-बेसिक स्कूलों के सिलेबस में वर्षो से चली आ रही गलतियों में नहीं हुआ सुधार

-इस साल नया सिलेबस प्रिंट न होने से वहीं गलत इंफॉर्मेशन पढ़ेंगे बच्चे।

BAREILLY: वर्षो से बैलों द्वारा रेलगाड़ी खींचने पर मजबूर बेसिक स्कूलों के बच्चे इस साल भी यही पढ़ने के लिए विवश होंगे। नया कोर्स आता तो दस साल से अधिक समय से चली आ रही सिलेबस की गलतियों में सुधार की उम्मीद बंधती। बेसिक स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली बुक्स में हैं कई गलतियां। बच्चे पिछले साल की किताबों से ही नए साल में पढ़ रहे हैं। ऐसे में जाहिर है ये गलतियां फिर इन्हें पढ़ाई जाती रहेंगी।

गन्ने की फसल है असली कंफ्यूजन

कक्षा ब् की 'परख' नामक किताब में गन्ने की फसल बोने का समय खरीफ महीनें में दिखाया गया है। जबकि कक्षा म् की 'कृषि विज्ञान' में गन्ने को रवी की फसल बताया गया है। कृषि विज्ञान के विशेषज्ञ गन्ने को जायद महीनें की फसल बताते हैं।

बैलों से खींची जाती है रेलगाड़ी

कक्षा भ् की 'परख' नामक किताब की बात करें तो इनमें एक नायाब उदाहरण पेश किया गया है। इस किताब में पेशीय बल के उदाहरण में 'बैलों से रेलगाड़ी खींचना' दिखाया गया है। सन ख्00फ् से पेशीय बल का यही उदाहरण चला आ रहा है, इतने वर्षो में बच्चों तक ये उदाहरण जैसे का तैसा पहुंचा या फिर इसमें सुधार किया गया। ये बस पढ़ाने वाले मास्साब की संजीदगी पर डिपेंड रहा होगा।

कब बदला गया कोर्स

सन् ख्00फ् में सर्वशिक्षा अभियान लागू होने पर सिलेबस में बदलाव किया गया। इसके बाद से उप्र बेसिक शिक्षा के लिए एनसीईआरटी कोर्स द्वारा डेवलप की गई ये किताबें उपलब्ध हैं। उस दौरान ही इन किताबों में गलतियां मिली थीं। लेकिन इन्हें आज तक सुधारा नहीं गया है। ऐसा तब है जब हर साल किताबों का नया संस्करण छपता है। क्लास ब्, भ् व म् की किताबों में लगातार ये गलतियां चली आ रही हैं। इन गलतियों के बारे में पूछे जाने पर टीचर्स का कहना है कि इसमें संशोधन के लिए उन्होंने लिखित शिकायत तो नहीं की, लेकिन जिस भी अधिकारी से शिकायत की उसने इन्हें प्रिंटिंग की गलतियां कहकर नकार दिया।