- साल बीतने के बाद 5ाी 150 मरीजों को ही मिला शासन से मिलने वाली असाध्य रोग निधि का ला5ा

- पिछले साल के मुकाबले आधा बजट मिला, वह 5ाी 2ार्च नहीं कर पाया एलएलआर हैलट हॉस्पिटल

- असाध्य रोगों से पीडि़त गरीबों के इलाज के लिए हर साल शासन की ओर से जारी करता है बजट

KANPUR: सरकारी अस्पतालों में गरीब मरीजों के लिए मुफ्त इलाज के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। शासन भी असाध्य रोगों से पीडि़त गरीबों के नाम पर हर साल करोड़ों का बजट देता है। लेकिन, शायद शहर से गरीब खत्म हो गए हैं या सरकारी अस्पतालों को गरीब पेशेंट ढूढे ही नहीं मिल रहे हैं। यूपी के सबसे बड़े हॉस्पिटल्स में शुमार एलएलआर हॉस्पिटल यानि हैलट के आंकड़े कुछ ऐसी ही सच्चाई बया कर रहे हैं। जहां साल भले ही 10 लाख मरीज इलाज कराने पहुंचते हों लेकिन मुफ्त इलाज 1 फीसदी मरीजों को भी नहीं मिलता। लीवर, किडनी, कैसर जैसे रोगों के निशुल्क इलाज के लिए हर साल हैलट को मिलने वाले फंड का भी यही हाल है। साल भर में इस फंड का 200 मरीजों को भी फायदा नहीं मिला। शासन की तरफ से पहले ही इस निधि से मिलने वाला बजट इस बार पहले से आधा ही मिला था। इसके बाद भी यहां पर अधिकारी गरीब मरीजों के लिए इस फंड का प्रयोग नहीं कर सके।

असाध्य रोग निधि एक नजर में-

- हार्ट, कैंसर, किडनी व लीवर के असाध्य रोगों के निशुल्क इलाज के लिए शासन की तरफ से मिलने वाला फंड

- बीपीएल कार्ड धारकों व उनके परिवार के सदस्यों, सवा तीन एकड़ से कम जोत वाले किसानों जिनकी वार्षिक आय 35 हजार से कम हो उनका निशुल्क इलाज किया जाता है।

- हर वित्लीय वर्ष में एलएलआर हॉस्पिटल में आने वाले गरीब मरीजों के इलाज के लिए इस मद से 50 लाख रूपए की राशि मिलती है।

- विलीय वर्ष 2017-18 में अभी तक 20 लाख रूपए ही मिले, सिर्फ 160 मरीजों को इस निधि के तहत मिल रही दवाएं

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एलएलआर हॉस्पिटल में मरीजों का लोड-

- साल 2016-17 में 10 लाख मरीजों का ओपीडी में हुआ इलाज

- 55 हजार मरीज हुए भर्ती

- 30 हजार से ज्यादा मरीजों का मेडिसिन विभाग में हुआ इलाज

- हर साल 2000 हजार से ज्यादा मरीजों का डायलिसिस

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प्रारूप बदला सिस्टम नहीं

असाध्य रोग निधि के तहत निशुल्क इलाज की सुविधा के लिए लंबी कागजी कार्रवाई की जरूरत पड़ती है जिसमें कई स्तरों पर अनुमति की जरूरत होती है। अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी भी मानते हैं कि इतनी ज्यादा लिखापढ़ी की वजह से भी इसका फायदा ज्यादा मरीजों को नहीं मिल पाता। इस निधि का फायदा लेने के लिए सबसे पहले इलाज करने वाले डॉक्टर से लिखित संतुति लेनी होती है। वह इलाज में लगने वाली दवाओं व उपकरणों की पूरी सूची तैयार कराता है। जिसे एचओडी से रेकमेंड कराना पड़ता है। इसके बाद गरीबी संबंधी सभी जरूरी कागज लगाने पड़ते हैं। फिर फाइल लेखा विभाग के पास आती है। जोकि इलाज में आने वाले पूरे खर्च का एस्टीमेट तैयार कराता था। फिर सीएमएस और एसआईसी से अनुमति लेनी पड़ती है.जिसके बाद फार्मासिस्ट जरूरी दवाओं की खरीददारी करवाता है। जिसके बाद उस गरीब शख्स का इलाज शुरू होता है। शासन ने 4 महीने पहले इसके प्रारूप में परिवर्तन भी किया लेकिन इसका भी फायदा नहीं हुआ।

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कार्डियोलॉजी में सबसे ज्यादा प्रयोग

असाध्य रोग निधि के तहत कार्डियोलॉजी को हैलट से ज्यादा विलीय सहायता मिलती है। जिसका यहां ज्यादा बेहतर तरीके से प्रयोग होता है और हर साल ज्यादा से ज्यादा मरीजों को निशुल्क इलाज उपलब्ध होता है। विलीय वर्ष 2016-17 में 539 मरीजों का इस निधि से निशुल्क इलाज कार्डियोलॉजी में हुआ।

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वर्जन-

असाध्य रोग निधि के तहत गरीब मरीजों को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिले इसके प्रयास होते हैं,लेकिन संसाधनों की कमी और लंबी लिखापढ़ी की वजह से इसमें काफी समय लगता है। फिर भी जितना संभव होता है जांचों से लेकर कई दूसरी चीजों में मदद की जाती है।

- डॉ.आरसी गुप्ता, एसआईसी, एलएलआर हॉस्पिटल