- स्टेट में इम्पलाइज को नहीं मिल रहा इम्पलाइमेंट योजनाओं का लाभ

- एप्लीकेंट को लोन लेने में होती है परेशानी, बैंकों से नहीं मिलता हेल्प

PATNA : सरकारी योजनाएं जितनी व्यापक होती हैं उसका क्रियान्वयन उतना ही हल्के तरीके से किया जाता है। बिहार में केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी प्रोग्राम (पीएमईजीपी) का भी यही हाल है। बिहार में एंटरप्रेन्योरशिप से स्वावलंबन की बात कही जाती है, लेकिन जब इसे साकार करने का वक्त आता है तो प्रोजेक्ट के अप्रूवल और लोन लेने में सबसे ज्यादा परेशानी होती है। संबंधित स्टेकहोल्डर इसे गंभीरता से नहीं लेते, जिसकीवजह से प्रोजेक्ट पास कराने में देरी होती है।

क्या है पीएमईजीपी

यह केन्द्र सरकार के माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटेप्राइजेज के अंर्तगत आता है। इस प्रोग्राम को क्भ् अगस्त, ख्008 में शुरू किया गया था। इसका उदेश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के अवसर को बढ़ाना था। यह प्रोग्राम क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी के अंतर्गत आता है। इसमें क्8 साल से अधिक उम्र का संबंधित व्यक्ति जो कम से कम आठवीं पास हो, अप्लाई कर सकता है। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में दस लाख रुपए का प्रोजेक्ट शुरू करने और बिजनेस व सर्विस सेक्टर के लिए पांच लाख से अधिक का लोन दिया जाता है।

क्या है प्रोग्राम

इस प्रोग्राम को डीआईसी यानी डिस्ट्रिक इंडस्ट्री सेंटर के माध्यम से लागू किया जाता है। इंडस्ट्री डिपार्टमेंट के माध्यम से प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एड निकलता है। फाइनेंसियल असिस्टेंट के लिए ऑनलाइन अप्लाई भी किया जा सकता है। प्रोजेक्ट को डीआईसी से अप्रूव किया जाता है। सूत्र बताते हैं कि इसके अप्रूवल में ही काफी समय लग जाता है। अगर जल्दी इसे अप्रूव या रिजेक्ट कर दिया जाए तो फिर ऐसी नौबत ही नहीं आएगी।

बैंकों का पीएमईजीपी प्रोग्रेस रिपोर्ट (फ्क् दिसंबर, ख्0क्ब् तक)

बैंक (टारगेट संख्या में) अचीवमेंट (परसेंट में)

एसबीआई -क्ख्8फ् भ्.ख्ख् परसेंट

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया -7म्0 क्क्.7क् परसेंट

पीएनबी -8ब्ख् क्0.फ्फ् परसेंट

कैनरा बैंक- ख्8भ् क्8.म्0 परसेंट

यूको बैंक -ब्क्म् 0.9म् परसेंट

बैंक ऑफ बड़ौदा- फ्क्8 क्फ्.भ्ख् परसेंट

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया- ख्क्9 ख्0.भ्भ् परसेंट

बैंक ऑफ इंडिया-ब्क्म् क्0.क्0 परसेंट

इलाहाबाद बैंक - ब्फ्फ् म्.ब्7 परसेंट

इंडियन ओवरसीज बैंक- क्क्0 ख्.7फ् परसेंट

लक्ष्य से पीछे हैं बैंक

किसी भी सरकारी योजना के बेहतर क्रियान्वयन में बैंक की अहम भूमिका होती है। पीएमईजीपी में भी यह बात लागू है, लेकिन बैंक के लोन देने के परफॉमेंस का आंकलन करें तो निराशाजनक तस्वीर सामने आती है। फ्क् दिसंबर, ख्0क्ब् तक बिहार में बैंकों को म्फ्8 लाख रुपए था, जबकि लोन अचीवमेंट का परसेंटेज मात्र 8.फ्ब् था। इसमें स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक और बैंक ऑफ इंडिया जैसे लीडिंग बैंक सहित कई बैंक शामिल हैं। आरबीआई ने भी इस ट्रेंड पर चिंता जताई है।

लोन की स्थिति खराब क्यों

बैंक जानकारों का कहना है कि सिर्फ बिहार ही नहीं देश के अन्य राज्यों में भी यह प्रॉब्लम है। वजह सिर्फ बैंक ही नहीं संबंधित स्टेकहोल्डर भी हैं। जब प्रोजेक्ट अप्रूवल में देर होता है तो आखिरी क्षणों में बैंक के लिए भी लोन प्रॉसेस के बेहतर क्रियान्वयन में परेशानी होती है। आरबीआई (बिहार-झारखंड) के रीजनल डायरेक्टर एमके वर्मा का कहना है कि प्रॉब्लम को-ऑर्डिनेशन की है। अगर समय रहते अप्लीकेंट का प्रोजेक्ट अप्रूव्ड हो जाता है तो बैंक के पास भी प्रॉसेस पूरा करने का पर्याप्त समय रहेगा। दरअसल जब कोई प्रोजेक्ट डीआईसी के पास जाता है तो वहां यह देखना जरूरी है कि उसकी फिजिबिलिटी है या नहीं। यानी संबंधित प्रोजेक्ट अप्रूव करने लायक है या नहीं, लेकिन प्राय: इसमें देर के कारण यह अगली प्रक्रिया में भेजने लायक नहीं रह जाता है।

अप्लीकेंट का प्रोजेक्ट डिस्ट्रिक इंडस्ट्री सेंटर अप्रूव करता है। समस्या को-ऑर्डिनेशन की है। अगर अप्रूवल समय पर हो तो बैंक के पास भी लोन प्रॉसेस पूरा करने का पर्याप्त समय रहेगा।

-एमके वर्मा, रीजनल डायरेक्टर (बिहार-झारखंड), आरबीआई