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- नए कप्तान द्वारा काफी फेरबदल किए जाने की है संभावना, चल रही है स्क्रीनिंग

- जिन दरोगा, थानेदार को ठीक से जान नहीं पाए कप्तान, उनकी भी पहुंच रही पैरवी

GORAKHPUR: जिले में नए पुलिस कप्तान के चार्ज लेते ही थानों का चार्ज संभाल रहे इंस्पेक्टर, दरोगा को अपनी थानेदारी छिनने का डर सताने लगा है। सीधे साहब तक अभी पहुंच नहीं बन पाई इसलिए परिचित नेताओं की परिक्रमा कर उनके जरिए कुछ थानेदारों ने कप्तान तक अपनी पैरवी करानी शुरू कर दी है। हालांकि नवागत एसएसपी ने किसी के कार्य क्षेत्र में फेरबदल नहीं किया है और न ही क्राइम मीटिंग ही की है लेकिन माना जा रहा है कि जल्द ही भारी फेरबदल किया जाने वाला है। ऐसे में, थानेदारी से हाथ धोने का खतरा भांपकर कुछ दरोगा नेताओं की शरण में चले गए हैं। वहीं एसएसपी का कहना है कि किसी का जुगाड़ काम नहीं आएगा, सबके कामकाज की समीक्षा करते हुए ही जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी।

हर सरकार में जुगाड़

जिले में कई ऐसे इंस्पेक्टर और दरोगा हैं, जो लगातार थानों-चौकियों का चार्ज संभाल रहे हैं। सपा सरकार में भी उनको थानों का प्रभार दिया गया था। सरकार बदलने के बाद वह लगातार एसएचओ और एसओ बने हुए हैं। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में तत्कालीन एसएसपी रामलाल वर्मा का तबादला हो गया।

स्क्रीनिंग के बाद होगी तैनाती

अपनी थानेदारी जाने का डर इस समय सभी थानेदारों को सता रहा है। परेशान पुलिस वालों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा कि कैसे पुलिस कप्तान तक अपनी बात पहुंचाएं? वे लगातार अपने माध्यमों से एसएसपी तक पैरवी पहुंचा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो कई ऐसे दरोगाओं के लिए भी एसएसपी के पास फोन आ चुके हैं जिनको अभी कप्तान ठीक से जान भी नहीं पाए हैं।

इसलिए डरे हुए हैं जुगाड़ी

पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि थानेदारों और चौकी प्रभारियों के कामकाज की समीक्षा शुरू हो गई है। शासन की मंशा के अनुरूप सबका रिकॉर्ड भी खंगाला जा रहा है। जुगाड़ और गुणा-गणित की बदौलत थानेदारी करने वालों की सूची बनाई जा रही है। स्क्रीनिंग के बाद कार्यक्षेत्रों में बड़ा बदलाव किया जाएगा। इस कारण जुगाड़ी फिर से अपना जुगाड़ भिड़ाने में लग गए हैं।

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थानों पर लौट आए कारखास

पूर्व एसएसपी रामलाल वर्मा ने जिन सिपाहियों को हटा दिया था, उनके तबादले के बाद वह फिर से थानों और चौकियों पर लौट आए हैं। महकमे में चर्चा है कि जाते-जाते पूर्व कप्तान ने सबकी गलती माफ करते हुए पूर्ववत बने रहने का आदेश जारी कर दिया था। थानों पर वापस लौटने वाले सिपाहियों में ज्यादातर इंस्पेक्टर-एसओ के कारखास शामिल हैं। पुलिस कर्मचारियों का कहना है कि हर थाना और चौकी पर ऐसे सिपाही होते हैं जो थानेदार के करीबी होते हैं। सारा मैनेजमेंट उनके जिम्मे होता है। उनकी लाइजनिंग से एसओ अपनी थानेदारी चलाते हैं। कारखास की वापसी के बाद अब थानेदार भी अपने जुगाड़ में लग गए हैं।

वर्जन

सबके बारे में एक-एक जानकारी है। कुछ लोग इस गलतफहमी में हैं कि जुगाड़ से उनका काम चल जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं होने पाएगा। गाइड लाइन और शासन की मंशा के अनुरूप ही कार्य किया जाएगा। थोड़ा समय दीजिए उसके बाद परिणाम खुद आप लोगों के सामने होगा।

आरपी पांडेय, एसएसपी