RANCHI: रांची पुलिस एक ही मामले में अपने सीनियर अधिकारियों को बरगलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। दुष्कर्म के एक मामले में लालपुर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कोर्ट से वारंट निकाल लिया तो मांडर थाना पुलिस ने इसी मामले की जांच करते हुए आरोपी को क्लीन स्वीप देते हुए रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को सौंप दी है। पर, इस रिपोर्ट पर गौर न करते हुए लालपुर पुलिस के आईओ ने अदालत से आरोपी के खिलाफ वारंट निकाल लिया। इस मामले में आईओ, डीएसपी की सुपरविजन रिपोर्ट के आधार पर वरीय अधिकारियों ने केस को सही करार दिया। अब सवाल उठता है कि इस मामले की जांच दो पुलिस अधिकारियों ने की है, तो किसकी जांच पर भरोसा किया जाए।

ये है मामला

जानकारी के मुताबिक, मांडर सकरा गांव के रहनेवाले अशफाक आलम पर उसी गांव की एक युवती ने शादी का प्रलोभन देकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। इस संबंध में लालपुर थाना कांड संख्या 113/17 के तहत अफीका परवीण उर्फ रूखसाना ने एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें कहा है कि वह हरिनिवास हॉस्टल में रहती है और रांची के वीमेंस कॉलेज में पढ़ती है। युवती ने कहा कि सकरा गांव की महिला पारा टीचर बदरूनिशा जब भी रांची आती थी तो किसी न किसी बहाने फोन करती थी और उसे वहां बुलाती थी। वह अपने साथ अशफाक आलम नामक एक युवक को रखती थी और उससे हमेशा भेंट करवाती थी। दोस्ती करने के लिए कहती थी। अशफाक बार-बार उसे फोन करता था और कॉलेज छोड़ता था। वह बार-बार दोस्ती करने और शादी करने की बात कहता था। अफीका खातून ने अपनी प्राथमिकी में इस बात का भी उल्लेख किया है कि अशफाक उसे लोअर बाजार स्थित मून लॉज ले गया और कोल्ड ड्रिंक में कुछ मिला कर पीने के लिए दिया। इसके बाद उसने उसका शारीरिक शोषण किया। रोने पर उसने शादी की बात कही। इसके बाद शादी की बात पर एक साल तक शारीरिक शोषण करता रहा। युवती ने आरोप लगाया था कि उसे अब जान से मारने की धमकी दे रहा है।

जांच में आई ब्लैकमेलिंग की बात

लालपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद बदरूनिशा ने पुलिस अधिकारियों को एक आवेदन दिया, जिसमें उसे फंसाने की बात कही गई थी। पुलिस अधिकारियों ने इस मामले की जांच मांडर थाना को सौंप दी। मांडर थाना के एएसआई विजय कुमार ने मामले की जांच की तो पाया कि जो युवती जिस महिला और युवक पर आरोप लगा रही है, वो बेबुनियाद है। इस मामले में जांचकर्ता विजय कुमार ने सकड़ा गांव के सदर समीर अंसारी समेत कई ग्रामीणों से भी महिला व युवक के आचरण के बारे में जांच की, तो पाया कि उनलोगों को शादी के नाम पर ब्लैकमेल किया जा रहा है। जबकि अशफाक की मां और परिजन उसके साथ शादी करने के लिए तैयार हैं। इस बाबत गांव में कई बार पंचायत भी बैठी, लेकिन शिकायतकर्ता और उसका परिवार पंचायत की बैठक में शामिल नहीं हुए।

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क्या किया लालपुर पुलिस ने

लालपुर पुलिस ने इस मामले की जांच का जिम्मा एएसआई योगेंद्र प्रसाद सिंह को दिया था। योगेंद्र प्रसाद सिंह ने मामले की जांच कर रिपोर्ट वरीय अधिकारियों को सौंप दी। पुलिस ने यह भी जहमत नहीं उठाया कि जिस पर आरोप लगा है कि उससे पूछताछ कर लें या लड़की जिस घटनास्थल पर शारीरिक शोषण की बात कह रही है, उस स्थान पर जाकर लोगों से पूछताछ कर लें। यहां तक कि पुलिस ने मून लॉज के उस सीसीटीवी कैमरे को भी नहीं खंगाला। बल्कि थाने में बैठे-बैठे ही केस के मामले में अपनी डायरी सौंप दी। डायरी के आधार पर इंस्पेक्टर, डीएसपी ने इस मामले को सही करार दे दिया। डीएसपी द्वारा सत्य करार दिए जाने के बाद वरीय अधिकारियों ने इस केस को सही करार दिया।

काउंसेलिंग विफल, फिर केस

इसके पूर्व अशफाक आलम और अफीका परवीन का मामला महिला थाने में भी चला था। काउंसेलिंग चुटिया थाना परामर्श केंद्र में भी हुई। लेकिन, इसमें भी कोई बात नहीं बनी थी। तब युवती ने लालपुर थाने में उनलोगों के विरुद्ध केस दर्ज कराया। फिर, उसके आधार पर पुलिस ने आरोपी के खिलाफ वारंट निकाल लिया।