तकरीबन 70 रोडवेज को सीज कर दिया गया। ऐसे में दोनों ओर से विवाद खड़ा हो गया। हालांकि उत्तराखंड ने बैकफुट पर आते हुए फ्राइडे को ही यूपी की सीज हुई एक दर्जन से अधिक बस छोड़ दी थी, लेकिन यूपी आरटीओ द्वारा सीज की गई उत्तराखंड की रोडवेज बसों को देर छोड़ने पर सहमति बन गई।

एक मंथ के अंदर निकाले हल

उत्तराखंड में शासन तक मामला पहुंचने के बाद परिवहन मंत्री सुरेन्द्र राकेश इस संबंध में अधिकारियों की बैठक ले चुके हैं। जिसमें उन्होंने इस परमिट विवाद और बस फेरों से संबंधित विवाद को एक महीने के अंदर निपटाने के सख्त निर्देश दिए हैं। परिवहन मंत्री ने स्पष्ट किया है किसी भी सूरत में पब्लिक की फजीहत बर्दास्त नहीं होगी। क्योंकि राज्य में परिवहन का मुख्य साधन परिवहन निगम की रोडवेज बस हैं। ऐसे में उत्तराखंड परिवहन विभाग व निगम के उच्च अधिकारियों को यूपी के आलाधिकारियों से वार्ता करके मामले का हल शीघ्र निकालने के निर्देश दिए हैं।