न्यूयॉर्क स्थित एक क़ानूनी चैरिटी संस्था का कहना है कि ये लोग बच्चों के साथ हुए यौन दुर्व्यवहार को रोकने में नाकाम रहे। लेकिन वेटिकन के वकील ने इसे हास्यास्पद और प्रचार पाने का तरीक़ा बताया है।

हाल के वर्षों में यौन प्रताड़ना के कई मामलों को छिपाने से रोमन कैथोलिक चर्च की काफ़ी किरकिरी हुई थी। सेंटर फ़ॉर कंस्टीच्यूशनल राइट्स (सीसीआर) का कहना है कि उसने कैथोलिक पादरियों के अपराध को साबित करने के लिए 20 हज़ार पन्नों का सबूत पेश किया है।

अमरीका, बेल्जियम, जर्मनी और नीदरलैंड्स के पीड़ित इसका समर्थन कर रहे हैं। सीसीआर के वकील पैम स्पीज़ ने कहा, "वेटिकन का शीर्ष नेतृत्व हज़ारों लोगों के ख़िलाफ़ हुए अपराध पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है। पीड़ितों में ज़्यादातर बच्चे हैं."

'दुरुपयोग'

गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिए नौ साल पहले अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय का गठन किया गया था। इसकी सूची में बलात्कार और यौन प्रताड़ना के मामलों के मानवता के ख़िलाफ़ अपराध माना गया है। लेकिन इस न्यायालय के गठन के समय हुई संधि में न तो अमरीका और न ही वेटिकन कोई पक्ष थे।

अमरीका में यौन प्रताड़ना के मामलों में वेटिकन का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील जेफ़्री लीना ने समाचार एजेंसी एपी से बातचीत में कहा है कि अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायलय से अपील अंतरराष्ट्रीय न्यायपालिका प्रक्रियाओं का दुरुपयोग है।

रोम से बीबीसी संवाददाता डेविड विले का कहना है कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के पास अधिकार है या नहीं, इसका फ़ैसला न्यायालय के मुख्य वकील करेंगे।

पोप बेनेडिक्ट ने पहले कई बार पादरियों के यौन दुर्व्यवहार में शामिल होने के मामलों पर दुख जताया था और इसे शर्मनाक कहा था। उन्होंने दुनियाभर के शीर्ष पादरियों से अपील की थी कि वे ऐसे पादरियों के लिए मई 2012 तक साझा दिशा-निर्देश तय करें।

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