केस वन

- सुरेश शर्मा नगर में पिछले दिनों ट्रांसफार्मर खराब हो गया था। कंप्लेन के बाद भी जब कई दिनों तक ट्रांसफार्मर नहीं बदला गया, तो गुस्साए लोगों ने ट्रैफिक जाम कर किया। लोग इतने उग्र थे कि स्थिति को संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

केस टू

सूफी टोला में तीन दिन से ट्रांसफार्मर खराब पड़ा हुआ है। कंप्लेन करने में पर कोई पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिला। एरिया के लोगों ने एक्सईएन और एसडीओ से भी इस संबंध में शिकायत की है। फिलहाल समस्या की जस की तस है।

BAREILLY:

यह चंद एग्जाम्पल हैं। स्थिति और भी खराब है। शिकायत करने के बावजूद अनसुनी करना विभाग की कुछ मजबूरी तो कुछ फितरत में शामिल है। आलम यह है कि दो चार दिन से पहले अगर कंप्लेन की सुनवाई हो जाए तो बड़ी बात है। दो दिन पहले विभाग की लापरवाही ने एक मासूम की जिंदगी तक लील ली थी। इस मामले में तार टूटा होने के बाद भी विभाग ने सुनवाई नहीं की और एक मासूम उसकी चपेट में आ गया था। अधिकारियों का कहना है कि वर्क प्रेशर ज्यादा है। स्टॉफ की कमी होने के चलते वक्त से लोगों की कंप्लेन को ठीक नहीं किया जा सकता है।

जेई व लाइनमैन की भारी कमी

वैसे तो प्राब्लम्स दूर न हो पाने के कारण कई हैं, जिनमें से कुछ को आप भी बेहतर तरीके से जानते हैं। फिलहाल, अधिकारी इनमें स्टॉफ की कमी एक बड़ी वजह बताते हैं। खासतौर पर, उन पदों पर स्टाफ की ज्यादा कमी है, जो फाल्ट को ठीक करने का काम करते हैं। वर्षो से जेई, लाइनमैन जैसे पोस्ट खाली पड़े हुए है। यही वजह है कि एक कंप्लेन को ठीक होने में तीन से चार दिन तक का वक्त लग जाता है।

70 प्रतिशत पद खाली

सोर्स बताते हैं कि कनेक्शन की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है, जबकि स्टॉफ कम होता जा रहा है। जिसका सीधा असर काम की स्पीड पर पड़ता है। अधिकारी बताते हैं कि करीब 70 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं। संसाधन की कमी भी दूसरा बड़ा कारण है। हाईटेक संसाधन न होने के चलते अभी भी परम्परागत साधनों पर ही निर्भर होना होने के चलते भी वक्त से कंपलेन को ठीक करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। वहीं गर्मी में पॉवर लोड बढ़ने से फॉल्ट की संख्या बढ़ जाती है।

फैक्ट

- कंज्यूमर्स की संख्या - क्,7भ्,000

- परमानेंट और संविदा कर्मचारियों की संख्या - भ्00

- अभी कर्मचारियों की जरूरत है करीब क्भ्00

- सब स्टेशन की संख्या- क्7

- ट्रांसफार्मर की संख्या- 7म्क्म्

- पोल की संख्या - क्म्भ्0

- मोबाइल ट्रॉली है - ख्फ्

- मोबाइल ट्रॉली की जरूरत- 9

कर्मचारियों की काफी कमी है। करीब 70 प्रतिशत पद खाली पड़े हुए हैं। जिसके चलते समस्या फेस करनी पड़ती है। फिर भी हम लोगों का यह प्रयास है कि, कम सुविधाओं में भी लोगों को बेहतर सर्विस दें।

एनके श्रीवास्तव, एसई, बिजली विभाग