-बीएड कॉलेज के डायरेक्टर प्रकाश अरुण ने होटल में किया सुसाइड

-बच्चों को बौद्ध धर्म का अनुसरण करने और नेक इंसान बनने की दी सलाह

-लैपटॉप में मिला अंग्रेजी में लिखा सुसाइड नोट व वसीयत

PATNA: 'शकुन्तला मैंने तुम्हें कभी धोखा नहीं दिया। बहुत प्यार करता हूं तुमसे। बच्चों नेक इंसान बनना, कभी गलत काम नहीं करना और बौद्ध धर्म को अपनाना'। प्रकाश अरुण (400) ने मरने से पहले अपने लैपटॉप में लिखे सुसाइड नोट में कुछ ऐसी ही नसीहत अपने बच्चों को दी है, साथ ही पत्‍‌नी से मरने से पहले भी अपने प्यार का इजहार किया। प्रकाश मंडे की शाम करीब पौने आठ बजे कोतवाली थाना एरिया के होटल सम्राट के कमरा नम्बर ख्08 में रुके थे और सल्फास की गोली खाकर सुसाइड कर लिया था। सुसाइड का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। प्रकाश मोतिहारी के डॉ एसके सिंह टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के डायरेक्टर थे।

एफएसएल की टीम ने लिए नमूने

मंगलवार की दोपहर होटल के कमरे में तीन मेम्बर्स की एफएसएल की टीम पहुंची थी। कमरे में सल्फास की पांच गोलियां मिली। टयूब में क्0 गोलियां होती हैं और माना जा रहा है कि प्रकाश ने पांच गोलियां खा ली थी। इसके अलावा कमरे के डस्टबिन में वोमिटिंग भी मिली है, जिसका सैम्पल भी एफएसएल की टीम ने लिया है। डीएसपी लॉ एण्ड ऑर्डर शिब्ली नोमानी और कोतवाली थानाध्यक्ष रमेश सिंह भी इंवेस्टिगेशन में पहुंचे थे। डीएसपी ने होटल को आदेश दिया कि जब से प्रकाश अरुण होटल आए हैं और हॉस्पीटल भेजा गया, तब की सीसीटीवी फुटेज की सीडी पुलिस को दी जाए।

घरवालों ने ही होटल वाले को बताया

मंडे की रात होटल में फोन आया कि प्रकाश के कमरे में बात करवाइए। जब कनेक्ट नहीं हुआ, तो फोन करने वाले ने कहा कि वे सुसाइड करने वाले हैं जल्दी दरवाजा खुलवाइए। सभी लोग परेशान होकर दरवाजा खुलवाने लगे। जैसे ही दरवाजा खुला, वह गिरे पड़े थे। तुरंत कोतवाली पुलिस को खबर देकर उन्हें राजाबाजार के एक प्राइवेट हॉस्पीटल में ले जाया गया, जहां डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया। प्रकाश अरुण के रिश्तेदार विनय कृष्ण ने बताया कि सुसाइड क्यों किया पता नहीं। बौद्ध धर्म को मानता था। दो बच्चे हैं, एक छह साल और दूसरा डेढ साल का। बड़े बेटे का नाम सुधांशु है। पत्‍‌नी शकुन्तला गोपालगंज की रहने वाली है। एक छोटा भाई ओमप्रकाश है, जो अमेरिका में डॉक्टर है। अरुण के पिता भी डॉक्टर थे। मंगलवार की शाम करीब साढ़े चार बजे अरुण की डेडबॉडी लेकर विनय कृष्ण मोतिहारी राजाबाजार के लिए रवाना हो गए।