PATNA: अगर आप भारतीय डाक सेवा पर विश्वास कर कोई सामान मंगाते हैं तो सावधान हो जाइए। प्राइवेट कंपनियों की तरह सरकारी विभाग में भी बड़े पैमाने पर ठगी की जा रही है। विभाग में रजिस्टर्ड होकर ठगी करने के इस ट्रेंड में विभाग के जिम्मेदारों की भूमिका सवालों के घेरे में है। शुक्रवार को डाक विभाग के सहारे ठगी करने वाले गिरोह के शिकार हुए इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्था के डॉ रत्‌नेश चौधरी ने ठगों से विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए एसएसपी के साथ अन्य आला अफसरों को शिकायत की है।

 

एक नजर में मामला

इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉ रत्‌नेश चौधरी का कहना है कि उनके पास एक नंबर से लगातार फोन आ रहे थे। फोन करने वाले खुद को माइक्रोमैक्स कंपनी के कर्मचारी बताते हुए मोबाइल में भारी छूट आने पर सस्ते दाम में देने बात कह रहे थे। लेकिन उन्हें लगा कि वह फ्राड हैं इसलिए मना कर दिया। इसके बाद फिर फोन आया और विश्वास दिलाने के लिए फोन करने वाले डाक विभाग द्वारा सामान भेजने और पोस्ट मैन को पैसा देने की बात कहे। इसके बाद भी डॉ रत्‌नेश को विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन फोन करने वालों ने बताया कि वह फ्राड कर ही नहीं सकते हैं क्योंकि कंपनी डाक विभाग से रजिस्टर्ड है। इस पर उन्हें विश्वास हो गया और वह क्0,000 का मोबाइल फ्भ्00 रुपए में बुक कर लिया।

 

जब पैकेट खोला तो उड़ गया होश

डॉ रत्‌नेश का कहना है कि आशियाना पोस्ट आफिस का पोस्ट मैन उन्हें कई दिनों से पार्सल के लिए फोन किया। समय नहीं मिल पा रहा था जिससे वह उसे लेने नहीं जा पा रहे थे। उन्होंने पोस्टमैन से कहा कि वह उसे लेकर उनके पास आ जाए लेकिन वह मना कर दिया। हालांकि शुक्रवार को वह लाया। डॉ रत्‌नेश ने पोस्टमैन से पार्सल लिया और उसे फ्भ्00 रुपए दे दिए। लेकिन जब पैकेट खोला तो होश ही उड़ गए, क्योंकि पैकेट के अंदर मोबाइल नहीं टूटी फूटी मूर्तियां और कपड़े थे। वह तत्काल भागकर पोस्ट ऑफिस आए और अधिकारियों से शिकायत करने लगे लेकिन वह उल्टे उन्हें ही दोषी बताने लगे।

 

आए दिन आ रही शिकायत

ये पहला मामला नहीं था जो डाक विभाग से ठगी का सामने आया है। इसके पहले भी कई मामले सामने आए हैं। आम लोगों के साथ-साथ डाक विभाग के अफसर भी इसे स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन संबंधित कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए विभाग के बड़े अफसरों को लिखापढ़ी करने की बात पर पीछे हट जाते हैं। ऐसे में जिम्मेदारों की भूमिका पर सवाल खड़ा होता है।

 

एक नजर इधर भी

-जिस कंपनी से रजिस्टर्ड पार्सल आया है वह विभाग में दिल्ली से रजिस्टर्ड है।

-बिना कंपनी की प्रोफाइल जाने कैसे रजिस्टर्ड कर दिया गया।

-कंपनी रजिस्टर्ड है तो शिकायत पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई।

-डाक विभाग को पूरी जानकारी है कि किस खाता में जा रहा है पैसा।

-ठगी होने पर डाक विभाग के स्थानीय अधिकारी क्यों नहीं सुनते शिकायत।

-अगर शिकायत सुनकर कार्रवाई की जाती तो देश में फैला ठगी का जाल नहीं चलता।

-डाक विभाग चाहे तो ठगी पर संबंधित कंपनी का पेमेंट रोक सकता है लेकिन ऐसा भी नहीं किया जाता।

-सामान को भेजते समय डाक विभाग के अधिकारी क्यों नहीं पड़ताल करते हैं।

-पार्सल पर डाक विभाग का नहीं होता कोई सील।

-सील नहीं होने से मिलीभगत की है आशंका।

 

कई बार ऐसी शिकायत आ चुकी है। सामान भेजने वाला दिल्ली में विभाग से रजिस्टर्ड है लेकिन हम कोई कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। अपने वरिष्ठ अफसरों को इसकी जानकारी दे दी गई है।

-रणधीर शर्मा, सब पोस्ट मास्टर

 

ठगी गिरोह से डाक विभाग की मिलीभगत है। अगर ऐसा नहीं होता तो संबंधित कंपनी का पैसा रोक दिया गया होता। शिकायत भी नहीं सुनी जा रही है, लेकिन मेरे बाद कोई इस गिरोह का शिकार न हो इसके लिए इस गैंग में शामिल हर किसी का चेहरा बेनकाब कराने के लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़ूंगा।

डॉ। रत्‌नेश चौधरी, फिजियोथेरेपी विभाग आईजीआईएमएस