धुर विरोधी सतपाल-हरक लड़ रहे नजदीकी सीटों से

-एक-दूसरे का गेम बिगाड़ने के लिए लगने लगी जुगत

DEHRADUN: राजनीति में सफलता की परिभाषा कुछ अलग सी भी होती है। मसलन, ये तो मायने रखता है ही, कि आप कितनी तेजी से दौड़ रहे हों। मगर ये कम मायने नहीं रखता, कि आपके विरोधी की चाल कितनी प्रभावित हुई है। बीजेपी के दो धुर विरोधी सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत के नजरिये से इन्हीं सारी बातों को आज-कल नजदीकी से देखा जा रहा है। दोनों पौड़ी जिले की नजदीकी सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। अपनी सीट निकालने की जितनी तैयारी है, उतनी ही तैयारी उनके समर्थकों ने दूसरे का रास्ता रोकने की भी शुरू कर दी है।

विरोध के पीछे है ठाकुर राजनीति

सतपाल महाराज और हरक सिंह रावत दोनों ही गढ़वाल के बडे़ ठाकुर नेता माने जाते हैं। कांग्रेस में रहते हुए भी दोनों के बीच जबरदस्त अदावत रही। बीजेपी में भी अब दोनों ही नेता पांव जमाने की फिराक में हैं, हालांकि हाईकमान महाराज को ज्यादा तवज्जो दे रहा है। चुनाव बाद यदि बीजेपी सत्तारूढ़ होती है और ठाकुर सीएम की स्थितियां बनती हैं, तो दोनों का ही दावा होगा। महाराज चौबट्टाखाल और हरक कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। दोनों की एक-दूसरे के विधानसभा क्षेत्र में भी पकड़ हैं। ऐसे में समीकरण उलट-पलट भी हो सकते हैं।

दिलीप पहले थे दोस्त, अब दुश्मन

लैंसडाउन विधायक दिलीप रावत और हरक सिंह रावत के बीच पहले अच्छे रिश्ते थे, लेकिन जिस तरह से सीट की तलाश करते हुए हरक सिंह ने लैंसडाउन सीट पर भी नजरें गड़ा दी थी, उससे दोनों के रिश्तों में तल्खियां आई हैं। दिलीप रावत का प्रभाव क्षेत्र कोटद्वार भी है। इस बात की आशंका पार्टी को भी है कि कोटद्वार में अब दिलीप रावत समर्थक हरक सिंह रावत की राह में कांटे बो सकते हैं।

रुद्रप्रयाग सीट तक भी जाएगी बात

रुद्रप्रयाग सीट पर बीजेपी प्रत्याशी भरत चौधरी एक जमाने में सतपाल महाराज के खासमखास रहे हैं, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मी राणा को आज भी हरक सिंह रावत की नजदीकी माना जाता है। दोनों नेताओं के बीच की राजनीतिक रंजिश का असर रुद्रप्रयाग सीट तक भी जाने के आसार बन रहे हैं।