i next reporter

विधानसभा चुनाव के पहले रोजाना समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं। धीरे-धीरे चुनावी रंगत छा रही है। घर से बाहर निकलने वाला हर शख्स कहीं न कहीं चुनावी चर्चा में मशगूल हो जा रहा है। शुक्रवार को जन की बात, चाय की चर्चा का हाल जानने के लिए आई नेक्स्ट टीम विधान सभा क्षेत्र पिपराइच के महराजगंज चौराहा पर पहुंची। वहां गोविंद की चाय की दुकान पर मौजूद लोग पहले से टिकट बंटवारे की बहस में शामिल थे। आप भी सुनिए किस अंदाज में सबने रखी अपनी बात

छोटेलाल निषाद: देखिए, एक बार देश का प्रधानमंत्री बदल दिए हैं। हम लोगों को रोज-रोज कुछ न कुछ बदलना पड़ रहा है। पता नहीं मोदी जी क्या-क्या बदलवाने पर उतारू हैं। कुछ लोग परेशान हैं तो वह लोग उनको कोस रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि बहुत बढि़या हो गया है। बेइमान सब परेशान हैं। उनका सारा पैसा बर्बाद हो गया। लेकिन हम लोगों को कोई फायदा नहीं नजर आ रहा।

जगदीश पासवान (असहमति जताते हुए): पता नहीं आप लोगों को क्या चाहिए? इंतजार कर रहे हैं कि क्या खाते में 15-15 लाख रुपया आ जाएगा? मोदी जी ने ऐसा तो कहा नहीं था कि सबको पैसा दे देंगे। टैक्स चोरी करने वाले परेशान हो कर घूम रहे हैं। सरकार ने बड़ा अच्छा काम किया है। इसका समर्थन सबको करना चाहिए।

(दोनों एक-दूसरे पर हावी होने की कोशिश करने लगे)

अशोक कसौधन: क्यों कर देंगे समर्थन? जबरदस्ती की बात हर आदमी कर रहा है। जिनके पास चोरी का पैसा नहीं है। उसके लिए आखिर इसमें क्या फायदा हुआ। नेता खुद ही गलत कामों में इंवॉल्व हैं। इसके बाद जनता से कहेंगे कि वहीं लोग सबसे बड़े ईमानदार हैं।

(सबकी बात सुनकर बीच में अपनी चाय छोड़कर फतेह आलम बतकही में शामिल हो गए.)

डॉ। फतेह आलम: देखिए वह सब तो राष्ट्रीय मुद्दा है। एक आदमी को न तो फायदा होगा। न ही एक आदमी का नुकसान हो रहा है। इसलिए उन बातों को छोड़कर अपने इलाके के बारे में बात करते तो ठीक रहता। यहां हम लोग तमाम तरह की समस्याएं झेल रहे हैं। लेकिन हमारी समस्याओं का समाधान करने वाला कोई नहीं है। इसलिए इस बार तो उनको ही चुना जाएगा जो कम से कम अपने क्षेत्र पर ध्यान दे।

राजेंद्र सिंह मास्टर साहब : हांहांहंसते हुए बोले, हर बार चुनाव में हम लोग यही सोचकर वोट दे देते हैं। नेता जीतने के बाद नजर ही नहीं आते। इस बार प्रदेश सरकार में तो और नर्क हो गया। विकास की सारी उम्मीद ही टूट गई। क्षेत्र में कोई काम नहीं हो पाया।

व्यासमुनि: सही कह रहे हैं मास्टर साहब, कोई काम नहीं हुआ। देख लीजिए हमारे गांव के पास चिलुआताल पर एक पुल बना है। पुलवा बनवाकर विभाग वाले गायब हो गए। मिट्टी पाटकर अप्रोच बना दिए होते तो कम से कम लोगों को आने जाने में प्रॉब्लम नहीं होती।

प्रशांत कुमार: यही मौका है जब कोई वोट मांगने आए तो उसको बताया जाए कि किस बात के लिए वोट दिया जाए। जब पांच साल में एक अप्रोच नहीं बनवा पाए। जिस दिन कोई मोटर साइकिल लेकर चिलुआताल में गिर जाएगा। उस समय सबको समझ में आएगा।

(काफी देर से सबकी बात सुनते हुए सुनील कन्नौजिया बोले)

सुनील कन्नौजिया: कौन हम लोगों की बात सुनता है। अरे चुनाव आए तो वोट दे दीजिए। इसके बाद पांच साल तक परेशान रहिए। हमीं लोगों को ऐसा काम करना होगा कि नेता लोग हमारी बात सुनें।

शक्ति कुमार: सुनील भाई की बात सही है। हम लोगों को चाहिए कि इस बार चुनाव में नेता नहीं, उनके कार्यकर्ताओं को पकड़ा जाए। उन्हीं लोगों के कहने पर वोट दिया जाता है।

(इस बात से पूरा माहौल बदल जाता है.)

प्रशांत कुमार: कार्यकर्ता क्या कर लेगा। सारी जिम्मेदारी तो क्षेत्र के जनप्रतिनिधि की होती है। वह काम नहीं करेगा तो समस्याएं तो बनी ही रहेंगे। कोई यह थोड़े जानता है कि जीतने वाले काम नहीं कराएंगे।

(मजा लेने के अंदाज में )

जगदीश पासवान: काम तो कर ही रहे हैं। तब न यह सब नजर आ रहा है। अरे, जब तक आप लोग बदलेंगे नहीं, तब तक ऐसा ही होता रहेगा। कुछ लोग जात-पात की राजनीति कर रहे हैं। उनको फुरसत कहां है कि क्षेत्र की समस्याओं को देखें। जनता के बीच जाने पर समस्याओं का समाधान कराएं।

टी-प्वॉइंट:

प्रधानी का चुनाव हो या विधायकी का। हमेशा दुकान को लोग विधान सभा बना देते हैं। हमारी दुकान पर तीनों टाइम इसी बारे में लोग चर्चा कर रहे हैं। चौराहे पर हमारे पिता जी ने दुकान खोली थी। उनके साथ हम लोग भी काम में हाथ बंटाते हैं। कई बार तो लोग ऐसी बहस करते हैं कि लगता है कि आपस में मारपीट कर लेंगे। लेकिन लोगों की बात सुनते-सुनते आदत पड़ गई है।

गोविंद कुमार, दुकान मालिक