PATNA : बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के मुताबिक राज्य के फ्000 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय महज क्ख् हज़ार शिक्षकों के भरोसे चल रहे हैं। इसमें भी विज्ञान और जीव विज्ञान के महज भ्00 शिक्षक ही है। जबकि शिक्षकों के लिए अभी काफी पद स्वीकृत हैं। साइंस टीचर्स की कमी की वजह से तो कई विद्यालयों में कोर्स भी अधूरा है और प्रायोगिक कार्य बंद है। बिहार के स्कूलों में प्रयोगशाला सिर्फ मान्यता प्राप्त करने के लिए बनाई गई है। मान्यता देने वाले भी यह बात अच्छी तरह से जानते हैं लेकिन फिर भी विद्यालयों में प्रबंधन के विरुद्ध कार्रवाई नहीं की जाती। परीक्षा के दौरान छात्र प्रयोगात्मक परीक्षा में अच्छे मार्क्स के साथ पास तो हो जाते हैं लेकिन उच्च कक्षाओं में पहुंचने के बाद इनका भविष्य अन्धकारमय हो जाता है। कारण कि न तो इन्हें बायोलॉजी का ज्ञान हो पाता है और ना ही यह भौतिक तुला या रासायनिक गैसों के क्रिया के बारे में जानकारी हासिल कर पाते हैं। 'प्रयोग का दुरुपयोग' कैंपेन में आज हम आपको बता रहे हैं राजापुर मिहंत हनुमान शरण उच्च माध्यमिक विद्यालय के बारे में
फैक्ट फिगर
स्कूल : महंत हनुमान शरण उच्च माध्यमिक विद्यालय
स्थान : राजापुर
प्राचार्या : डॉ। मुसर्रत जहां
छात्रों की संख्या : क्9क् साइंस में
शिक्षकों की संख्या : ख्
प्रयोगशाला : फ् (रसायन, भौतिक, जीव विज्ञान )
इंटर का रिजल्ट : 80 प्रतिशत
प्रैक्टिकल में पास प्रतिशत: क्00 प्रतिशत
प्रैक्टिकल में मिनिमम-मैक्सिमम मार्क्स : ख्म्-फ्0
आंखों देखी
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब राजापुर स्थित महंत हनुमान शरण उच्च माध्यमिक विद्यालय पहुंची वहां का नजारा कुछ और दिखा। यहां छात्रों ने बताया कि स्कूल में पिछले कई महीनों से साइंस के टीचर नहीं हैं। प्लस टू विभाग में चार साल से केमिस्ट्री के टीचर नहीं है। कहने को यहां तीन-तीन प्रयोगशाला है लेकिन यहां कभी जाने का मौका नहीं मिलता। अब सवाल यह है कि जब स्टूडेंट्स प्रयोगशाल में प्रायोगिक कार्य करते ही नहीं तो प्रैक्टिकल में मार्क्स कैसे मिल जाता है।
ऐसे बरसे थे प्रैक्टिकल में मार्क्स
इंटरमीडिएट परीक्षा में ख्0क्म्-ख्0क्7 में पास हुए कुछ स्टूडेंट्स का जब प्रैक्टिकल मार्क्स चेक किए गए तो वो चौंकाने वाले थे। फिजिक्स, कैमिस्ट्री और बायो इन तीनों विषयों के प्रैक्टिकल में अधिकांश बच्चों को प्रैक्टिकल में ख्म् से फ्0 मार्क्स दिए गए हैं। कुछ रॉल नंबर का रिजल्ट आप भी देखें।
प्रैक्टिकल के मार्क्स
रॉल नंबर फिजिक्स केमिस्ट्री बायोलॉजी
क्70क्000म् ख्7/ फ्0 ख्7/ फ्0 ।
क्70क्0007 ख्म् / फ्0 ख्भ्/ फ्0 ।
क्70क्0008 ख्7 / फ्0 ख्7 / फ्0
क्70क्00क्0 ख्7/ फ्0 ख्म्/ फ्0 ।
फिजिक्स
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम जब फिजिक्स विभाग में पहुंची तो शिक्षक से आग्रह करने पर प्रयोगशाला रूम को खुलवाया गया। कमरे में मेज पर फिजिक्स से संबंधित कोई भी इंस्ट्रूमेंट नजर नहीं आया। पर हां, बायोलॉजी में यूज होने वाला माइक्रोस्कोप जरूर दिखा।
केमिस्ट्री
जब हमारी टीम केमिस्ट्री विभाग में पहुंची तो वहां ताला लटक रहा था। स्कूल की प्रिंसिपल ने बताय कि पिछले चार साल से यहां केमिस्ट्री के टीचर नहीं हैं ऐसे में न तो थ्योरी की क्लास हो पाती है और न ही प्रैक्टिकल की। रिपोर्टर द्वारा प्रैक्टिकल के मार्क्स के विषय में सवाल करने पर प्रिंसिपल ने बताया कि एग्जाम के समय प्राइवेट टीचर हायर कर प्रैक्टिकल वर्क कराया जाता है।
बायोलॉजी
इसके बाद हमारी टीम बायो लैब में पहुंची जहां प्रैक्टिकल में यूज होने वाला कोई भी सामान नहीं दिखाई दिया। वहां मौजूद टीचर ने बताया कि ऐसा नहीं है कि यहां प्रैक्टिकल क्लास नहीं कराया जाता। हम लोग समय-समय पर बच्चाें से प्रैक्टिकल वर्क कराते रहते हैं।
केमिस्ट्री के टीचर नहीं होने के कारण साइंस के छात्रों को परेशानी होती है। माध्यमिक विभाग में साइंस के एक भी टीचर नहीं हैं।
डॉ। मुसर्रत जहां, प्रिंसिपल महंत हनुमान शरण उच्च माध्यमिक विद्यालय राजापुर
यहां थ्योरी होती ही नहीं तो प्रैक्टिकल कौन कराएगा। महीनों से साइंस के टीचर नहीं है हम लोग कोचिंग क्लास पर ही डिपेंड हैं।
गोलू कुमार, स्टूडेंट्स
स्कूल में प्रैक्टिकल कि सुविधा तो है पर हमें कभी उसमें जाने का अवसर नहीं मिला। शायद परीक्षा के दौरान ही प्रैक्टिकल रूम में जाने का मौका मिले।
संतोष कुमार, स्टूडेंट्स