- एक साल में ऊर्जा निगम बस 550 मीटर ही लगा सका

- तकनीकी खामियों के चलते आगे नहीं बढ़ पाई योजना

- 3 से 4 प्रतिशत तक बिजली खर्च में मिलेगी छूट

DEHRADUN: बिजली बचत और उपभोक्ताओं के लिए किफायती बताई जाने वाली ऊर्जा निगम की प्रीपेड मीटर योजना साल भर बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई। तकनीकी खामी और प्रचार-प्रसार की कमी के कारण यह योजना पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य भर में क्9 लाख उपभोक्ताओं में से महज भ्भ्0 उपभोक्ताओं के ही प्रीपेड मीटर मिल सके हैं।

क्या थी प्रीपेड योजना

दरअसल इस योजना के तहत घरों में प्रीपेड मीटर लगाकर मोबाइल रीचार्ज की तर्ज पर उपभोक्ताओं द्वारा बिजली का प्रयोग किया जाना था। यूपीसीएल द्वारा चलाई गई इस योजना के तहत फ्0 किलोवाट भार तक के एलटी उपभोक्ताओं को प्रीपेड मीटर की सुविधा मिलनी थी। प्रीपेड मीटर द्वारा विद्युत आपूर्ति की दशा में घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं को इनर्जी चार्ज पर ब् प्रतिशत छूट और अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को फ् प्रतिशत की छूट भी दी गई। साथ ही प्रीपेड मीटर लगाने वाले उपभोक्ताओं से जमानत राशि भी नहीं लिए जाने का प्रावधान किया गया। पुराने उपभोक्ताओं द्वारा प्रीपेड मीटर का चुनाव करने पर जमानत राशि प्रीपेड संयोजन देते समय रिचार्ज वाउचर में समायोजित किए जाने का भी मानक तय किया गया। इसके अलावा शून्य बैलेंस होने पर भी अगले ब्8 घंटे तक मिलेगी विद्युत आपूर्ति किए जाने का फायदा उपभोक्ताओं को मिलना था। प्रीपेड मीटर के लिए एरिया के बिजली घर से ही यह सुविधा मिलनी थी।

नहीं लग पाए पूरे मीटर

प्रीपेड मीटर द्वारा विद्युत आपूर्ति की इस योजना में पूर्व में सिंगल फेज के लिए करीब एक हजार और ट्रिपल फेज के लिए करीब ख्00 प्रीपेड मीटर यूपीसीएल द्वारा खरीदे गए हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की मानें तो इनमें से महज भ्00 के करीब ही मीटर लग पाए हैं।

रुक जाता बिजली का दुरुपयोग

उत्तराखंड में अगर सभी जगह प्रीपेड मीटर लगते तो बिजली का अनावश्यक प्रयोग रुक जाता। ऐसे में यूपीसीएल को अतिरिक्त बिजली नहीं खरीदनी पड़ती। कई बार घरों और कार्यालयों में पब्लिक बिना जरूरत के बिजली के स्विच, पंखे, कूलर आदि खुले छोड़ देते हैं। लेकिन प्रीपेड मीटर लगने के बाद कुछ हद तक इस प्रकार हो रहे बिजली के मिस यूज में कमी जरूर आती। क्योंकि रीचार्ज बचत को देखते हुए लोग बिजली की अहमियत को समझ पाते।

यहां आई दिक्कत

ऊर्जा निगम के अधिकारियों की माने तो प्रीपेड मीटर योजना में ऑन लाइन सिस्टम में इंटीग्रेशन प्रॉसेस और टैरिफ दो जगह इस प्रक्रिया में दिक्कत आई। इसलिए जो भ्00 के करीब प्रीपेड मीटर लगे हैं। उनकी बिलिंग फिलहाल मैन्युअल की जा रही है। साथ ही क्00 यूनिट तक बिजली खपत पर फ्भ् रुपए और क्00 से अधिक यूनिट बिजली खपत पर 70 रुपए चार्ज भी शामिल किया जा रहा है। इन सभी चीजों को शामिल करके एक नया प्रस्ताव यूईआरसी को अनुमोदन के लिए भेजा जायेगा। यूईआरसी ही प्रीपेड मीटरिंग व्यवस्था के लिए टैरिफ तय करेगा।

वर्जन-

प्रीपेड मीटर की प्रक्रिया पूर्व में अस्थाई तौर पर शुरू की गई थी, लेकिन इसमें कुछ चीजें अभी और जोड़ी जानी हैं। टैरिफ का प्रस्ताव बनाकर अनुमोदन के लिए यूईआरसी को भेजा जायेगा। इसके बाद उपभोक्ताओं को स्थाई तौर पर प्रीपेड मीटर योजना का लाभ मिल सकेगा।

-अतुल अग्रवाल, निदेशक परिचालन, यूपीसीएल