-फर्जी नाम से कार बेचकर जालसाज ने लगाया चूना, बैंककर्मियों से मिलीभगत कर फायनांस कराने का शक

-भुक्तभोगी की पड़ताल में बैंक मैनेजर ने भी लोन होने से किया था इनकार

-शुरुआती जांच में कार बेचने वाले का पता निकला फर्जी

LUCKNOW: वकीलों को हमारे समाज में बेहद बुद्धिजीवी माना जाता है। पर, एक जालसाज ने ऐसा मायाजाल रचा कि उसके फेर में फंसकर एक वकील साहब लाखों रुपये गंवा बैठे। ऐसा ही मामला सामने आया वजीरगंज एरिया में जहां एक जालसाज ने फर्जी नाम से कार खरीदी और मोटा डिस्काउंट देकर यह कार वकील साहब को बेच डाली। फर्जीवाड़े की भनक लगने पर जब वकील ने अपनी रकम का तगादा किया तो उन्हें रकम तो न मिली लेकिन, जान से मारने की धमकियां जरूर मिलने लगीं। आखिरकार भुक्तभोगी वकील ने थाना वजीरगंज में आरोपी जालसाज के खिलाफ तहरीर दी है। भुक्तभोगी ने शक जताया कि जालसाज ने बैंककर्मियों की मिलीभगत से कार को फर्जी नाम से फायनांस कराकर उन्हें बेच दी। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

पहले लोन दिलाया था

लालकुआं के छितवापुर रोड निवासी ज्योतिरेश पांडेय पेशे से वकील हैं। ज्योतिरेश के मुताबिक, बीते दिनों उन्हें मकान बनाने के लिये लोन लेना था, इसी लोन के सिलसिले में उनकी मुलाकात अमीनाबाद, जूते वाली गली निवासी मो। बिलाल से हुई। बिलाल विभिन्न बैंकों से लोन दिलाने का काम करता था। उसने ज्योतिरेश को भी कागजी खानापूरी के बाद हाउसिंग लोन दिला दिया। इसके बाद एक एसी भी फायनांस कराया। ज्योतिरेश ने बताया कि दो बार लोन दिला चुके बिलाल पर उनका विश्वास जम गया।

परिचित की कार बताकर बिकवा दी

ज्योतिरेश ने बताया कि ख्0क्फ् में उन्हें कार खरीदनी थी। उन्होंने बिलाल से कार लोन के बारे में बात की। जिस पर बिलाल ने उन्हें बताया कि उसके परिचित सिटी स्टेशन निवासी रमेश शुक्ला अपनी छह महीने पुरानी इंडिगो कार बेचना चाहते हैं। उसने बताया कि वह उन्हें वह कार डेढ़ लाख रुपये कम पर दिलवा देगा। वकील ज्योतिरेश को यह ऑफर अच्छा लगा और उन्होंने कार के कागज मांगे। बिलाल ने उन्हें कार के कागज लाकर दे दिये। ज्योतिरेश ने बताया कि उन्होंने इंडिगो कार की एजेंसी गोल्डरश में पड़ताल की तो पता चला कि रमेश शुक्ला की कार विकासनगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के डिमांड ड्राफ्ट द्वारा पेमेंट देकर खरीदी गई थी।

मैनेजर ने लोन की बात से किया इनकार

यह जानकारी मिलने के बाद ज्योतिरेश विकासनगर स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया पहुंचे और बैंक मैनेजर दयाराम से रमेश शुक्ला की कार (यूपीफ्ख्ईजे/भ्भ्07) पर लोन के बारे में पूछताछ की। ज्योतिरेश के मुताबिक, बैंक मैनेजर दयाराम ने इस कार पर कोई भी लोन होने से इनकार कर दिया। तस्दीक हो जाने पर ज्योतिरेश पांडेय ने कार की कीमत भ् लाख रुपये रमेश शुक्ला को अदा करते हुए उससे कार खरीद ली। बीते दिनों ज्योतिरेश को अपनी जमीन पर होटल बनवाने के लिये लोन लेना था। उन्होंने बिलाल से फिर से संपर्क किया। बिलाल ने तमाम खर्चो के नाम पर उनसे पांच लाख रुपये वसूल लिये।

घर पहुंचे तो पता चला

ज्योतिरेश के मुताबिक, बिलाल जब काफी दिनों तक लोन दिलाने में नाकाम रहा तो वह उसके घर पहुंचे। जहां उसके घर से उन्हें कार बेचने वाला रमेश शुक्ला बाहर निकल रहा था। अभी वह रमेश शुक्ला से हालचाल पूछ ही रहे थे, कि तभी वहां से गुजर रहे एक शख्स ने रमेश शुक्ला को मो। वासिल नाम से पुकारा। यह सुनते ही ज्योतिरेश के कान खड़े हो गए। जब उन्होंने आसपड़ोस में पूछताछ की तो पता चला कि रमेश शुक्ला नाम से उन्हें कार बेचने वाला असल में मो। बिलाल का बड़ा भाई मो। वासिल है। जालसाज के असली नाम की पुष्टि हो जाने पर ज्योतिरेश ने कार वापस लेकर रकम देने की मांग की। पर, आरोप है कि मो। बिलाल और मो। वासिल ने उन्हें पुलिस से मिलकर फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी देते हुए वहां से भगा दिया। आखिरकार ज्योतिरेश ने वजीरगंज पुलिस को तहरीर दी।

वकील ज्योतिरेश पांडेय की तहरीर की शुरुआती जांच में उन्हें कार बेचने वाले रमेश शुक्ला का पता फर्जी निकला है। एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

यदुनाथ सिंह

सब इंस्पेक्टर, वजीरगंज कोतवाली