- काटे जा रहे रसीद से रसीद नंबर और बुक संख्या गायब

- रसीद पर अधूरी जानकारी भर कर कर्मचारी कर रहे खेल

- दो साल पहले फर्जी रसीद का मामला आ चुका है सामने

>BAREILLY: पावर कॉरपोरेशन कंज्यूमर्स के साथ 'नंबर' गेम का खेल खेल रहा है। कंज्यूमर्स को बकाया वसूली के बाद जो रसीद दी जा रही है। उस पर पावर कारपोरेशन की पूरी डिटेल नहीं है। रसीद नंबर, बुक संख्या सब गायब है। ऐसे में कोई फर्जीवाड़ा हो जाता है तो कंज्यूमर्स का ही नुकसान होगा। कंज्यूमर्स को यह डर सता रहा है कि बिल चुकाने के बावजूद कहीं उनका बकाया खाते में बाकी रह जाए। क्योंकि, विभाग के कर्मचारीं ने दो वर्ष पहले भी इस तरह का खेल कंज्यूमर्स के साथ खेल चुके हैं। तब कई कंज्यूमर्स को फर्जी रसीद के जरिए बिजली बिल काट कर लाखों रुपए का चूना लगाया था।

कार्रवाई की दे रहे चेतावनी

बिजली विभाग के जिले में करीब 4 लाख कंज्यूमर्स हैं। इन कंज्यूमर्स पर विभाग के 100 करोड़ रुपए से भी अधिक का बिजली बिल बकाया है। बकाया वसूली के लिए कंज्यूमर्स को विद्युत विच्छेदन की जो नोटिस भेजी जा रही है। उस पर रसीद संख्या, बुक संख्या नहीं दर्ज है। यही नहीं नोटिस कंज्यूमर्स को सौंपते वक्त उनका सिग्नेचर भी नहीं लिया जा रहा है। रसीद से विभाग का मोहर भी नहीं लगी है। नोटिस थमाते हुए कंज्यूमर्स को यह चेतावनी दी जा रही है कि बिजली बिल जमा नहीं किया तो धारा 138 बी के दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। अभी तक सैकड़ों लोगों को बिना रसीद नंबर वाली नोटिस थमाई जा चुकी है। जब लोगों ने इस बात का विरोध किया तो कर्मचारियों ने ऑफिस आकर इस मामले में बात कह रहे हैं।

कंज्यूमर्स हो रहे है परेशान

रसीद नंबर, बुक संख्या नहीं होने से लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे है। क्योंकि, नोटिस पाते ही कई कंज्यूमर्स से बकाया राशि का भुगतान कर दिया है। लेकिन लोगों के बकाया बिल से अमाउंट कम नहीं हुआ है। कंज्यूमर्स इस बात की शिकायत लेकर एसई, एसडीओ और एक्सईएन तक का चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा है।

फर्जी रसीद से हो चुकी है ठगी

दो वर्ष पहले फर्जी रसीद के जरिए ठगी का मामला सामने आ चुका है। जब बिजली विभाग के बाबुओं ने फर्जी बुक संख्या 090481 छपवा ली थी। इस फर्जी रसीद के जरिए ही बिल काट कर लाखों रुपए का चूना लगा दिया गया था। उस समय करीब 17 कंज्यूसर्म ठगी का शिकार हुए थे। कंज्यूमर्स बिजली बिल तो जमा करते रहे लेकिन उनके अकाउंट से बिल कम नहीं हुआ। जब इस बात का पता लोगों को चला तो इसकी शिकायत अधिकारियों से की। जांच में पता चला कि बाबुओं ने फर्जी रसीद छपवा ली है। तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर जब मामले की जांच हुई तो बिजली विभाग ग्रामीण के सेकंड डिविजन वर्क सेक्शन में काम करने वाले बाबू अनुज शर्मा को दोषी पाया गया था।

कानूनी पेच में प्रॉब्लम्स

बिजली विभाग के इस खेल से कंज्यूमर्स को कानूनी पेच में फंस सकते हैं। किसी वजह से यह रसीद खो जाए तो वह किस आधार पर अपनी बात विभाग के सामने या कंज्यूमर्स फोरम में रखेंगे। मामला फंसने पर पॉवर कारपोरेशन भी मुकर सकता है कि यह रसीद उसकी तरफ से नहीं जारी की गई है। वहीं जालसाज भी बिना रसीद नंबर की रसीद बुक छपवा कर कंज्यूमर्स को ठगी का शिकार बना सकते है।

रसीद पर बिजली कनेक्शन नंबर और रसीद नंबर होना जरूरी है। यदि, इस तरह की बात है तो मामले की जांच कराई जाएगी। दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

मोहम्मद तारिक वारसी, एसई, बिजली विभाग

कैश बुक संख्या या रसीद नंबर नहीं होने से पैसा रिलेटेड कंज्यूमर्स के अकाउंट में जमा हो ही नहीं सकता है। बाद में कोई मामला फंसता है तो विभाग मुकर सकता है कि यह मेरे द्वारा दी गई रसीद नहीं है। कंज्यूमर्स फोरम भी कुछ नहीं कर सकता।

एडवोकेट मुहम्मद खालिद जीलानी, उपभोक्ता फोरम

दो दिन पहले कुछ लोगों ने नोटिस थमा कर बिजली कनेक्शन काट दिए। रसीद पर बुक संख्या रसीद नंबर कुछ नहीं है। जब मैंने एसडीओ से इस बात की शिकायत की तो उसका कहना था कि ऑफिस आओ बात करते है।

धर्मेद्र, पीडि़त कंज्यूमर