आगरा: एत्मादपुर क्षेत्र में सात साल की बेटी से दुष्कर्म के बाद हत्यारोपी पिता को मंगलवार को पुलिस ने जेल भेज दिया। बहन की हत्या ने दोनों भाइयों के मन में पिता के प्रति इस कदर नफरत पैदा कर दी कि उन्होंने उसका चेहरा देखने तक से मना कर दिया। पुलिस अफसर भी हैरान एत्मादपुर क्षेत्र स्थित स्कूल परिसर में 25 नवंबर की भोर में सात साल की बालिका की लाश मिली थी। उसकी दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या की गई थी। पुलिस ने हत्याकांड की तफ्तीश शुरू की तो शक की सुई पिता पर जाकर ठहर गई। हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर पिता ने सच उगल दिया। इसे सुन पुलिस अधिकारी भी हैरान रह गए कि क्या कोई पिता अपनी ही मासूम बेटी से दुष्कर्म के बाद हत्या भी कर सकता है।

जांच में हुआ खुलासा
पिता द्वारा जुर्म का इकबाल करने के बाद दोनों बेटों में उसके प्रति जबरदस्त नफरत दिखी। दो दिन पहले उन्होंने थाने में ही पिता को खरी-खोटी सुनाई और हमेशा के लिए नाता तोड़ वहां से चले गए। कोई शिकन नहीं आरोपी पिता पर कहते हैं अंधेरे में लोग रास्ता भटक जाते हैं। बालिका से दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में अंधेरे ने ही कातिल के चेहरे को रोशनी डाली। पिता ने 24 नवंबर की मध्य रात्रि एत्मादपुर थाने पहुंचकर पुलिस को बेटी के गायब होने की जानकारी दी। पुलिस को अपने साथ मौके पर लेकर पहुंचा। पुलिस टार्च लेकर आसपास का इलाका खंगाल रही थी, जबकि पिता सीधे अंधेरे में डूबी इमारत में पहुंच गया और पुलिस को बताया कि उसे बेटी मिल गई है। पुलिस को यह बात तभी खटक गई थी। रिश्तेदार और समाज के लोग नहीं करेंगे पैरवी पिता के खिलाफ परिवार और समाज के लोग भी लामबंद हो गए हैं। वे हत्यारे की पैरवी नहीं करेंगे। उनका कहना था कि ऐसे वहशी दरिंदे की जगह गांव में नहीं बल्कि जेल में है। यही नहीं यदि समाज का कोई व्यक्ति पैरवी करेगा तो उसका भी बहिष्कार करेंगे।

बेटों ने नहीं देखा चेहरा
मंगलवार को पिता ने पुलिस से जेल जाने से पहले बेटों से मिलने की इच्छा जताई पर बेटों ने उसका चेहरा तक देखने से मना कर दिया। उनका कहना था कि उसे पिता कहने में भी शर्म आ रही है। एसपी डॉ। अखिलेश नारायण ने बताया आरोपी पिता को जेल भेज दिया है। साहब, इसे फांसी दो आरोपी पिता को गांव के लोग अपने हाथों से सजा देना चाहते थे। उन्हें अफसोस था कि कुछ महीने पहले बेटी से दु‌र्व्यवहार करने पर उसे तभी पुलिस को सौंप देते तो शायद बालिका से दरिंदगी से बच जाती। आरोपी के जुर्म इकबाल करने के बाद पुलिस अधिकारी बस्ती में गए थे। आक्रोशित ग्रामीणों का कहना था कि दरिंदे को फांसी के फंदे तक पहुंचा दो। वह उसे जीवित देखना नहीं चाहते। उसका चेहरा तक याद रखना नहीं चाहते।