-शहर में दिवाली के मौके पर शाम से ही अन्य दिनों के मुकाबले पॉल्यूशन काफी तेजी से बढ़ा लेकिन पिछले साल के मुकाबले कम रहा

-पटाखों पर बहस के बीच कानपुराइट्स ने पर्यावरण के प्रति दिखाई जागरूकता, पटाखे छुड़ाने के साथ आबोहवा का भी रखा ख्याल

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यन्हृक्कक्त्र: पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी दिल्ली में पॉल्यूशन का स्तर खतरनाक लेवल तक जा पहुंचा, लेकिन कानपुर में रोक न होने के बावजूद लोगों ने पर्यावरण के प्रति जागरूकता दिखाई। जिससे पॉल्यूशन का स्तर ज्यादा नहीं बढ़ा। पिछले साल के मुकाबले इस साल शहर में पटाखों की बिक्री काफी कम हुई, जिसका असर पॉल्युशन लेवल पर भी दिखाई दिया। न बढ़ने की भी अहम कड़ी माना जा रहा है।

पिछले दो दिन में बढ़ा स्तर

दिवाली पर कानपुर में पटाखे छुड़ाने के लोग खासे दीवाने हैं। शहर के हर इलाके में नॉनस्टॉप घंटों पटाखे छूटते हैं। लेकिन इस साल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में पटाखे छुड़ाने को लेकर एक बहस छिड़ गई थी। जिसकी गंभीरता को कानपुराइट्स ने समझा और ज्यादा पॉल्युशन बढ़ाने वाले पटाखों को नहीं जलाया। दीवाली वाले दिन यानि की थर्सडे शाम 7 बजे से पर्यावरण में पॉल्यूशन का स्तर बढ़ता गया। देर रात एक बजे तक पीएम का लेवल 475 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक जा पहुंचा, जो पिछले साल 700 तक पहुंच गया था। वहीं फ्राइडे को परिवा वाले दिन पीएम का लेवल 10 बजे तक 523 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच चुका था, जो पिछले साल के मुकाबले 150 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक कम था। वहीं हवा में सल्फर डाई आक्साइड की मात्रा 88.75 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गई जो खतरनाक लेवल से 8.75 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर ज्यादा थी, इसके बाद हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा 9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंची थी, जो मात्रा से काफी कम थी।

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बढ़ गए दमा के मरीज

दीवाली में बढ़े पॉल्यूशन और बदलते मौसम की वजह से शहर में दमा रोगियों की संख्या पिछले 3 दिनों में 4 गुना तक बढ़ गई है। चेस्ट हॉस्पिटल में पिछले 3 दिनों में 30 से ज्यादा मरीज भर्ती हुए हैं। वहीं प्राइवेट हॉस्पिटल्स में भी 40 से ज्यादा लोग अपना इलाज करा रहे हैं। वहीं डॉक्टर्स भी मान रहे हैं कि दिवाली में बढ़े पॉल्यूशन के स्तर की वजह से दमे के रोगियों की संख्या बढ़ी है। वहीं बदलता मौसम में रात में बढ़ती ठंड की वजह से भी दमा रोगियों की संख्या और बढ़ती जा रही है।

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इस बार कम बिके पटाखे

बढ़ते पॉल्यूशन के खतरे को देखते हुए देश में छिड़ी बहस के बाद पूरा कानपुर बिना किसी जागरूकता अभियान के ही अपने शहर की आबोंहवा को बचाने के लिए एकजुट हो गया। जिसका असर यह रहा कि पीक टाइम में भी पिछले साल के मुकाबले इस बार पॉल्युशन का स्तर कम ही रहा। थोक पटाखा कारोबारी विजय श्रीवास्तव के मुताबिक, इस बार पिछले साल के मुकाबले पटाखे कम ही बिके हैं, पिछले साल जहां पटाखे बचे ही नहीं थे, वहीं इस साल लगभग आधे पटाखे बच गए। यही हाल फूलबाग में पटाखा बेचने वाले थोक कारोबारियों का था। एक अनुमान के मुताबिक, पिछले साल पटाखों का कुल कारोबार लगभग 80 करोड़ के आसपास पहुंच गया था, जो इस साल लगभग 30 करोड़ तक ही सिमट कर रह गया।

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शहर में पॉल्यूशन का स्तर

19 अक्टूबर (दीवाली) बढ़ा लेवल नॉर्मल लेवल

पीएम लेवल--- 475 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 60

नाइट्रोजन ऑक्साइड--- 88.75 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 80

सल्फर ऑक्साइड--- 8.68 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 80

20 अक्टूबर (परेवा)

पीएम लेवल--- 523 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 60

नाइट्रोजन ऑक्साइड--- 98.65 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 80

सल्फर ऑक्साइड--- 9.33 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर 80

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दीवाली की वजह से पॉल्यूशन के स्तर में भारी बढ़त हुई है, लेकिन पिछले साल के मुकाबले इस बार पॉल्यूशन का स्तर कम हुआ है। लोगों को पॉल्यूशन के प्रति और अवेयर होना पड़ेगा।

-कुलदीप मिश्रा, क्षेत्रीय अधिकारी, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड