VARANASI: कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में हुए धमाके को लेकर रेलवे एडमिनिस्ट्रेशन सीरियस नहीं है। अभी तक जितनी भी कार्यवाही हुई है उससे यही संकेत मिल रहे हैं कि पूरे मामले की तह तक जाने की बजाए उसे दबाने की कोशिश हो रही है। घटना के दिन जहां जीआरपी, आरपीएफ व सिविल पुलिस को यह जानकारी नहीं थी कि धमाके में मरे कुत्ते का निस्तारण कहां कराया गया, जबकि अगले दिन शाम को उसके पोस्टमार्टम की रिपोर्ट जीआरपी के पास पहुंच गई। यह अपने आपमें बड़ा सवाल है।

 

सवाल का अंत नहीं

जब घटना कैंट स्टेशन कैंपस में हुई और कुत्ते का पोस्टमार्टम सिटी स्थित पशु हॉस्पिटल की बजाए काशी विद्यापीठ ब्लाक स्थित पशु हॉस्पिटल में कराया गया। सवाल यह है कि जिस हॉस्पिटल में अभी तक किसी भी पशु का पोस्टमार्टम रात को नहीं हुआ था तो इस कुत्ते का पोस्टमार्टम रात को क्यों कराया गया? यदि दुर्गध के कारण पोस्टमार्टम आनन-फानन में किया गया तो इस दौरान भी नियमों की अनदेखी की गई। पोस्टमार्टम के पहले व बाद में कुत्ते की फोटो भी नहीं खींची गई जिसे रिपोर्ट के साथ लगाना चाहिए था।

 

काशी विद्यापीठ ब्लॉक स्थित पशु हॉस्पिटल के डॉ। अरुण कुमार सिंह ने बताया कि डीएम के आर्डर पर मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर रात में पोस्टमार्टम किया गया। जिसे कैंट जीआरपी इंस्पेक्टर जेपी सिंह अपने सहयोगी के साथ लाए थे। उनका कहना था कि मेरी जानकारी में अब तक रात को यहां पोस्टमार्टम नहीं हुआ है। पोस्टमार्टम में खुद डॉ। अरुण कुमार सिंह, बीएचयू के पशु चिकित्सक डॉ। रामसखा सिंह, पहडि़या पशु अस्पताल के फार्मा सिस्ट विजय सिंह व पंचम थे।