-पुलिस वालों के हाथ में नहीं थी लाठी, पूरे क्षेत्र में सुनाई देती रही सीटी

ALLAHABAD: पिछले वर्षो में मेला क्षेत्र में स्नान पर्वो पर पुलिस के जवान सीटी के साथ हाथ में लाठी लेकर भीड़ को कंट्रोल करते नजर आते थे। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। इस बार पुलिस जवानों के हाथों से लाठी गायब हो गई। उसकी जगह सिर्फ और सिर्फ सीटी दिखाई दी। पुलिसकर्मी सीटी के सहारे ही श्रद्धालुओं को इधर-उधर जाने का निर्देश देते रहे।

पुलिस चौकी पर बजती रही सीटी

मेला क्षेत्र के सभी पांच सेक्टर में पुलिस विभाग की ओर से 36 पुलिस चौकी स्थापित की गई है। सभी चौकियों पर बसंत पंचमी पर्व पर एक दरोगा व तीन पुलिसकर्मियों की तैनाती थी। अत्यधिक भीड़ की आशंका पर सभी चौकियों पर पुलिस वालों को सीटी दी गई थी। इसीलिए संगम अपर मार्ग, रामानुज मार्ग, खाक चौक व सरस्वती मार्ग पर स्थापित चौकियों के बाहर पुलिस वाले सीटी बजाकर श्रद्धालुओं को गहरे पानी में न जाने संबंधी हिदायत देते रहे।

और बेअसर रही सीटी

आलम यह रहा कि पंचमी स्नान के लिए सुबह लगभग दस बजे परेड ग्राउंड से काली सड़क की ओर श्रद्धालुओं का रेला बढ़ा तो उसके बीच कई दोपहिया व चार पहिया वाहन संगम की ओर जाते दिखे। लेकिन इन्हें नियंत्रित करने के लिए पुलिस सिर्फ सीटी ही बजा रही थी। पुलिस प्रशासन के शिविर के सामने दर्जनों पुलिसकर्मी सीटी सिर्फ सीटी बजाकर श्रद्धालुओं को दिशा ही दिखाते रहे। उनमें से किसी ने भी वाहनों को रोकने की कोशिश नहीं की। यही नहीं पुलिस की स्कॉर्ट जीप से भी परिजनों को संगम तक पहुंचाया गया।

पैरा मिलिट्री ने भी बजाई सीटी

संगम नोज पर सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए रैपिड एक्शन फोर्स के जवान दिनभर मुस्तैद रहे। उनके हाथों में लाठी के साथ सीटी भी थी। हालांकि वे सिर्फ सीटी का ही इस्तेमाल करते रहे और लाठी भांजने से परहेज किया।

बॉक्स

दौड़ते रहे वाहन

मेला के प्रमुख स्नान पर्वो के एक दिन पहले से ही ट्रैफिक व्यवस्था को देखते हुए आवागमन प्रतिबंधित कर दिया जाता है। लेकिन यह व्यवस्था चुनिंदा लोगों के लिए नहीं होती है। मौनी अमावस्या जैसे स्नान पर्व के दिन भी मेला क्षेत्र में बेपरवाह होकर वाहन दौड़े थे और सोमवार को बसंत पंचमी स्नान पर्व के दौरान भी ट्रैफिक सिस्टम ध्वस्त दिखा। दोपहिया व चार पहिया प्राइवेट वाहनों के साथ ही पुलिस की जीप से भी परिचितों को संगम तक पहुंचाया गया। सिर पर गठरी लेकर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं के रेला में वाहन वाले घुसे तो श्रद्धालुओं ने भी ऐसी व्यवस्था के लिए मेला प्रशासन को जमकर कोसा।

कॉलिंग

यहां लोग लाठी से तो मानते नहीं, भला सीटी से क्या मानेंगे। पुलिस वालों को कई बार बताया गया कि गाडि़यां आ रही हैं लेकिन उन लोगों की ओर से एक बार भी जवाब नहीं मिला। सिर्फ नाम का ट्रैफिक नियंत्रण दिखाई दिया।

-संकठा प्रसाद

जब भीड़ नियंत्रण पर ही फोकस था तो वाहनों के प्रतिबंध का क्या औचित्य रहा। एक तो भीड़ की वजह से धीरे-धीरे चलना पड़ रहा था ऊपर से वाहनों के हॉर्न से बहुत परेशानी हुई।

-राहुल विश्वकर्मा

लोगों को यह क्यों नहीं समझ में आता कि लाखों का रेला जहां हो वहां पर सावधानी बरतनी चाहिए। ट्रैफिक को लेकर प्रशासनिक व्यवस्था ठीक नहीं दिखाई दी।

-आशीष पटेल

सारी व्यवस्था आम लोगों के लिए ही होती है। खास लोगों को प्रशासन खुद व्यवस्थाएं कराता है। कोई दुर्घटना हो जाती तब अधिकारी जागते।

-राजेश तिवारी