-मुगलसराय रेलवे स्टेशन के डाउन यार्ड में हरदम मंडरा रहा मौत का खतरा

--OHE पोल से टकराकर डेली इंजर्ड हो रहे पैसेंजर्स, रेल टै्रक से पोल के बीच गैप काफी कम होने से हो रहे हादसे

-बोगी के गेट पर जर्नी करते वक्त कई पैसेंजर्स की जिंदगियां लील चुके हैं पांच पोल्स

VARANASI: हेडिंग पढ़कर आप शॉक्ड हो गए होंगे कि आखिर पोल कैसे बलि की सेंचुरी पूरी कर सकता है? लेकिन यह बिल्कुल सच है। यदि बलि नहीं ले पाया तो जिंदा लाश बनाकर छोड़ देता है। यह इतना डेंजरस हो चुका है कि रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन भी इसे हटाने की हिमाकत नहीं कर पाता है। रेल टै्रक का यह ऐसा इलेक्ट्रिक पोल है जो अब तक सौ से भी अधिक जिंदगियां चंद सेकेंडों में लील चुका है। मुगलसराय रेलवे स्टेशन के डाउन यार्ड में ये पांचों ओवर हेड वायर (ओएचई) पोल्स ऐसे हैं जिनसे डेली पैसेंजर्स डेली टकराकर चोटिल हो रहे हैं। इतने के बाद भी राम जाने इन पोल्स को कब तक हटाया जाएगा।

चलती ट्रेन से गिरती है मौत

रेलवे स्टेशन के डाउन यार्ड में म्7क् से लेकर म्7भ् नंबर तक के इलेक्ट्रिक पोल्स व रेल टै्रक के बीच गैप काफी कम है। इन पोल्स के करीब जब ट्रेन पहुंचती है तो कोचेज और पोल्स के बीच की दूरी बेहद कम हो जाती है। इस दौरान पैसेंजर्स जैसे ही गेट के बाहर सर निकालकर देखते हैं वे इन खतरनाक पोल्स से टकरा जाते हैं और चलती ट्रेन से गिरकर काफी देर तक बेहोश हाल में ही पड़े रहते हैं। इंफॉर्मेशन मिलने पर जब तक जीआरपी-आरपीएफ के जवान पहुंचते हैं तब तक घायल पैसेंजर की कहानी समाप्त हो चुकी होती है।

त्योहारी मौसम में बढ़ती हैं घटनाएं

मुगलसराय-पटना रेल रूट पर लगभग डेढ़ सौ से अधिक ट्रेन्स अप-डाउन करती हैं। फेस्टिवल सीजन में इन विद्युत पोल्स से टकराने की घटनाएं अधिक होती हैं। क्योंकि जनरल कोचेज में पैसेंजर्स की गैदरिंग काफी अधिक होती है। सिचुएशन ऐसी होती है कि गेट पर लटकते हुए जर्नी करने के लिए पैसेंजर्स बाध्य होते हैं। इस दौरान जब यार्ड से ट्रेन क्रॉस होती है तो इन पैसेंजर्स में से कई पोल से टकरा जाते हैं। मंडल रेल हॉस्पिटल के जनरल वा‌र्ड्स में एडमिट होने वालों में से अधिकतर इन पोल्स से टकराने वाले पैसेंजर्स होते हैं। इनमें जो सीरियस होते हैं उन्हें बीएचयू सहित डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल रेफर कर दिया जाता है।

रेलवे दें ध्यान तो बचे जान

डिपार्टमेंटल सोर्सेज की मानें तो ओएचई पोल्स मानक के हिसाब से नहीं लगे हुए हैं। जिसके कारण ये पोल्स पैसेंजर्स के लिए आये दिन हादसे का सबब बन रहे हैं। ये हाल तब है जबकि यहां एक्सिडेंट न होने देने के लिए टाइम-टाइम पर डिपार्टमेंटल सुपरवाइजर्स की ओर से इंस्पेक्शन भी किया जाता है। रेल टै्रक पर ट्रेनों का प्रेशर बहुत अधिक है। विद्युत पोल्स की रेल ट्रैक से दूरी बढ़ा दी जाए तो पैंसेंजर्स की जान बच सकती है।

डिपार्टमेंट के ऑफिसर इस प्रॉब्लम पर मंथन कर रहे हैं। ट्रेन्स की अप-डाउन अधिक है इसलिए रूट ब्लॉक करने के बाद ही वर्क किया जा सकता है। उसी के लिए प्लैनिंग की जा रही है।

बी राम

पीआरओ, ईसीआर, मुगलसराय