आई एक्सक्लूसिव

2.5 लाख के कैरी बैग हर रोज रांची में बिक जाते हैं

12 करोड़ रुपए का मासिक कारोबार होता है राज्य में

5000 व्यवसायी जुड़े हैं प्लास्टिक के व्यवसाय में

48000 हॉकर हर रोज फेरी करते हैं कैरी बैग का

 

nadeem.akhtar@inext.co.in

RANCHI (6 Sep) : राज्य सरकार द्वारा प्लास्टिक के कैरी बैग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के फैसले से इस व्यापार के बुरी तरह से प्रभावित होने की आशंका है। प्लास्टिक व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का अनुमान है कि अकेले रांची में हर महीने 80 करोड़ का कारोबार बंद हो जाएगा। इसके अलावा करीब ब्8 हजार हॉकर्स के समझ एकाएक बेरोजगारी का संकट भी खड़ा हो सकता है। अकेले रांची में हर दिन ख्.भ् लाख रुपए के प्लास्टिक कैरी बैग बिक जाते हैं। वर्ष ख्0क्क् में ख्0 माइक्रोन से कम थिकनेस के पॉलीथिन पर बैन लगा था। ख्0क्फ् में प्रतिबंध का दायरा बढ़ाकर ब्0 माइक्रोन किया गया। इसी साल दो माह पहले सरकार ने भ्0 माइक्रोन से कम थिकनेस के पॉली बैग पर पाबंदी लगायी। अब प्लास्टिक के हर तरह के पॉलीथिन पर पाबंदी लगी है, जिससे इस व्यवसाय से जुड़े लोगों में बेचैनी है.

भ्0 माइक्रोन से ज्यादा के बैग पर रोक न लगे

रांची के अधिकतर व्यवसायी चाहते हैं कि सरकार अपने निर्णय में फेरबदल करते हुए भ्0 माइक्रोन से ज्यादा थिकनेस के पॉली बैग के इस्तेमाल की छूट दे। चूंकि, भ्0 माइक्रोन से ऊपर के पॉली बैग पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते, इसलिए इसके चलन में रहने से कोई खतरा पैदा नहीं होगा। व्यापारी मानते हैं कि भ्0 माइक्रोन से कम थिकनेस वाले प्लास्टिक पॉली बैग से खतरा उत्पन्न होता है, इसलिए इसके पूरी तरह से प्रतिबंध लगने का उन्होंने स्वागत किया था। लेकिन, सरकार का ताजा फैसला इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के लिए अहितकर ही है.

बाजार में फंस जाएगी पूंजी, माल भी होगा बर्बाद

प्लास्टिक कैरी बैग पर पूर्ण प्रतिबंध से व्यवसायियों से लेकर छोटे हॉकर्स तक की बड़ी पूंजी बाजार में डूब जाएगी। रांची में करीब क्000 व्यवसायी इस व्यापार से जुड़े हैं। अधिकतर व्यवसायियों ने बैंक से लोन ले रखा है। कुछ व्यवसायी ऐसे भी हैं, जो फ्0 से भ्0 लाख रुपए तक के कर्ज में हैं। उनका माल रातो-रात कचड़े में तब्दील हो गया है। छोटे व्यवसायी अब पॉलीथिन खरीदेंगे नहीं, जिसके चलते हॉकर्स उन्हें माल लौटाएंगे। दूसरी ओर, हॉकर्स का भी मार्केट में ख्भ् से फ्0 हजार के बीच फंसा है, जो उनकी पूंजी है। वे अब छोटे दुकानदारों से अपना बकाया मांगेंगे, तो उन्हें बचा हुआ माल देकर चलता कर दिया जायेगा। इस तरह बाजार में करीब 80 करोड़ रुपए डूबने की आशंका पैदा हो गयी है

 

कोट

भ्0 माइक्रोन से कम थिकनेस के पॉली बैग पर कड़ाई से प्रतिबंध लगे और भ्0 से ज्यादा माइक्रोन के प्लास्टिक बैग्स को चलने दिया जाये। इससे व्यापार भी प्रभावित नहीं होगा और इस व्यवसाय से जुड़े हजारों की संख्या में हॉकर्स भी बेरोजगार होने से बच जाएंगे.

राजीव थेपड़ा, प्राची सेल्स

 

सुप्रीम कोर्ट ने भी भ्0 माइक्रोन से ऊपर के प्लास्टिक बैग्स के इस्तेमाल की इजाजत दे रखी है। सरकार के ताजा फैसले से कई व्यापारी भारी कर्ज में डूब जाएंगे। सरकार को सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए इस आदेश में संशोधन करना चाहिए।

संजय छाबड़ा, संजय प्लास्टिक

 

अगर प्रतिबंध लगाना ही है, तो सरकार को कम से कम छह महीने का समय देना चाहिए। अभी जो माल मार्केट में फंसा है, उसे पूरी तरह से निर्यात करने में इतना वक्त लगेगा ही। इसके अलावा कम थिकनेस वाले पॉली बैग को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

सुरेंद्र कुमार, अविजय ट्रेडर्स

 

सरकार द्वारा दिया गया आदेश व्यापार को तो प्रभावित करेगा ही, साथ ही साथ आम लोगों के लिए भी मुसीबत का सबब बनेगा। आम तौर पर लोग कोई भी सामान खरीदने के लिए दुकान जाते हैं, तो अपने साथ थैला नहीं ले जाते। ऐसे में व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित होगा।

संजय कुमार केसरी, पालकोट के व्यवसायी

 

 

काफी महंगा है पॉलीथिन का विकल्प 

प्लास्टिक के कैरी बैग्स बाजार में सिर्फ इसलिए पूरी तरह से हावी हो गये, क्योंकि उनकी कीमत कम है। जितना पतला प्लास्टिक बैग, उतनी कम कीमत। बाजार में प्लास्टिक के बैग्स की जगह बायो डिग्रेडेवल सुपर कैरी बैग्स आ चुके हैं। लेकिन, मुसीबत यह है कि इसकी कीमत इतनी ज्यादा है कि छोटे-मोटे दुकानदार इससे तौबा ही करते हैं। क्0 से ख्0 माइक्रोन वाले प्लास्टिक कैरी बैग्स की कीमत ख्भ् रुपए सैकड़ा है। वहीं भ्0 माइक्रोन से ज्यादा थिकनेस के प्लास्टिक बैग्स क्भ्0 रुपए सैकड़ा के हिसाब से बिक रहे थे। लेकिन, बायो डिग्रेडेवल सुपर कैरी बैग्स की कीमत फ्00 रुपए सैकड़ा है। यानी पांच किलो के सामान को रखने के लिए एक बैग पर फ् रुपए खर्च आयेगा। एक किलो के बायो डिग्रेडेवल बैग्स क्भ्0 रुपए में एक किलोग्राम आएगा। यानी छोटे बैग्स के लिए भी डेढ़ रुपए प्रति बैग खर्च करने होंगे। अगर दुकानदार इस कैरी बैग को चलन में ले भी आते हैं, तो वे अपने सामान की कीमत बढ़ाएंगे। अगर ऐसा न भी हुआ, तो दुकानदार अब ग्राहकों से ही बायो डिग्रेडेवल कैरी बैग्स की कीमत अलग से मांगेंगे। मॉल्स में तो काफी पहले से ही कैरी बैग पॉलिसी लागू है, जहां भ्0 माइक्रोन से ऊपर के प्लास्टिक बैग्स के लिए भ् रुपए तक वसूले जा रहे थे। यही नियम अब छोटे दुकानदार भी लागू कर सकते हैं।