- पार्टिकुलेटेड मैटर की वजह से पेड़ पौधों की ऑक्सीजन उत्सर्जन क्षमता पर पड़ रहा प्रभाव

- शहर के कई एरिया में ऑक्सीजन लेवल प्रदूषण की वजह से हो गया है कम

KANPUR: कानपुर में प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंचने का प्रभाव सिर्फ इंसानों पर ही नहीं पड़ रहा, बल्कि पार्टिकुलेटेड मैटर का खतरनाक स्तर पर पहुंचना पेड़ पौधों की ऑक्सीजन उत्सर्जन क्षमता को भी प्रभावित कर रहा है। पिछले महीने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक सर्वे में भी इसका खुलासा हुआ था कि पार्टिकुलेटेड मैटर का प्रभाव रेजीडेंशियल व इंडस्ट्रीयल दोनों एरियॉज में एक समान है। विशेषज्ञ भी इस बात को मान रहे हैं कि पार्टिकुलेटेड मैटर के प्रभाव से पेड़ पौधों पर धूलकणों की जो मोटी परत जमा हुई है, उससे बड़ी मात्रा में ग्रीन एरिया में भी पेड़ पौधों की आक्सीजन उत्सर्जन की क्षमता पर प्रभाव पड़ा है।

कार्बन कम अब्जार्व कर रहे हैं

पूर्व डीएफओ व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ। सुरेश यादव के मुताबिक पेड़ पौधे अपनी हरी पत्तियों के जरिए ही इनवॉयरमेंट में मौजूद कार्बन को सोखते हैं, लेकिन शहरी क्षेत्रों में जहां पार्टिकुलेटेड मैटर मानक से 5 से 6 गुना तक ज्यादा रहता है। उससे पेड़ पौधों पर धूलकणों की मोटी परत जम जाती है। जिसकी वजह से पेड़ की कार्बन सोखने की क्षमता कम हो जाती है। इसका दूसरा प्रभाव यह होता है कि कार्बन अब्जार्व कम करने से ऑक्सीजन की मात्रा भी इनवायरमेंट में कम हो जाती है। शहरी क्षेत्रों में यह तेजी से हो रहा है।

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सर्वे में चौकाने वाला खुलासा

यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से पिछले महीने शहर की 5 मुख्य लोकेशन पर प्रदूषण का स्तर मांपने 4 से 5 हफ्ते तक सर्वे किया गया। इस दौरान इन इलाकों में प्रदूषण का स्तर लगातार मानक से कहीं ज्यादा रहा। खास बात यह थी कि पीएम 10 का स्तर पूरे महीने 4 से 5 गुना तक ज्यादा रहा। इन लोकेशन्स को इंडस्ट्रीयल, रेजीडेंशियल एरिया के हिसाब से चुना गया था। इस सर्वे से यह तथ्य भी सामने आया कि शास्त्रीनगर जैसे रेजीडेंशियल एरिया में प्रदूषण का स्तर पनकी इंडस्ट्रीयल एरिया के बराबर ही था।

यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोडर् का सर्वे-

-किदवई नगर में 24 दिन तक प्रदूषण का ऑब्जर्वेशन

-जरीब चौकी में 24 दिन तक

- पनकी इंडस्ट्रीयल एरिया में 36 दिन तक

-शास्त्रीनगर में 32 दिन तक ऑब्जर्वेशन

-आवास विकास कल्याणपुर में 28 दिन तक ऑब्जर्वेशन

अलग-2 हिस्सों में प्रदूषण्ा का स्तर-

सैंपलिंग लोकेशन- एसओ2-एनओटू-पीएम10

किदवई नगर-8.20-55.14-254

जरीबचौकी-9.33-51.22-287

पनकी-9.98-75.42-286

शास्त्रीनगर-8.58-61.91-284

आवास विकास कल्याणपुर- 8.76-72.13-281

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25 परसेंट ज्यादा पार्टिकुलेटेड मैटर

यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि शहरी क्षेत्रों में खासकर चौराहों पर पार्टिकुलेटेड मैटर का प्रभाव अन्य स्थानों से 25 से 30 फीसदी तक ज्यादा रहता है। इसकी वजह लगातार चौराहों पर लगने वाला जाम है।

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पानी का छिड़काव ही विकल्प

पिछले महीने जब लगातार कानपुर में प्रदूषण का स्तर मानक से कई गुना ज्यादा पाया गया तो जिला प्रशासन की पहल पर सड़क व पेड़ पौधों में पानी का छिड़काव शुरू कराया गया। इसका तात्कालिक प्रभाव भी दिखा और वातावरण में पार्टिकुलेटेड मैटर का स्तर काफी कम हो गया। हालांकि एक दो दिन बाद पानी का छिड़काव बंद हो गया।

क्या कहते हैं एक्सप‌र्ट्स-

पार्टिकुलेटेड मैटर के पत्तियों पर जमने की वजह से उनकी कार्बन सोखने की क्षमता कम हो जाती है। शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण की वजह से यह ज्यादा हो रहा है। पेड़ पौधे अगर कार्बन सोखेंगे नहीं तो उनकी आक्सीजन उत्सर्जन की क्षमता पर प्रभाव भी पड़ेगा।

- डॉ। सुरेश यादव, पयार्वरणविद्

प्रदूषण को कम करने के लिए पार्टिकुलेटेड मैटर पर सबसे पहले काबू पाना होगा, लेकिन आजकल पार्टिकुलेटेड मैटर का प्रभाव सिर्फ इंसानों पर ही नहीं बल्कि पेड़ पौधों पर भी पड़ रहा है।

- डॉ। प्रेम सिंह, एचओडी, मेडिसिन डिपार्टमेंट, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज