- डीआईओएस ने दिया है स्कूलों को लैब सुधारने का निर्देश।

- निरीक्षण में कई स्कूलों का खराब निकला रिकॉर्ड

Meerut सरकारी स्कूलों में स्टूडेंट्स के प्रैक्टिकल केवल पैसों पर ही चल रहे हैं, वास्तव में सीखने के नाम पर स्कूलों में एक भी प्रैक्टिकल नही करवाया जाता है। जी हां यहां बात हो रही है सरकारी स्कूलों की। 60 परसेंट स्कूलों में न तो साइंस लैब व्यवस्था ठीक है और न ही स्कूलों में कोई प्रैक्टिकल होता है। अभी हाल फिलहाल में शिक्षा विभाग के निरीक्षण में भी सामने आया है कि मेरठ के स्कूलों में स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल करवाए ही नही जाते हैं। शिक्षा विभाग के निरीक्षण में भी सरकारी स्कूलों की लैब भी फेल मिली है। अब स्कूलों को हाल फिलहाल में ही शिक्षा विभाग के आलाधिकारियों ने प्रैक्टिकल लैब भी सुधारने के निर्देश दे दिए हैं।

डीआईओएस ने किया निरीक्षण

अभी हाल फिलहाल में डीआईओएस विभाग की टीम ने भी सरकारी स्कूलों की लैब का निरीक्षण किया है। निरीक्षण के दौरान अधिकतर स्कूलों की लैब में धूल फांकते हुए उपकरण मिले हैं। काफी स्कूलों में तो प्रैक्टिकल के लिए केमिकल भी मौजूद नही है। वही कुछ में तो लैब बंद ही पड़ी है। विभाग के अनुसार काफी बार ऐसी शिकायतें भी विभाग में पहुंची है जिनमें जिक्र किया गया है कि स्कूलों में स्टूडेंट को प्रैक्टिकल ही नही करवाए जाते हैं। बस कुछ पैसे लेकर ही प्रैक्टिकल हो जाते हैं।

बस होती है कमाई

सरकारी स्कूलों में प्रैक्टिकल के नाम पर बस कमाई का ही खेल चल रहा है। सूत्रों की माने तो बोर्ड में होने वाले प्रैक्टिकल के लिए भी स्कूलों में स्टूडेंट से सौ से दो सौ रुपए वसूले जाते हैं। बदले में बिना किसी सवाल को किये और बिना किसी प्रैक्टिकल को करवाए बस नाम पूछकर ही नम्बर दे दिए जाते हैं। शहर के देहाती स्कूलों में तो स्टूडेंट को बस पैसे लेकर ही नम्बर दे दिए जाते हैं।

होनी चाहिए साइंस लैब

नियमानुसार तो हर स्कूल में साइंस लैब, होम साइंस लैब का होना बेहद आवश्यक हैं। कोई भी स्कूल बनाया जाता है तो सबसे पहले उसमें लैब बनाने का जिक्र जरुर आता है। लेकिन यहां तो स्कूलों में लैब के नाम पर बस धूल फांकते हुए कमरे और ही नजर आते हैं। वहीं धूल फांकते केमिकल जार ही नजर आते हैं। जिन्हें देखकर साफ लगता है कि स्कूलों में कोई प्रैक्टिकल नही चलता है।

निरीक्षण का सिलसिला

डीआईओएस ने स्कूलों की आती ऐसी शिकायतों के चलते निरीक्षण करने शुरु कर दिए हैं। डीआईओएस ने स्कूलों में जाकर साइंस लैब चेक करने की तैयारी की है। इसके साथ ही शिक्षा विभाग यह भी देखेगा कि स्कूलों कितने प्रैक्टिकल करवाए गए हैं। विभाग के अनुसार इस संबंध में स्कूली बच्चों से भी जानकारी लेकर व सवाल जवाब करके भी देखा जाएगा कि वह प्रैक्टिकल के बारे में कितना जानते हैं। अगर प्रैक्टिकल के बारे में बच्चे कुछ नही बता पाए तो उससे साफ हो जाएगा कि स्कूलों में प्रैक्टिकल नही होते हैं और न ही कुछ जानकारी दी जाती है।

सभी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने स्कूल की लैब को सुधार के लिए निर्देश दिए हैं। जिन स्कूलों में लैब व्यवस्था ठीक नही है, वह सुधार लें और स्कूलों में प्रैक्टिकल करवाए जाएं। अगर कोई स्कूल प्रैक्टिकल नही करवाता है तो संबंधित कार्रवाई की जाएगी।

-श्रवण कुमार यादव, डीआईओएस