दून के इस क्षेत्र में प्रीतम, नवप्रभात, मुन्ना की साख दांव पर

-पछवादून क्षेत्र के दोनों मंत्रियों का चुनाव होगा इम्तिहान

-हार का सिलसिला मुन्ना ने तोड़ा, तो होगा भविष्य उज्जवल

DEHRADUN: पछवादून की हवा इस चुनाव में किस तरफ बहेगी, कहा नहीं जा सकता। लेकिन, इतना जरूर है कि कैबिनेट मंत्री प्रीतम सिंह और नवप्रभात के साथ ही बीजेपी के फायरब्रांड नेता मुन्ना सिंह चौहान की साख दांव पर जरूर रहेगी। पछवादून में जीत-हार की स्थिति इन दिग्गजों का अपनी-अपनी पार्टी में कद बढ़ाएगी या फिर घटाएगी। तीनों ही नेताओं में भले ही राजनीतिक तौर पर हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा हो, लेकिन एक बड़ी समानता है। ये समानता हैं उनके व्यक्तित्व की गंभीरता, पढ़ने-लिखने की आदत और तार्किक व्यवहार। ये ही खूबियां उन्हें अन्य नेताओं से अलग करती है, लेकिन ख्0क्7 का चुनाव जिस कांटे की टक्कर की ओर इशारा कर रहा है, उसमें निश्चित तौर पर एक दबाव पछवादून के इन तीन दिग्गजों के सिर पर जरूर तारी रहेगा।

0क्-प्रीतम सिंह

प्रोफाइल:-

-हरीश रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद किसी भी चुनाव में अभी तक हार नहीं। विधानसभा सीट-चकराता। ख्00ख् में जीते, कैबिनेट मंत्री बने। ख्007 में भी जीत। ख्0क्ख् में जीते, फिर से कैबिनेट मंत्री बने।

संभावना:-

-पूर्व मंत्री स्वर्गीय गुलाब सिंह के पुत्र प्रीतम सिंह का नाम सीएम, पीसीसी चीफ के लिए गंभीरता से उठता रहा है। कांग्रेस से दिग्गज नेताओं के पलायन के बाद और अहमियत बढ़ी है। ख्0क्7 का चुनाव जीतते हैं, तो अहम जिम्मेदारी संभव।

0ख्-नवप्रभात

प्रोफाइल-

-पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय ब्रह्मदत के पुत्र हैं। कैबिनेट मंत्री हैं। विधानसभा सीट-विकासनगर। ख्00ख् में जीतकर एनडी सरकार में मंत्री बने थे। ख्007 का चुनाव हार गए थे। ख्0क्ख् में फिर जीते और परिवहन और खनन मंत्री बने।

संभावना:-

-नवप्रभात का पिछले दिनों पीसीसी चीफ के लिए जोर-शोर से नाम उठा था। खास तौर पर कांग्रेस के भीतर ब्राह्मण चेहरे के तौर पर नवप्रभात को सबसे पहले आगे किया जाता है। चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कांग्रेस संगठन के भीतर मजबूती देगा।

0फ्--मुन्ना सिंह चौहान

-यूपी के जमाने में सपा के एमएलसी। राज्य निर्माण के बाद सिर्फ एक ख्007 का चुनाव जीता। विधानसभा सीट-विकासनगर। ख्009 में विधायकी से इस्तीफा दिया। फिर उपचुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों में हार का सामना करना पड़ा।

संभावना:-

बीजेपी छोड़ने और वापसी की बात इनसे जुड़ी रही है। सपा, बसपा जैसी पार्टियों से जुड़ाव के बावजूद बीजेपी में अब स्थिति मजबूत। ये ही कारण है कि मुख्य प्रवक्ता हैं। हार का सिलसिला तोड़ते हुए जीतते हैं, तो अहम जिम्मेदारी के हकदार।